Haryana Assembly Elections: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद पार्टी के अंदर बड़ी हलचल मची हुई है. हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तुलना अब मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ से की जा रही है. दरअसल जो कुछ भी हरियाणा में हुआ, वहीं सब कांग्रेस के साथ मध्यप्रदेश में भी हो चुका था. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने पिछली घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया.
ADVERTISEMENT
हरियाणा में पूरी कांग्रेस को लग रहा था कि उनकी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ आ रही है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा इतने अति आत्मविश्वास में आ गए कि उन्होंने कांग्रेस की दलित नेता कुमारी शैलजा को एक तरह से दरकिनार कर दिया. जबकि उनका नाम सीएम पद की दौड़ में चल रहा था और वे खुद विधानसभा चुनाव लड़ना चाह रही थी लेकिन न तो उनको विधानसभा चुनाव में लड़ने दिया और न ही उनके समर्थकों को कांग्रेस ने अधिक टिकट दिए.
कांग्रेस आलाकमान पूरी तरह से भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर निर्भर हो गया था. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कहने पर ही कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया और इसका नतीजा यह हुआ कि आप पार्टी ने हर सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे और इसकी वजह से कई सीट पर कांग्रेस उम्मीदवारों को वोटों का भारी नुकसान हुआ.
मध्यप्रदेश में भी यहीं सब हुआ था
हरियाणा का एक-एक घटनाक्रम पूरी तरह से मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान हुई घटनाओं के जैसा ही नजर आता है. मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस आलाकमान ने कमलनाथ पर पूरा भरोसा जताया. कमलनाथ के कहने पर ही समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया और उनको मांगी गई सीटें नहीं दी. कमलनाथ ने तो यहां तक कह दिया कि कौन अखिलेश-वखिलेश. बाद में उनको इस बयान के लिए माफी मांगनी पड़ी थी. केंद्र में इंडिया गठबंधन और राज्य में उस गठबंधन को तोड़ देने के इस फॉर्मूले का नुकसान कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में उठाया था.
इन उदाहरणों से समझें कि क्यों हो रही है भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कमलनाथ की तुलना
-मध्यप्रदेश में भी कमलनाथ के दिग्विजय सिंह के साथ वैसे ही मतभेद सामने आए, जैसे हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कुमारी शैलजा के साथ आए.
-जिस तरह से मध्यप्रदेश में लग रहा था कि बीजेपी की शिवराज सरकार के 18 साल के शासन के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी है, ठीक उसी तरह लग रहा था हरियाणा में भी बीजेपी की 10 साल की सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश है.
-दोनों ही राज्यों में बेरोजगारी, किसानों की बुरी स्थिति और महिलाओं पर होने वाले अपराधों को कांग्रेस ने मुद्दा बनाया.
-दोनों ही राज्यों में एग्जिट पोल के दौरान कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने की संभावनाएं जताई गई लेकिन जब परिणाम सामने आए तो जैसा मध्यप्रदेश में हुआ था कि बीजेपी को 164 और कांग्रेस को 66 सीटें ही मिली. हरियाणा में भी बीजेपी को 48 और कांग्रेस को 37 सीटें ही मिली.
इंडिया गठबंधन में मचने लगी हलचल, पढ़ें क्या बोल रहे शिवसेना-यूबीटी के संजय राउत
हरियाणा के चुनाव परिणामों की वजह से इंडिया गठबंधन में भी हलचल मचने लगी है. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना-यूबीटी का कांग्रेस के साथ गठबंधन है. लेकिन जिस तरह से कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में समाजवादी को छिटका और फिर हरियाणा में आम आदमी पार्टी को दूर किया, उसकी वजह से गठबंधन के दूसरे दलों में हलचल मचने लगी है.
शिवसेना-यूबीटी के सांसद संजय राउत कह रहे हैं कि कांग्रेस अति आत्मविश्वास में विधानसभा चुनाव लड़ी और हारी है. हरियाणा के परिणामों का विश्लेषण किया जा रहा है. संजय राउत ने कहा कि हरियाणा की स्टेट लीडरशिप की वजह से कांग्रेस चुनाव हारी है. हुड्डा नॉन जाट जातियों को एक साथ लाने में असफल रहे. हरियाणा स्टेट लीडरशिप के अति आत्मविश्वास और अहंकारी रवैये की वजह से कांग्रेस यहां चुनाव हारी है. कांग्रेस को हरियाणा में आम आदमी पार्टी को साथ में लेना चाहिए था. उनको दूर करना गलत था.
ADVERTISEMENT

