माधवी राजे दुल्हन बनकर ग्वालियर आईं तो राजमाता विजयराजे सिंधिया ने ऐसे किया था वेलकम, वो तस्वीर हो गई वायरल

Madhvi Raje Scindia: राजमाता माधवी राजे सिंधिया को आज ग्वालियर नम आंखों से विदाई दे रहा है. दिल्ली से जब माधवी राजे का पार्थिव शरीर ग्वालियर पहुंचा तो उनके अंतिम दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. राजमाता नेपाल के राजघराने की राजकुमारी थी. हम आपको बताते हैं 1960 के दशक की सबसे चर्चित शादियों में से एक सिंधिया परिवार की इस शादी की कहानी और उसकी तस्वीरें...

ग्वालियर राजघराने की राजमाता माधवी राजे की दुर्लभ तस्वीर.

ग्वालियर राजघराने की राजमाता माधवी राजे की दुर्लभ तस्वीर.

एमपी तक

• 05:00 PM • 16 May 2024

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Madhvi Raje Scindia: मध्य प्रदेश के ग्वालियर राजघराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया को आज ग्वालियर नम आंखों से विदाई दे रहा है. दिल्ली से जब माधवी राजे का पार्थिव शरीर ग्वालियर पहुंचा तो उनके अंतिम दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. राजमाता नेपाल के राजघराने की राजकुमारी थी. यहां हम आपको बताते हैं 1960 के दशक की सबसे चर्चित शादियों में से एक माधवराव सिंधिया की शादी 8 May 1966 को हुई थी.

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नेपाल की राजकुमारी किरण राजलक्ष्मी जब दुल्हन बनकर माधव राव सिंधिया के साथ ग्वालियर आईं तो उनकी एक झलक पाने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा था. एमपी तक उनकी शादी से जुड़ी ऐसी दुर्लभ तस्वीरें और उसकी कहानी बताने जा रहा है... 

तस्वीर से किया पसंद

राजमाता माधवी राजे सिंधिया नेपाल की राजकुमारी थीं. उनके दादा जंग बहादुर राणा नेपाल के मुखिया और प्रधानमंत्री दोनों रह चुके है. ग्वालियर के राजकुमार माधवराव सिंधिया ने उनकी तस्वीर देखी, और उन्हें 'लव एट फर्स्ट साइट' हो गया, उन्होंने तस्वीर देखकर नेपाल की राजकुमारी किरन राज लक्ष्मी को पसंद कर लिया. जब माधव राव सिंधिया ने उनकी तस्वीर देखी तो उन्होंने प्रिंसेस से मिलने की इक्छा जताई, मगर तब के दौर में यह संभव नहीं हो सका. मगर प्यार के यह चिंगारी उस एक पल में ही लग गयी थी.

जब दुल्हन बनकर आईं माधवी राजे सिंधिया.

60 के दशक की चर्चित शादी

साल था 1966, उस दौर की सबसे विशाल और चर्चित शादी होने जा रही थी, एक तरफ़ थे डैशिंग और चार्मिंग ग्वालियर घराने के राजकुमार माधव राजे सिंधिया वहीं उनसे सात जन्म के बंधन में बंधने जा रही थी खूबसूरती की आयाम नेपाल की प्रिंसेस किरण राजलक्ष्मी. हर तरफ़ गाजे बाजे थे और हज़ारो बराती इस शादी के लिए अलग-अलग देशों से आये थे. यह शादी 1966 में भारत की राजधानी दिल्ली में हुई. शादी और इसके कार्यक्रम करीब 10 दिन से भी ज़्यादा तक चले थे और दिग्गज से दिग्गज व्यक्ति दोनों नवविवाहित जोड़े को अपना आशीर्वाद देने दिल्ली पहुंचे थे. 

राजमाता स्व. माधवी राजे को अंतिम विदाई देते वक्त फफक-फफक कर रो पड़े ज्योतिरादित्य सिंधिया, नम हो गईं हर किसी की आंखें

शादी के जोड़े में माधव राव सिंधिया और माधवी राजे सिंधिया मधुर-मधुर मुस्कान.

जब पहली बार ग्वालियर आईं माधवी राजे

दोनों की शादी दिल्ली में ही थी मगर वो मंजर भी देखने लायक था जब प्रिंसेस पहली बार दुल्हन बनकर ग्वालियर आयी, हर तरफ़ त्यौहार जैसा माहौल था और पूरे ग्वालियर को सजा दिया गया था. दुल्हन सी सजी ग्वालियर अपनी बहु का स्वागत करने के लिए बाहें खोल खड़ी थी. इन तस्वीरों में देखिये जब नेपाल की प्रिंसेसे  पहली बार अपने होने वाले घर ग्वालियर आयी, किसी को अंदाजा  नही था की आगे चलकर यह प्रिंसेस माध्वी राजे सिंधिया यानी ग्वालियर की राजमाता बन जाएंगी. दुल्हन वाले जोड़े में किरण राजलक्ष्मी घूंघट डाले सभी बड़ों को प्रणाम कर रही. 

ग्वालियर राजघराने की बहू बन गई नेपाल की राजकुमारी.

शादी के मंडप में दोनों माधव और किरण एक दूसरे को देखते हैं और यह खूबसूरत पल कैमरा में कैद हो जाता है. इनकी आंखों में लिखा था सात जन्मों का साथ और यह शादी के स्टेज पर दोनों के हाव-भाव से बखूबी देखा जा सकता था. पहले माधव राव सिंधिया और अब उनकी पत्नी माधवी राजे सिंधिया भी उनके पास चली गईं. दोनों ही घरों ने इस शादी को अलीशान बनाने में कोई कसर नही छोड़कर पूरी दुनिया में इस प्रेम कहानी को अमर कर दिया. हर जगह, इसी के चर्चे थे, यह कोई मामूली शादी नही थी बल्कि दो अलग देशों के राजघराने के बंधन की शुरुआत थी.

इनपुट- एमपी तक के लिए वरुल चतुर्वेदी. 

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