50 दिन से दहशत का पर्याय बने बाघ को ऐसे किया गया रेस्क्यू, लोगों ने ली राहत की सांस

Bandhavgarh Tiger Reserve: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मानपुर बफ़र के मचखेता और आस-पास के गांवों में दहशत फैलाने वाले हमलावर बाघ (Tiger) को आखिरकार कड़ी मशक्कत के बाद रेस्क्यू (rescue) कर लिया गया है. बाघ को पकड़ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा लगातार कोशिश की जा रही थी. 50 दिनों की मशक्कत के बाद वन […]

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रावेंद्र शुक्ला

06 Sep 2023 (अपडेटेड: 06 Sep 2023, 04:00 AM)

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Bandhavgarh Tiger Reserve: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मानपुर बफ़र के मचखेता और आस-पास के गांवों में दहशत फैलाने वाले हमलावर बाघ (Tiger) को आखिरकार कड़ी मशक्कत के बाद रेस्क्यू (rescue) कर लिया गया है. बाघ को पकड़ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा लगातार कोशिश की जा रही थी. 50 दिनों की मशक्कत के बाद वन विभाग (Forest Department) की टीम के द्वारा उसका सफलता पूर्वक रेस्क्यू किया गया.

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पिछले कुछ महीनों से मचखेता और उसके नजदीकी गांव के आस-पास के जंगल में मानव-वन्यप्राणी संघर्ष की कई घटनाएं लगातार सामने आ रही थीं. बाघ के साथ हुए इन संघर्षों में तीन ग्रामीणों को अपनी जान गंवानी पड़ी. दो अन्य ग्रामीण गंभीर रूप से घायल भी हो गए थे. ग्रामीणों की मौत से लोगों में काफी ज्यादा आक्रोश था और वो वन विभाग से हमलावर जानवरों को पकड़ने की लगातार मांग कर रहे थे.

ऐसे किया बाघ का रेस्क्यू

रेस्क्यू के लिए 7 हाथी, 2 गस्ती वाहन, टाइगर प्रोटेक्शन टीम, सुरक्षा श्रमिक सहित वन विभाग की 70 लोगों की टीम लगातार काम कर रही थी. वन विभाग (forest Department) हमलावर बाघ को पकड़ने के लिए काफी दवाब में था. जगह-जगह ट्रैप कैमरे लगाकर और निगरानी दल गठित कर बाघ के मूवमेंट को पता करने की कोशिश की जा रही थी. आखिरकार 50 दिन गुजरने के बाद गश्ती दल को वन परिक्षेत्र ताला की बीट हरदिया के कंपार्टमेंट आर एफ 313 में बाघ दिखाई दिया. जिसके बाद वन विभाग की टीम के द्वारा उसका सफलता पूर्वक रेस्क्यू किया गया.

इलाके में दूसरे बाघों का मूवमेंट

बाघ को रेस्क्यू कर बहेरहा इनक्लोजर में रखा गया है, जहां उसकी सतत निगरानी के साथ उसके व्यवहार का अध्ययन किया जाएगा. वन विभाग के एस डी ओ सुधीर मिश्रा के अनुसार मचखेता और उसके आस-पास के क्षेत्र में अभी दूसरे अन्य बाघों का भी मूवमेंट देखा जा रहा है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा ग्रामीणों को वन क्षेत्र में न जाने और मवेशी न चराने जाने की समझाइश दी जा रही है.

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