बैतूल सीट पर अब नहीं होगा 26 अप्रैल को मतदान, बसपा उम्मीदवार की मौत के बाद निर्वाचन आयोग ने दी नई तारीख

बैतूल लोकसभा सीट पर अब 26 अप्रैल को वोटिंग नहीं होगी. यहां बसपा उम्मीदवार अशोक भलावी की अचानक हुई हार्ट अटैक से मृत्यु के बाद निर्वाचन आयोग को अपना शेड्यूल बदलना पड़ा है और वोटिंग के लिए नई तारीख की घोषणा की गई है.

Betul Lok Sabha seat, BSP candidate Ashok Bhalavi
Betul Lok Sabha seat, BSP candidate Ashok Bhalavi

राजेश भाटिया

10 Apr 2024 (अपडेटेड: 10 Apr 2024, 03:15 PM)

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Betul Lok Sabha seat: बैतूल लोकसभा सीट पर अब मतदान 26 अप्रैल को नहीं होगा. बीते रोज बसपा उम्मीदवार अशोक भलावी की हार्ट अटैक की वजह से मौत हो गई थी. इसके कारण निर्वाचन आयोग को यहां का पूरा शेड्यूल ही चेंज करना पड़ गया है. स्थानीय कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी नरेंद्र सूर्यवंशी ने बताया कि अब बैतूल सीट पर मतदान 7 मई को होगा. इसके साथ ही निर्वाचन आयोग ने बताया कि नए शेड्यूल के मुताबिक नए सिरे से बसपा पार्टी को अपने उम्मीदवार का फॉर्म भरने के लिए समय दिया जाएगा लेकिन किसी अन्य दल या निर्दलीय उम्मीदवार को इस अतिरिक्त समय में नामांकन फॉर्म नहीं भरने दिया जाएगा. यह व्यवस्था सिर्फ बसपा पार्टी के लिए रहेगी.

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निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित नए शेड्यूल के अनुसार बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के नाम निर्देशन पत्र 12 अप्रैल से जमा होंगे और अंतिम तारीख 19 अप्रैल तय की गई है. 20 अप्रैल को बसपा प्रत्याशी के नाम निर्देशन पत्र की जांच होगी. 22 अप्रैल को नाम वापस लिए जा सकेंगे. मतदान तीसरे चरण में 7 मई को होगा. बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार की हार्ट अटैक से मौत होने के बाद निर्वाचन आयोग को ये विशेष व्यवस्था करनी पड़ी है.

आपको बता दें कि बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी अशोक भलावी का मंगलवार की दोपहर निधन हो गया था. अशोक भलावी बैतूल के सोहागपुर गांव के निवासी थे. 5 जून 1975 को उनका जन्म हुआ था, उनके चार बच्चे हैं. बहुजन समाज पार्टी से लंबे समय से जुड़े थे. 2019 में भी लोकसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के रूप में लड़ा था.

बैतूल सीट पर बीजेपी की स्थिति मजबूत

बैतूल सीट पर बीजेपी बीते तीन दशक से मजबूत स्थिति में है. पिछले लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के दुर्गादास उइके ने कांग्रेस के रामू टेकाम को भारी वोटों के अंतर से लोकसभा चुनाव में मात दी थी. बैतूल जिला मुख्य रूप से आदिवासी बाहुल्य इलाका है और यहां बीजेपी का दबदबा लंबे समय से बना हुआ है.हालांकि बसपा भी यहां चुनाव में अपनी मजबूत स्थिति दर्ज कराने में सफल रहता है. बसपा के उम्मीदवार यहां तीसरे और दूसरे स्थान पर रहते हैं.

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