हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल: महाशिवरात्रि में दरगाह पर लगता है 3 दिन का मेला, जानें इतिहास…

Mahashivratri Satna Mela: दरगाह को वैसे तो मुस्लिम धर्म से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन सतना की एक दरगाह पर हिंदुओं का मेला लगता है. सतना से करीब 15 किलोमीटर दूर सराय में मान शहीद बाबा की दरगाह पर महाशिवरात्रि के अवसर पर 3 दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है. इस मौके पर आस-पास […]

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योगीतारा दूसरे

19 Feb 2023 (अपडेटेड: 19 Feb 2023, 07:31 AM)

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Mahashivratri Satna Mela: दरगाह को वैसे तो मुस्लिम धर्म से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन सतना की एक दरगाह पर हिंदुओं का मेला लगता है. सतना से करीब 15 किलोमीटर दूर सराय में मान शहीद बाबा की दरगाह पर महाशिवरात्रि के अवसर पर 3 दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है. इस मौके पर आस-पास के लोग यहां पर माथा टेकने के लिए भी पहुंचते हैं और शिवरात्रि के मेले का आनंद लेते हैं. हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग पहुंचते हैं, एकता की मिसाल इस दरगाह का इतिहास 7वीं शताब्दी से जुड़ा माना जाता है.

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सतना के सराय में शिवरात्रि के मौके पर मेले की रौनक देखने लायक होती है. इन दिनों दरगाह के आस-पास का इलाका खाने-पीने और खिलौनों जैसी कई दुकानों से सज जाता है. माना जाता है कि ये परंपरा 7वी शताब्दी से चली आ रही है. मजार पर साल में दो बार मेला लगता है. एक हिंदुओं के त्योहार शिवरात्रि के मौके पर तो वहीं दूसरी बार मुस्लिम त्योहार उर्स के मौके पर इस दरगाह पर मेला लगता है.

डेढ़ हजार साल पुराना है दरगाह का इतिहास
इस मेले और दरगाह का इतिहास 7वीं सदी से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि लगभग डेढ़ हजार साल पहले अरब देश के बगदाद शहर से घोड़े पर सवार होकर दो भाई बाबा मान और चांद धर्म पताका लेकर निकले. अलग-अलग घोड़ों पर सवार दोनों भाई एक रोज कोढ़ा गांव की उसी बारादरी पर पहुंचे जहां आज उनकी दरगाह है. लोगों की माने तो इस जगह पर पान बेचने वाली की दुकान थी. कहते हैं कि सिर विहीन बाबा चांद ने जब महिला से खाने के लिए पान मांगा तो उसने उन पर व्यंग्य कसा. कहते हैं कि इससे नाराज होकर दोनों भाई वहीं धरती में समा गए.

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दरगाह पर मन्नत मांगने पहुंचते हैं लोग
सैकड़ों वर्ष पुरानी इस दरगाह पर में लोगों का गहरा विश्वास है. साल में दो बार महाशिवरात्रि और उर्स पर यहां भव्य मेला लगता है. इतना ही नहीं हर गुरुवार को बीमारियों से पीडि़त लोग रोगों से मुक्ति के लिए दरगाह पर पर पहुंचते हैं. सैकड़ों लोग मन्नत मांगने के लिए सराय की यहां पर पूरी होती हैं.

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