CUET UG: CUET UG के नतीजे अभी अनाउंस नहीं हुए हैं. सरकारी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एडमिशन के लिए ये काफी जरूरी माना जाता है. इसमें देरी के कारण कई छात्र ना चाहते हुए प्राइवेट संस्थानों का विकल्प चुन रहे हैं, जिस पर उन्हें अच्छी खासी फीस चुकानी पड़ रही है.
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नतीजों में देरी से परेशान छात्र प्राइवेट कॉलेज का रुख कर रहे छात्र
12वीं कक्षा के छात्र, आदित्य चंद्रा की नज़र दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शीर्ष इकॉनॉमिक्स कॉलेजों पर थी. हालाँकि, CUET UG के नतीजों में देरी के कारण उन्हें लाखों की फीस देकर हरियाणा के एक निजी विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. आदित्य ने बताया कि , "पहले दिन से ही, CUET UG को तरीके से प्रबंधित नहीं किया गया था. प्रश्न पत्रों के देर से वितरण से लेकर छात्रों के घरों से दूर केंद्र आवंटित करने तक." "चूंकि नतीजों में देरी हो रही है, इसलिए मैंने खुद अशोका यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया है. ग्यारह दिन बीत चुके हैं, और मेरे कई दोस्तों भी यही कर रहे हैं. निजी विश्वविद्यालय में मेरी फीस डीयू में दी जाने वाली फीस से बीस गुना अधिक है."
'एग्जाम की पूरी प्रकिया गलत'
CUET UG के नतीजों में देरी को लेकर एक चार्टर्ड अकाउंटेंट निकुंज गर्ग ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त कीं. उन्होंने कहा कि 'मैं भी डीयू का लक्ष्य रखने वाले हजारों छात्रों में से एक हूं. रिजल्ट में देरी ने मुझे कन्फयूज कर दिया है कि क्या इंतजार करना चाहिए या किसी प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेना चाहिए. मैंने एक निजी संस्थान की फीस भर दी है लेकिन अभी भी डीयू की कट-ऑफ सूची का इंतजार कर रहा हूं. मेरा परीक्षा केंद्र घर से बहुत दूर था और वहां पंखा भी नहीं चलता था. एडमिट कार्ड डाउनलोड करने से लेकर आनसर शीट तक पूरी प्रक्रिया गलत तरीके से प्रबंधित की गई.'
CUET के एक अन्य अभ्यर्थी करण तिवारी का कहना है कि यह स्थिति राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा किया गया एक घोटाला है. “छात्र पहले से ही अपनी 12वीं बोर्ड परीक्षा को लेकर तनाव में थे, लेकिन CUET ने और अधिक तनाव बढ़ा दिया है. मेरे अंग्रेजी CUET के दौरान, हमें प्रश्न पत्र देर से मिला और बाद में धमकी दी गई. यह एनटीए और निजी संस्थानों द्वारा किया गया घोटाला जैसा लगता है. निजी संस्थान अभिभावकों और छात्रों पर फीस भुगतान के लिए दबाव बनाने के लिए अपनी समय सीमा कम कर रहे हैं.'
एक चाय बेचने वाले की बेटी खुशी बिडलान की उम्मीदें डीयू पर टिकी थीं. उन्होंने कहा कि "देरी ने मुझे मानसिक और आर्थिक रूप से प्रभावित किया है. शुरुआत में उन्होंने कहा कि परिणाम 20 जून तक आएंगे, फिर 12 जुलाई तक, लेकिन अभी तक नतीजों का कुछ पता नहीं चला है. इससे मेरी आगे की सभी योजनाएं बर्बाद हो गई हैं. हम तय नहीं कर पा रहे हैं कि अब प्राइवेट या सरकारी संस्थानों में किस में जाएं और किसमें नहीं. सर्वर डाउन होने के कारण मैं अपनी आनसर शीट तक भी नहीं पहुंच सकी. शुरू से ही सब कुछ अव्यवस्थित रहा है."
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