‘एंटी-इनकंबेंसी’ के भरोसे कांग्रेस क्या हासिल कर पाएगी MP की ‘सत्ता’? जानें

MP POLITICAL NEWS: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं. बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया है. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि 2023 का विधानसभा चुनाव जीतने किस पार्टी का ज्यादा असर ग्राउंड पर […]

mp politics Kamal Nath mp congress
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अभिषेक शर्मा

• 03:19 AM • 14 Feb 2023

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MP POLITICAL NEWS: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं. बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया है. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि 2023 का विधानसभा चुनाव जीतने किस पार्टी का ज्यादा असर ग्राउंड पर नजर आ रहा है? बीजेपी इस वक्त अपनी विकास यात्रा के जरिए जनता के बीच अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर जा रही है तो वहीं कांग्रेस हाथ से हाथ जोड़ो अभियान को बीजेपी की विकास यात्रा का तोड़ बता रही है. लेकिन क्या वाकई कांग्रेस का हाथ से हाथ जोड़ो अभियान बीजेपी की विकास यात्रा का तोड़ साबित हो पा रहा है या कांग्रेस एक बार फिर से ‘हिट विकेट’ होती नजर आ रही है. इन्हीं तमाम सवालों को लेकर MP Tak ने बात की मध्यप्रदेश के प्रमुख्  राजनीतिक विश्लेषकों और वरिष्ठ पत्रकारों से और उनसे जाना कि जनता में किस पार्टी की दावेदारी अधिक मजबूत नजर आ रही है?

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राजनीतिक विश्लेषक डॉ. जगमोहन द्विवेदी बताते हैं कि  ‘5 फरवरी को संत रविदास जयंती थी और बीजेपी ने 5 फरवरी से पूरे मध्यप्रदेश में विकास यात्रा निकालने की अनाउंसमेंट कर दी थी. इस विकास यात्रा के जरिए बीजेपी तो अपनी सरकार के दौरान किए गए कार्यों की रिपोर्ट जनता के बीच दे रही है और हितग्राही योजनाओं के वंचित लोगों को जोड़कर और उनको हितलाभ दिलाकर अपने साथ जोड़ने की भरसक कोशिश कर रही है.

हालांकि इस कोशिश के दौरान कई जिलों में बीजेपी के मंत्री-विधायकों को विरोध भी झेलना पड़ा है. लेकिन फिर भी बीजेपी ने विकास यात्रा के जरिए अपना रिपोर्ट कार्ड दिखाने का साहस दिखाया, जिसके बेहतर परिणाम उसे मिल सकते हैं लेकिन बीजेपी की विकास यात्रा की तुलना में कांग्रेस का हाथ से हाथ जोड़ो अभियान काफी फीका नजर आ रहा है’.

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बीजेपी की कमियों के साथ कांग्रेस को रखना चाहिए अपना रोडमैप
लंबे समय तक मध्यप्रदेश कांग्रेस और बीजेपी दोनों को ही कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता बताते हैं, ‘यह बात सही है कि कांग्रेस चुनावी मैदान में पूरी तरह से बीजेपी के खिलाफ जो नेगेटिव वोटिंग है, उसी के सहारे उतर रही है. कांग्रेस के पास जनता के सामने रखने के लिए ऐसा कोई विजन या रोड मैप नहीं है, जिसे दिखाकर वे जनता को अपनी ओर आकर्षित कर सकें.

पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी हर जनसभा में लोगों के सामने यही बात रखते हैं कि उनकी चुनी हुई सरकार को षड्यंत्र करके बीजेपी ने गिरा दिया. कमलनाथ या कांग्रेस का कोई भी बड़ा लीडर जनता के सामने अपनी 15 महीने की सरकार का बखान नहीं करता. वह नहीं बता पाते की 15 महीने जब वे सत्ता में थे तो उनकी ये 10 बड़ी उपलब्धियां थी. पूरी कांग्रेस सिर्फ बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रही है तो जाहिर है कांग्रेसी चुनावी मैदान में बीजेपी के खिलाफ आने वाले नेगेटिव वोटिंग के सारे ही उतर रही है’.

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भारत जोड़ो अभियान का लाभ लेने से चूकी कांग्रेस
वरिष्ठ पत्रकार एलएन शीतल बताते हैं . ‘मध्य प्रदेश कांग्रेस चाहती तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को मिले जनसमर्थन को कांग्रेस की तरफ मोड़ने की कोशिश कर सकती थी. लेकिन कांग्रेस के पास रणनीतिक तौर पर प्लानिंग का अभाव नजर आता है. कमलनाथ हो या दिग्विजय सिंह जो भी इस समय मध्यप्रदेश में कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे हैं वे सभी इस उम्मीद में है कि बीजेपी के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी है या फिर जनता के बीच सरकार को लेकर जो अंडर करंट है, कांग्रेस उसके  सहारे ही चुनावी नैया अपनी पार लगा लेगी. जबकि हकीकत यह है कि कांग्रेस जब तक अपना विजन जनता के सामने स्पष्ट नहीं करेगी, तब तक सत्ता में वापिसी के कांग्रेस के अवसर कम नजर आते हैं’.

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कांग्रेस गिनाए 10 बड़े काम, जनता के बीच बनेगी पैठ
वरिष्ठ पत्रकार अरविंद तिवारी बताते हैं कि ‘कांग्रेस को अब तक कायदे से अपना विजन जनता के सामने रख देना चाहिए था. कांग्रेस यदि बताती है कि यदि वे सत्ता में आते हैं तो यह 10 बड़े काम वह जनता के लिए करेंगे तो उससे कांग्रेस के लिए हवा बनती. लेकिन कांग्रेस बार-बार सिंधिया और उनके समर्थकों को गद्दार, 15 महीने कि उनकी सरकार को षडयंत्र पूर्वक गिरा देने की बातें और कुछ हद तक बीजेपी सरकार की योजनाओं के असफल होने की बातों को ही जनता के बीच अब तक ले जा पाए हैं. बीजेपी की कमियों के साथ ही कांग्रेस यदि अपना विजन भी जनता के सामने रखेगी तो ही कांग्रेस की स्थिति बीजेपी के मुकाबले मजबूत हो पाएगी.

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