Explainer: ब्रेस्ट मिल्क दान कर ज्वाला गुट्टा ने बचाई हजारों बच्चों की जान, जानिए कौन कर सकता है डोनेट और क्या है नियम?

ब्रेस्ट मिल्क बैंक नवजात शिशुओं, खासकर समय से पहले जन्मे और कमजोर बच्चों के लिए जीवनरक्षक साबित होते हैं. यह पहल शिशु मृत्यु दर घटाने में अहम भूमिका निभा रही है और माताओं को सुरक्षित दूध दान के लिए प्रेरित कर रही है.

ब्रेस्ट मिल्क दान
ब्रेस्ट मिल्क दान

अलका कुमारी

• 07:00 AM • 17 Sep 2025

follow google news

हाल ही में भारत की पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने एक ऐसा काम किया है, जिसने लोगों के दिलों को छू लिया. दरअसल अप्रैल में बेटी के जन्म के बाद से अब तक ज्वाला एक सरकारी अस्पताल को 30 लीटर से भी ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क दान कर चुकी हैं.

Read more!

उनका ये योगदान उन बीमार और कमजोर नवजात शिशुओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं, जिन्हें मां के दूध की बेहद जरूरत होती है. ज्वाला ने खुद सोशल मीडिया पर इस बात को साझा करते हुए लोगों को जागरूक भी किया.

उन्होंने लिखा,

"ब्रेस्ट मिल्क ज़िंदगी बचाता है. समय से पहले जन्मे और बीमार बच्चों के लिए, दान किया गया दूध उनकी जिंदगी बदल सकता है. अगर आप डोनेट कर सकते हैं तो आप किसी परिवार के लिए हीरो बन सकते हैं. ज्यादा सीखें, जानकारी फैलाएं और मिल्क बैंक की मदद करें."

इतना ही नहीं, ज्वाला ने देश की हर मां से अपील की है कि जो भी महिलाएं ब्रेस्ट मिल्क दान कर सकती हैं, वे इस नेक काम में आगे आएं.

अब सवाल उठता है आखिर ब्रेस्ट मिल्क डोनेशन होता क्या है? कौन महिलाएं दान कर सकती हैं? दूध क्यों इतना जरूरी होता है? और इसे कैसे इकट्ठा और सुरक्षित रखा जाता है? इस रिपोर्ट में हम इन सब सवालों के जवाब विस्तार से समझेंगे.

ब्रेस्ट मिल्क क्यों है इतना जरूरी

दरअसल ब्रेस्ट मिल्क नवजात बच्चों के लिए सबसे बेहतरीन पोषण होता है. इसमें लेक्टोफेरीन नाम का प्रोटीन होता है, जो नवजात शिशुओं की इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है.

ब्रेस्ट मिल्क खासकर उन बच्चों के लिए सबसे जरूरी है जो जन्म के वक्त बहुत छोटे या कमजोर होते हैं. इन्हें ‘प्री-टर्म’ या ‘लो बर्थ वेट’ बच्चे कहते हैं. इस तरह के बच्चे ज्यादा कमजोर होते हैं और उनकी इम्यूनिटी कम होती है, इसलिए उन्हें सही पोषण जल्दी से जल्दी मिलना जरूरी होता है. लेकिन कई बार माताएं बीमारी, दूध की कमी या अन्य वजहों से अपने बच्चों को ब्रेस्ट मिल्क नहीं दे पातीं. ऐसी स्थिति में डोनर मिल्क यानी दान किया गया स्तन दूध बहुत काम आता है.

क्या होता है ये डोनर मिल्क

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की नवजात चिकित्सा विभाग की निदेशक, प्रोफेसर डॉ. सुषमा नांगिया बताती हैं कि डोनर मिल्क वह ब्रेस्ट मिल्क होता है जो किसी स्वस्थ ब्रेस्ट फीड कराने वाली महिला द्वारा अपने बच्चे की जरूरत से ज्यादा दूध होने पर निकाल कर दूसरे जरूरतमंद बच्चों को दिया जाता है.

इसे तरह के दूध को मिल्क बैंक में जमा किया जाता है, फिर सुरक्षित तरीके से जांच और पास्चराइज (उबालकर सुरक्षित) कर के ही इसे जरूरतमंद बच्चों को दिया जाता है.

यह दूध अस्पतालों के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में भर्ती बच्चों के लिए खास होता है, जहां बीमार या कमजोर बच्चे रहते हैं. इन बच्चों के लिए डोनर मिल्क जिंदगी बचाने जैसा काम करता है.

कौन-सी महिलाएं कर सकती हैं ब्रेस्ट मिल्क डोनेट?

