कौन हैं सत्यनारायण मौर्य, जिन्होंने लिखा- ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’?, ये है पूरी कहानी

Ram Mandir News: ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ यह नारा देने वाले इंदौर के रहने वाले बाबा सत्यनारायण मौर्य को 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले श्री राम लला मंदिर और प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए न्योता आया है, जो 13 जनवरी को अयोध्या के लिए रवाना होंगे.

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धर्मेंद्र कुमार शर्मा

11 Jan 2024 (अपडेटेड: 11 Jan 2024, 07:57 AM)

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Ram Mandir News: ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ यह नारा देने वाले इंदौर के रहने वाले बाबा सत्यनारायण मौर्य को 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले श्री राम लला मंदिर और प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए न्योता आया है, जो 13 जनवरी को अयोध्या के लिए रवाना होंगे. उन्होंने कहा कि 500 सालों का सपना अब पूरा हो रहा है.

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MP Tak से खास बातचीत में सत्यनारायण मौर्य ने कहा- “आखिरकार करीब 500 वर्षों से अधिक लंबे इंतजार के बाद अब वह घड़ी आ ही गई है. जब करोड़ों हिंदुओं की आस्था के प्रतीक राम लला टूटे-फूटे टेंट के स्थान पर अब एक भव्य मंदिर में विराजमान होंगे.” सत्यनारायण मौर्य ने बाबरी मस्जिद से लेकर राम मंदिर निर्माण तक का सफर का आंखों देखा हाल बताया. 1992 में बाबरी मस्जिद में क्या हुआ था क्या था राम जन्मभूमि आंदोलन… जानिए इस पूरी खबर में…

बाबा सत्यनारायण मौर्य ने बताया, ‘ यह सब कुछ मिल गया, भगवान राम का मंदिर बन जाएगा, जब 500 साल से नहीं बन पाए थे इतनी जल्दी क्या बन जाएगा, लेकिन यह सब हमारी आंखों के सामने हो रहा है और ये राष्ट्रीय गर्व का विषय बन गया. श्रीराम का मंदिर बनना हमारे लिए अकल्पनीय है, जिसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हम अपनी आंखों से देख पाएंगे.’

राम मंदिर निर्माण आंदोलन में कूद पड़े बाबा सत्यनारायण

बाबा सत्यनारायण ने बताया कि कैसे वह राम मंदिर आंदोलन में कूद पड़े. तब के दौर और आज के दौर में बड़ा अंतर है. तब मंदिर में घुसना मुश्किल होता था. मंदिर के लिए हमें तगाड़ी भी उठानी थी, पेंटिंग भी करनी थी, सभी तरह के काम करने का मौका मिला. बड़े लोगों का बड़ा काम था. सब का काम एक जैसा नहीं था, जिस तरह से राम जी की सेवा में राम का भी काम था, हनुमान जी का ही काम था, नल नील का अपना काम था, उसे छोटे-मोटे कार्यकर्ताओं का अलग काम था.

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अयोध्या राम मंदिर आंदोलन से कैसे जुड़े बाबा

उज्जैन में पढ़ाई कर रहे थे, तब असली इतिहास पड़ा. इतिहास की जानकारी निकली तो पता चला कि उन्हें गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है. मैंने जो डिग्री हासिल की है, वह गलत इतिहास पढ़कर ली है. इसको हटाने का मौका अयोध्या में मिला. मैं अयोध्या चल गया और इन सभी विषय को मैंने कार्टून के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का काम किया.

बाबरी मस्जिद का ढांचा टूटा और बवाल हो गया

जब बाबरी मस्जिद का ढांचा टूटा उसके बाद चारों सरकारे भंग हो गई थी उस समय बड़ा काम मिला की कार्टून और चित्र के माध्यम से इस मुद्दे को जिंदा रखा जाए. और तर्क के द्वारा पेश किया जाए. उस समय में सामान्य व्यक्ति था लेकिन इस स्थिति में आसपास के लोगों जो झूठ बोले थे. उन्होंने मुझे मजबूर किया कि वह अयोध्या में रहकर राम मंदिर से जुड़ें. तब से लेकर आज तक जुड़ा हूं. आगे भी जुड़ा रहूंगा.

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क्या है उस चर्चित नारे की कहानी

‘मैं पहले कार्टूनिस्ट था, जो कार्टून के माध्यम से दीवारों पर जो हमारे गीत में कई सारे नारे थे, लेकिन कई की चीज वायरल हो जाती हैं. दुनिया में बाकी बहुत थे इस गीत आंदोलन के थे, देश राम की भक्ति राष्ट्र की शक्ति यह काफी अच्छा नारा था, लेकिन यह नारा उठाने की बजाय लोगों ने ‘राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे’ पूरे भारत मे फैल गया.

अयोध्या का निमंत्रण मिला है, हालांकि मेरे लिए निमंत्रण का कोई महत्व नहीं है. मैं समय के पहले अयोध्या पहुंच जाऊंगा. जहां 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में 8000 से अधिक लोग मौजूद रहेंगे. जो पूरे समय स्क्रीन पर दिखाई देंगे, लेकिन जब भाषण देंगे तब हम उपस्थित रहेंगे.  मुझे खुशी इस बात की है कि राम जी के दर्शन तो होंगे और उनके साथ में ऐसे लोगों के दर्शन भी होंगे जिनके साथ हमने शुरुआती दिनों में काम किया था.

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