ग्वालियर में तानसेन संगीत समारोह शुरू, जानें क्या है यहां के इमली के पेड़ की वो मशहूर कहानी

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में इस साल 99वां तानसेन संगीत समारोह शुरू हो चुका है. इस समारोह को लेकर जिला प्रशासन ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं. लेकिन तानसेन समारोह के साथ ही एक बार फिर से 600 साल पुराने उस इमली के पेड़ की चर्चा शुरू हो गई है जिसे लेकर संगीत कलाकारों के बीच दीवानगी देखी जाती है.

Tansen Music Festival, Mian Tansen, MP News, Gwalior News, Gwalior Tansen Music Festival
Tansen Music Festival, Mian Tansen, MP News, Gwalior News, Gwalior Tansen Music Festival

हेमंत शर्मा

23 Dec 2023 (अपडेटेड: 23 Dec 2023, 10:24 AM)

follow google news

Gwalior tansen samaroh: मध्यप्रदेश के ग्वालियर में इस साल 99वां तानसेन संगीत समारोह शुरू हो चुका है. इस समारोह को लेकर जिला प्रशासन ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं. लेकिन तानसेन समारोह के साथ ही एक बार फिर से 600 साल पुराने उस इमली के पेड़ की चर्चा शुरू हो गई है जिसे लेकर संगीत कलाकारों के बीच दीवानगी देखी जाती है. संगीतकारों के लिए यह इमली का पेड़ इतना बहुमूल्य है कि इस इमली के पेड़ की पत्तियां खाने के लिए देश-विदेश के संगीतकार तानसेन की नगरी ग्वालियर में खिंचे चले आते हैं.

Read more!

स्थानीय जानकार बताते हैं कि ग्वालियर में तानसेन का जन्म हुआ था, लेकिन जब तानसेन महज 5 साल की उम्र पर पहुंचे तो उन्हें बोलने में कठिनाई होने लगी. इस बात को लेकर तानसेन के माता-पिता परेशान हो गए. किसी ने उन्हें सलाह दी कि वह उस्ताद मोहम्मद गौस के पास तानसेन को ले जाएं तो हो सकता है कि उनकी समस्या का हल हो जाए. इसके बाद तानसेन के माता-पिता तानसेन को लेकर उस्ताद मोहम्मद गौस के पास पहुंचे.

उस्ताद मोहम्मद गौस ने इसी इमली के पेड़ की पत्तियों को तानसेन को खाने के लिए दिया था. जानकारों का दावा है कि इस इमली के पेड़ की पत्तियां चबाने के बाद तानसेन ने न केवल बोलना शुरू कर दिया बल्कि उनकी आवाज भी सुरीली हो गई.

इतिहास के जानकार बताते हैं कि अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक संगीत सम्राट तानसेन के बारे में यह कहा जाता है कि इसी इमली के पेड़ के पास तानसेन रियाज किया करते थे. वे कई घंटे तक इसी इमली के पेड़ के पास रियाज करके अपनी संगीत में निखार लाए थे. यही वजह है कि यह इमली का पेड़ संगीतकारों के लिए किसी धरोहर से कम नहीं है और देश विदेश के संगीतकार इस इमली के पेड़ को देखने और उसकी पत्तियां चबाने के लिए हजीरा इलाके में स्थित तानसेन के मकबरे पर पहुंचते हैं.

इमली के पेड़ के चारों तरफ बनाया गया सुरक्षा घेरा

एक तरफ जहां संगीतकारों के बीच इमली के पेड़ की दीवानगी देखते ही बनती है, वहीं लोग इस इमली के पेड़ की लगातार पत्तियां तोड़कर 600 साल पुराने इस इमली के पेड़ के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर रहे थे. यही वजह रही कि इमली के पेड़ को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए अब इस इमली के पेड़ के चारों तरफ 10 फीट ऊंचाई की जाली का सुरक्षा घेरा बना दिया गया है.

संगीत की नगरी का खिताब मिलने के बाद सैलानियों की संख्या में हुआ इजाफा

पिछले दिनों यूनेस्को ने ग्वालियर शहर को संगीत की नगरी का खिताब दिया है. इसके साथ ही संगीत सम्राट तानसेन के मकबरे पर सैलानियों की संख्या में भी इजाफा होने लगा है. इतना ही नहीं संगीत के जानकार, संगीतकार तानसेन मकबरा और यहां लगे इमली के पेड़ को लेकर और भी ज्यादा आकर्षित होने लगे हैं. इधर संगीत समारोह की तैयारी ने तानसेन मकबरे पर रौनक बढ़ा दी है.

ये भी पढ़ें- अफसर चलाएंगे मोहन यादव की सरकार, मंत्री बनाए नहीं लेकिन IAS अधिकारियों को दिया संभागों का प्रभार

    follow google newsfollow whatsapp