कांग्रेस और बीजेपी का गणित बिगाड़ेंगे सपा-बसपा, नुकसान सबसे ज्यादा किस पार्टी को? विस्तार से जानें

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी की जीत का गणित बिगाड़ने में बहुत बड़ा योगदान इस बार सपा और बसपा निभाने वाली हैं.

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एमपी तक

14 Nov 2023 (अपडेटेड: 14 Nov 2023, 11:01 AM)

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MP Election 2023: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी की जीत का गणित बिगाड़ने में बहुत बड़ा योगदान इस बार सपा और बसपा निभाने वाली हैं. सीएसडीएस के संचालक और देश के जाने-माने सेफोलॉजिस्ट संजय कुमार बताते हैं कि ऐसी तकरीबन 56 सीटें हैं, जिन पर पिछले चुनाव में भी सपा-बसपा ने कांग्रेस और बीजेपी की जीत-हार को प्रभावित किया था. कांग्रेस द्वारा इस बार सपा के साथ गठबंधन न करने से भी वोटों के बंटवारा होने की संभावना है, जिससे नुकसान कांग्रेस को हो सकता है.

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संजय कुमार बताते हैं कि 2018 के विधानसभा चुनाव में 56 सीटों पर जहां सपा-बसपा जैसी पार्टियों को जीत के अंतर से अधिक वोट प्राप्त हुए थे, उस वजह से बीजेपी को 28 सीटों पर और कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत मिली थी. ये बेहद क्लोज मामले रहे थे और कम मार्जिन से जीत-हार तय हुई थी, क्योंकि सपा-बसपा की वजह से वोटों का बंटवारा हुआ था.

संजय कुमार बताते हैं कि वोटों के बंटवारे से नुकसान कांग्रेस को अधिक होता है. क्योंकि सवर्ण वोट हमेंशा से ही बीजेपी के पास जाता है. चाहे बीजेपी जीते या हारे, उनको सवर्ण वोट एकमुश्त मिल जाता है लेकिन जो ओबीसी और दलित एवं आदिवासी वोट हैं, वो सपा-बसपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की वजह से बंटता है. यदि कांग्रेस चुनाव से पहले ही इन पार्टियों के साथ गठबंधन कर लेती तो ये सारा वोट एकमुश्त एक तरफ गिरता, जिससे कांग्रेस की जीत बिल्कुल पक्की हो जाती. लेकिन सपा और बसपा ने बड़े पैमाने पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिसकी वजह से कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस बार भी मुकाबला नजदीकी होने जा रहा है.

शिवराज सिंह के खिलाफ नहीं है कोई नाराजगी- संजय कुमार

सीएसडीएस के संजय कुमार बताते हैं कि शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ नाराजगी या उनकी सरकार को लेकर एंटी इंकम्बेंसी उतनी नहीं है, जितना की प्रचारित कर दी गई है. शिवराज सिंह चौहान आज भी मध्यप्रदेश के सबसे अधिक पॉपुलर लीडर हैं और उनके बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस के कमलनाथ पॉपुलर लीडर हैं. इसलिए ये नाराजगी वाला कोई फैक्टर नहीं है, इसे बिना वजह ही अधिक प्रचारित कर दिया गया था.

संजय कुमार बताते हैं कि कांग्रेस ने गठबंधन को लेकर थोड़ा ओवर कांफिडेंस दिखाया है. बेहतर होता कि वे समय रहते सपा या दूसरी छाेटी पार्टियों के साथ गठबंधन के मामले को निपटा लेते. इससे कांग्रेस को ही फायदा होता और वोटों का बिखराव होने से बच जाता.

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