मुस्तफाबाद: AIMIM-कांग्रेस को मिल गए इतने मुस्लिम वोट तो साल 2015 वाले फॉर्मूले से जीत जाएगी बीजेपी?

मुस्तफाबाद का लगभग 40% मुस्लिम वोट बैंक इस बार AAP, कांग्रेस और AIMIM के बीच बंटने की संभावना है. 2020 में, यह वोट बैंक एकमुश्त AAP के पक्ष में था. अगर यह वोट बैंक बंटा तो नुकसान सीधे AAP को होगा और बीजेपी को फायदा मिल सकता है, जैसा कि 2015 में हुआ था.

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शुभम गुप्ता

• 04:52 PM • 03 Jan 2025

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Delhi Elections 2025 Mustafabad Seat: दिल्ली किसका के इस एपिसोड में आज हम आपको मुस्तफाबाद सीट का दिलचस्प समीकरण समझाने जा रहे हैं. यह सीट बीजेपी के लिए खास है, क्योंकि 2015 में जब पार्टी ने केवल तीन सीटें जीती थीं, तब यह उनमें से एक थी. 2013 और 2015 की लहर के बावजूद आम आदमी पार्टी (AAP) इस सीट पर नहीं जीत सकी थी. हालांकि, 2020 में केजरीवाल की झाड़ू ने यहां पहली बार कमाल दिखाया और हाजी यूनूस ने इस सीट पर AAP को जीत दिलाई.  

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लेकिन 2025 के चुनाव में AAP ने हाजी यूनूस का टिकट काटकर आदिल अहमद खान को उम्मीदवार बनाया है. दूसरी ओर, बीजेपी साल 2015 के फॉर्मूले से कमल खिलाने की कोशिश में है, कांग्रेस मुस्लिम वोटरों पर फोकस कर रही है, और AIMIM ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को मैदान में उतारकर समीकरण और पेचीदा कर दिया है.  

मुस्तफाबाद सीट: कौन-कौन हैं आमने-सामने?

पार्टी कैंडिडेट
AAP आदिल अहमद खान
कांग्रेस अली मेहंदी
BJP जगदीश प्रधान (संभावित)
AIMIM ताहिर हुसैन

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पिछले चुनावों में किसने मारी बाजी?  

साल पार्टी कैंडिडेट मार्जिन
2013 कांग्रेस हसन अहमद 1,896 वोट
2015 बीजेपी जगदीश प्रधान 6,031 वोट
2020 AAP हाजी यूनूस 20,704 वोट

2020 में, हाजी यूनूस ने करीब 99,000 वोट पाकर AAP को पहली बार मुस्तफाबाद में जीत दिलाई थी. लेकिन इस बार समीकरण बदल चुके हैं.  

मुस्तफाबाद के चुनावी समीकरण  

मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में लगभग 2.6 लाख मतदाता हैं, जिनमें करीब 1 लाख मुस्लिम मतदाता हैं.  
 AAP के पक्ष में फैक्टर:  
1. एंटी-इंकंबेंसी को कम करने के लिए मौजूदा विधायक का टिकट काटा गया.  
2. आदिल अहमद खान की संगठन पर मजबूत पकड़.  
3. मुस्लिम मतदाता उस पार्टी का समर्थन करते हैं जो बीजेपी को हरा सके.  

AAP के खिलाफ फैक्टर:  
1. 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने इस सीट पर बढ़त बनाई थी.  
2. नगर निगम चुनावों में AAP ने मुस्तफाबाद के पांचों वार्ड हारे.  
3. AIMIM ने ताहिर हुसैन को मैदान में उतारकर मुस्लिम वोटों में सेंधमारी की.  

क्या मुस्लिम वोट बैंक होगा निर्णायक?

मुस्तफाबाद का लगभग 40% मुस्लिम वोट बैंक इस बार AAP, कांग्रेस और AIMIM के बीच बंटने की संभावना है. 2020 में, यह वोट बैंक एकमुश्त AAP के पक्ष में था. अगर यह वोट बैंक बंटा तो नुकसान सीधे AAP को होगा और बीजेपी को फायदा मिल सकता है, जैसा कि 2015 में हुआ था.  

नतीजा क्या होगा?

मुस्तफाबाद में चुनावी जंग इस बार बेहद दिलचस्प और पेचीदा हो गई है. जहां AAP अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश में है, वहीं बीजेपी 2015 के फॉर्मूले पर काम कर रही है. कांग्रेस और AIMIM भी मुस्लिम वोटरों को साधने की जद्दोजहद में हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि 2025 में यह सीट किसके नाम होती है.

इनपुट-दिनेश यादव

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