सिंधिया अपने ही गढ़ में हो गए कमजोर, इस ओपिनियन पोल में हो गया बड़ा खुलासा

mp news: मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर एबीपी न्यूज-सी वोटर का एक सर्वे सामने आया है, जिसमें उन्होंने अपने ओपिनियन पोल के जरिए बीजेपी और कांग्रेस पार्टी की स्थिति को लेकर जनता की राय सामने रखी है. इस ओपिनियन पोल के आंकड़ों के अनुसार बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक नुकसान […]

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एमपी तक

27 Jun 2023 (अपडेटेड: 28 Jun 2023, 03:47 AM)

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mp news: मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर एबीपी न्यूज-सी वोटर का एक सर्वे सामने आया है, जिसमें उन्होंने अपने ओपिनियन पोल के जरिए बीजेपी और कांग्रेस पार्टी की स्थिति को लेकर जनता की राय सामने रखी है. इस ओपिनियन पोल के आंकड़ों के अनुसार बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक नुकसान ग्वालियर-चंबल संभाग में होने जा रहा है. यदि ऐसा होता है तो निश्चित रूप से सवाल उठेंगे कि क्या सिंधिया अपनी ही रियासत यानी ग्वालियर स्टेट जो आज ग्वालियर-चंबल संभाग के रूप में जाना जाता है, उसमें कमजोर पड़ रहे हैं?.

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सर्वे के अनुसार ग्वालियर-चंबल संभाग में कांग्रेस की स्थिति बहुत मजबूत दिखाई दे रही है. यहां की 34 सीटों में से कांग्रेस को 22 से 26 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. वहीं बीजेपी को सिर्फ 7 से 11 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है. बसपा के लिए यहां पर शून्य से दो सीटें मिलने का आकलन किया गया है.

आपको बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल संभाग की 34 सीटों में से कांग्रेस को 26 सीटें मिली थीं. 7 सीटें बीजेपी को और एक सीट बसपा को मिली थी. तब सिंधिया कांग्रेस पार्टी में ही थे और उनके चेहरे पर लोगों ने तब कांग्रेस को वोट किया था. वहीं जब सिंधिया कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में चले गए और मार्च 2020 में उप चुनाव हुए तब भी इस क्षेत्र से बीजेपी को सिंधिया की वजह से अच्छी सीटें मिली थीं और बीजेपी की सरकार बनी थी.

सिंधिया के पक्ष में वोट डालने वाली जनता को अब क्या हुआ?
यानी यह तो स्पष्ट है कि सिंधिया जब कांग्रेस में रहे और जब वे बीजेपी में चले गए, दोनों बार ग्वालियर-चंबल संभाग की जनता ने सिंधिया का साथ दिया था. लेकिन एबीपी न्यूज-सी वोटर का सर्वे अब बदले हुए समीकरणों की ओर इशारा कर रहा है. इस ओपिनियन पोल के हिसाब से तो बीजेपी को सबसे बड़ा नुकसान ग्वालियर-चंबल संभाग में हो सकता है. ऐसे में सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री-विधायकों का राजनीतिक भविष्य सवालों के घेरे में भी खड़ा हो सकता है.

ऐसे हालात क्यों बने?
ग्वालियर-चंबल संभाग की राजनीति को समझने वाले बताते हैं कि सिंधिया गुट के बीजेपी में आ जाने की वजह से बीजेपी के अंदर मूल कैडर के कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे. हर जगह सिंधिया गुट के नेता हावी होने लगे और बीजेपी का पुराना कार्यकर्ता खुद को पीछे जाता हुआ महसूस करने लगा. इससे बीजेपी के अंदर ही एक नाराज गुट पैदा हो गया. हाल ही में सिंधिया गुट के यादवेंद्र यादव, राकेश गुप्ता सहित कुछ नेता बीजेपी को छोड़कर वापस कांग्रेस में चले गए. इससे भी संकेत मिल रहे हैं कि सिंधिया अपने ही क्षेत्र में कहीं न कही कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं. हालांकि यह सभी आकलन एबीपी न्यूज-सी वोटर के ओपिनियन पोल पर आधारित हैं.

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