ह्यूमन मिल्क बैंकिंग के नियमों के हिसाब से, दूध दान करने वाली महिलाओं को कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देना होता हैं:

  • दान देने वाली महिला और उसका बच्चा दोनों स्वस्थ होने चाहिए.
  • जो महिला अपने बच्चे के लिए जरूरत से ज़्यादा दूध निकाल सकती है, वही दूध दान कर सकती है.

बता दें कि दूध दान करना पूरी तरह से अपनी मर्जी पर होता है, इसमें कोई पैसा नहीं मिलता और इसे कभी भी व्यापार की तरह नहीं किया जाता.

मिल्क दान करने वाली महिलाएं अस्पताल में आने वाली माएं हो सकती हैं, NICU में भर्ती बच्चों की माएं, कामकाजी माएं, या कोई भी ऐसी महिला जो स्तनपान करा रही हो और दूध दान करना चाहे. यहां तक कि जिन माताओं ने अपना बच्चा खो दिया हो वो भी दूध दान कर सकती हैं.

कौन महिलाएं नहीं कर सकतीं डोनेट?

ह्यूमन मिल्क बैंकिंग के नियमों में इस बात का भी साफ साफ जिक्र है कि कौन महिला ब्रेस्ट मिल्क दान नहीं कर सकती हैं. नियम के अनुसार कुछ महिलाएं दूध दान नहीं कर सकतीं.

  • जो महिलाएं अवैध नशीले पदार्थ या तंबाकू का सेवन करती हैं
  • जो महिलाएं नियमित रूप से शराब का अधिक सेवन करती हैं
  • जो दिन में तीन या उससे ज्यादा कैफीनयुक्त पेय पदार्थ (जैसे कॉफी, चाय, कोला) पीती हैं
  • जिन्हें हाल ही में ब्लड ट्रांसफ्यूजन या ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ हो
  • जिन महिलाओं को HIV, हेपेटाइटिस या अन्य गंभीर संक्रामक बीमारियां हों

दान करने से पहले सभी महिलाओं का मेडिकल स्क्रीनिंग किया जाता है. इसमें उन्हें HIV, हेपेटाइटिस A, B, C, सिफलिस और अन्य यौन संचारित रोगों के लिए टेस्ट कराया जाता है. इसके अलावा, उनकी जीवनशैली और व्यवहार की भी जांच होती है ताकि दूध सुरक्षित हो.

क्या है इसकी प्रक्रिया, कैसे करते हैं स्टोर

अगर आप भी ब्रेस्ट मिल्क दान करना चाहती हैं, वो सबसे पहले आपको अस्पताल के ब्रेस्ट मिल्क बैंक से संपर्क करना होगा. वहां दान करने वाली महिला को बताया जाता है कि दूध कैसे साफ-सुथरे तरीके से निकाला और जमा किया जाता है.

दूध निकालते वक्त पूरी सफाई का ध्यान रखा जाता है ताकि कोई नुकसान न हो. वहीं मशीन के जरिए दूध निकाला जाता है और इसे खास कंटेनरों में रखा जाता है.

फिर उसे पास्चराइज किया जाता है, मतलब इसे एक सही तापमान पर गर्म किया जाता है ताकि सारे नुकसानदायक बैक्टीरिया खत्म हो जाएं. इसके बाद दूध को -20 डिग्री सेल्सियस पर डीप फ्रीजर में रखा जाता है ताकि दूध बिलकुल सुरक्षित रहे.

मिल्क बैंक में दो फ्रीज़र होते हैं एक में दूध उस वक्त रखा जाता है जब तक उसकी जांच पूरी नहीं हो जाती, और दूसरा फ्रीजर उस दूध के लिए होता है जो पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है.

कब हुई थी मिल्क बैंक की शुरुआत

भारत में नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य और जीवन रक्षा के लिए ब्रेस्ट मिल्क बैंक एक बेहद जरूरी पहल बन चुकी है. देश का पहला मिल्क बैंक 1989 में मुंबई के सायन अस्पताल में शुरू किया गया था. आज भारत में कुल 125 मानव मिल्क बैंक हैं, जो सरकार, अस्पतालों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा चलाया जा रहा है.

दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और AIIMS के जोधपुर, भोपाल और भुवनेश्वर जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में भी ये सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसके अलावा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों ने अपने मेडिकल कॉलेजों में मिल्क बैंक सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया है.

ये भी पढ़ें: Explainer: मोदी नहीं वाजपेयी सरकार में हुई थी एथनॉल ब्लेंडिंग की शुरुआत, RTI में चौंकाने वाला

    follow google news