मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. बता दें SC ने याचिका की सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है. 2019 में कमलनाथ सरकार ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को लेकर अध्यादेश लाए थे. इस अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. अब इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. अगली सुनवाई नवंबर में होगी. याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर की ओर से दायर की गई है.
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याचिका में उठाया गया मुद्दा
2019 में 27 फ़ीसदी ओबीसी आरक्षण के लिए अध्यादेश आया था. इसमें अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर HC ने रोक लगाई थी. इसके बाद अध्यादेश बाद में ये क़ानून बन गया था. तकनीकी तौर पर 27 फ़ीसदी ओबीसी आरक्षण कानून पर HC की कोई रोक नहीं है. ऐसे में मध्यप्रदेश में 27 फ़ीसदी ओबीसी आरक्षण पर रोक का कोई तर्क नहीं है. इसी को लेकर SC ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. बता दें ये याचिका जया ठाकुर की ओर से दायर की गई है.
एसएलपी की वजह से सुनवाई पर लगी थी रोक
मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27% करने के मामले में दाखिल 64 याचिकाओं पर सुनवाई हाईकोर्ट में टल गई. जस्टिस शील नागू और जस्टिस एके सिंह की बेंच को सुनवाई के दौरान बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण की सभी याचिकाएं सुनवाई के लिए बुलाने की मांग करते हुए एसएलपी दायर की गई है. इस पर 13 जुलाई को सुनवाई होगी. तब तक हाईकोर्ट ने 14% ओबीसी आरक्षण पर यथास्थिति के आदेश दिए हैं.
64 याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गईं
इससे पहले, प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किया गया है, जिसके खिलाफ और पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गई थी. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण 27% करने के कानून को चुनौती नहीं दी गई है, बल्कि 2003 में ओबीसी आरक्षण के संबंध में दायर नोटिफिकेशन से संबंधित है. इस पर बेंच ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में लंबित प्रकरणों के निराकरण की आवश्यकता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका में ओबीसी आरक्षण 27% करने के कानून की वैधता को चुनौती नहीं दी गई है. बेंच ने याचिकाओं पर डे-टू-डे सुनवाई के निर्देश दिए थे.
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