MP में अजब-गजब मामला: वार्ड 7 की जगह वार्ड 9 में करा दिया उपचुनाव, निर्विरोध जीत के बाद पता चला सब गलत था

महेश्वर जनपद पंचायत में वार्ड 7 के बजाय गलती से वार्ड 9 में उपचुनाव करा दिया गया, जिसमें एक उम्मीदवार को निर्विरोध विजेता मान लिया गया था. बाद में गलती पकड़ में आते ही चुनाव रद्द कर दो कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया और अब वार्ड 7 में दोबारा चुनाव होंगे.

हां चुनाव नहीं था, वहीं हो गई जीत
हां चुनाव नहीं था, वहीं हो गई जीत

उमेश रेवलिया

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मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में जनपद पंचायत महेश्वर के एक वार्ड में उपचुनाव होना था, लेकिन सरकारी कागजों की एक छोटी-सी गलती ने पूरा चुनाव ही उलट-पुलट कर दिया.

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दरअसल जनपद पंचायत के वार्ड क्रमांक 7 के सदस्य मोहन मकवाले का अचानक निधन हो गया था. इस वजह से यहां उपचुनाव कराना जरूरी था. लेकिन 30 सितंबर को जब जिला निर्वाचन कार्यालय को सूचना भेजी गई तो इसमें बड़ी भूल हो गई. जिस वार्ड 7 में चुनाव होना था, उसकी जगह वार्ड क्रमांक 9 को रिक्त बता दिया गया. बस यहीं से गड़बड़ी शुरू हो गई.

जहां चुनाव नहीं था, वहीं सारी तैयारियां

गलत सूचना के आधार पर प्रशासन ने वार्ड 9 में उपचुनाव की अधिसूचना जारी कर दी. नामांकन की प्रक्रिया चली, बीजेपी ने पूरा दम लगाया और आपसी सहमति से अजय सिंह बारिया को मैदान में उतार दिया गया.

नामांकन के आखिरी दिन दोपहर 3 बजे तक केवल एक ही फॉर्म जमा हुआ. 3 बजकर 20 मिनट पर एक और व्यक्ति फॉर्म लेकर पहुंचा लेकिन रिटर्निंग अफसर ने उसे यह कहकर लौटा दिया कि समय खत्म हो चुका है.

समय सीमा तक दूसरा कोई नामांकन नहीं आने से अजय सिंह बारिया को निर्विरोध निर्वाचित मान लिया गया. समर्थकों ने मिठाइयां बांटीं, बधाइयों का दौर चला और सबने मान लिया कि चुनाव निपट गया.

एक दिन बाद खुली प्रशासन की आंख

लेकिन कहानी में ट्विस्ट 16 दिसंबर को आया, जब परिणाम की घोषणा से ठीक पहले अधिकारियों को एहसास हुआ कि पूरा चुनाव ही गलत वार्ड में हो गया है. असल में उपचुनाव तो वार्ड 7 में होना था और सारा खेल वार्ड 9 में कर दिया गया.

इसके बाद जिला पंचायत सीईओ आकाश सिंह ने आनन-फानन में अजय सिंह बारिया के निर्वाचन को निरस्त कर दिया और दो कर्मचारियों सहायक ग्रेड-3 अजय वर्मा और प्रभारी खंड पंचायत अधिकारी रामलाल बरसेना को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया.

निर्विरोध जीते उम्मीदवार का दर्द

निर्विरोध चुने गए अभय सिंह बारिया ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्होंने वार्ड क्रमांक 7 के लिए ही फॉर्म भरा था. उनकी रसीद भी वार्ड 7 की ही थी और पूरी प्रक्रिया अधिकारियों की मौजूदगी में हुई. ऐसे में अब दोबारा चुनाव करवाना उनके साथ अन्याय है.

उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की है कि चूंकि वे निर्विरोध निर्वाचित हो चुके थे, इसलिए उन्हें ही विजेता घोषित किया जाए.

 अधिकारियों ने मानी चूक

जनपद पंचायत महेश्वर की सीईओ रीना चौहान ने साफ कहा कि शाखा प्रभारी अजय वर्मा और पंचायत इंस्पेक्टर रामलाल बरसेना ने गलत वार्ड की जानकारी भेजी थी, जिस पर उनके हस्ताक्षर भी थे. इसी कारण यह भारी गलती हुई और दोनों को निलंबित किया गया है.

वहीं रिटर्निंग ऑफिसर और तहसीलदार कैलाश सस्तिया ने बताया कि जिला निर्वाचन कार्यालय को भेजी गई गलत सूचना के कारण अधिसूचना ही गलत वार्ड के लिए जारी हो गई थी, इसलिए निर्वाचन आयोग ने पूरा चुनाव निरस्त कर दिया.

पार्टी नेता भी रह गए हैरान

बीजेपी नेता विक्रम पटेल ने पहले अभय बारिया को निर्विरोध चुने जाने पर बधाई दी थी, लेकिन अब पूरा मामला पलट जाने से पार्टी कार्यकर्ता भी सकते में हैं. इस पूरे घटनाक्रम के बाद वार्ड क्रमांक 7 में अब नए सिरे से उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. इस अजीबोगरीब गलती ने न सिर्फ प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी दिखा दिया कि एक गलत कागज पूरे लोकतांत्रिक सिस्टम को कैसे उलझा सकता है.

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