Nara Lokesh बनेंगे डिप्टी CM, Pawan Kalyan के लिए खतरे की घंटी?

टीडीपी में नारा लोकेश चंद्रबाबू के अघोषित राजनीतिक वारिस हैं. अगर पवन कल्याण सरकार में नहीं होते तब नारा लोकेश ही नंबर 2 सरकार होते.

NewsTak

रूपक प्रियदर्शी

22 Jan 2025 (अपडेटेड: 22 Jan 2025, 12:03 PM)

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Andhra Pradesh: 74 साल के हो चुके हैं चंद्रबाबू नायडू. 2029 में जब पांच साल का कार्यकाल पूरा कर चुके होंगे तब 79 साल के होंगे. 2029 का लोकसभा और विधानसभा चुनाव 79 साल की उम्र में लड़ रहे होंगे. चुनावी राजनीति करते हुए चंद्रबाबू के 47 साल हो चुके हैं. 30 साल पहले पहली बार आंध्र प्रदेश के सीएम बने थे. इतना सब बताने का मतलब ये कि चंद्रबाबू नायडू भरपूर राजनीति, भरपूर सत्ता सुख भोग चुके हैं. पहली बार अब टीडीपी में चर्चा शुरू है कि चंद्रबाबू नायडू का विकल्प तैयार रहना चाहिए. 

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नारा लोकेश बनेंगे सीएम?

चुनावों के बाद जब आंध्र प्रदेश में सब कुछ सेट हो चुका तब टीडीपी में चर्चा शुरू हुई चंद्रबाबू के बेटे और पावरफुल मंत्री नारा लोकेश के प्रमोशन को लेकर. अचानक एक साथ बहुत सारी आवाजें उठीं कि नारा लोकेश को डिप्टी सीएम के तौर पर प्रमोशन मिलना चाहिए. ये चर्चा तब शुरू हुई जब टीडीपी पोलित ब्यूरो की बैठक में दो सीनियर नेताओं श्रीनिवास रेड्डी और सोमिरेड्डी चंद्रमोहन रेड्डी ने चंद्रबाबू नायडू की मौजूदगी में मांग रख दी कि 2026 में नारा लोकेश को सीएम बनाना चाहिए. 

इस चर्चा में ट्वि्स्ट तब आया जब चंद्रबाबू नायडू ने रेड्डी के प्रस्ताव पर ये कहकर मुहर लगा दी कि प्रस्ताव स्वीकार्य है, लेकिन हमें इसे तुरंत लागू नहीं करना चाहिए। इसके बाद नई चर्चा ये हुई कि नारा लोकेश को डिप्टी सीएम बनाना चाहिए. नायडू की सत्ता में वापसी में नारा लोकेश का बड़ा योगदान माना गया. युवागलम यात्रा तेलुगू युवाओं को टीडीपी के साथ जोड़ने में सफल साबित हुई. सदस्यता अभियान को लीड करके एक करोड़ लोगों को पार्टी से जोड़ा. फिलहाल हाईटेक सीएम की सरकार में आईटी, एजुकेशन के मंत्री हैं.

कैसे शुरू हुई इसकी चर्चा?

बात टीडीपी के भविष्य, चंद्रबाबू नायडू की राजनीतिक विरासत और नारा लोकेश के प्रमोशन को लेकर शुरू हुई लेकिन तीर लग गया जनसेना पार्टी के पवन कल्याण को जो टीडीपी के अलायंस पार्टनर और नायडू के गहरे दोस्त हैं. सरकार में चंद्रबाबू नायडू नंबर वन और डिप्टी सीएम पवन कल्याण नंबर टू माने जाते हैं. सरकार में एक ही डिप्टी सीएम है वो भी अलायंस के कोटे से. 

जब गठबंधन बन रहा था और सरकार की तैयारी चल रही थी तब चंद्रबाबू नायडू ने एलानिया वादा किया था कि सरकार में एक ही डिप्टी सीएम होगा. नारा लोकेश के लिए शुरू हुई मुहिम से चंद्रबाबू नायडू का वादा टूट सकता है. 

जनसेना ने किया विरोध

नारा लोकेश को पवन कल्याण के बराबर दर्जा देने की मांग तेज होने से जनसेना पार्टी में पैनिक रिएक्शन हुआ है. पार्टी ने पवन कल्याण के पर कतरने वाली मुहिम के तौर पर लिया. पवन कल्याण के करीबी किरण रॉयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर प्रो नारा लोकेश मुहिम का विरोध किया. कहा कि हम लोग आने वाले समय में अपने नेता पवन कल्याण को आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं. बेहतर होगा कि टीडीपी चुनाव से पहले हुए समझौते पर बनी रहे.

पहले तो लगा कि ये सब सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी है. जब बयानबाजी मुहिम बनने लगी तो चंद्रबाबू नायडू को दखल देना पड़ा. टीडीपी नेताओं को मैसेज दिया कि इस तरह की बयानबाजी न करें. या तो कोई चंद्रबाबू की मान नहीं रहा या चंद्रबाबू की सहमति से सब हो रहा है.  चंद्रबाबू नायडू और नारा लोकेश के साथ दावोस गए मंत्री टीजी भरत ने एक और बड़ा बयान दे दिया कि नारा लोकेश डिप्टी सीएम नहीं, सीएम बन सकते हैं. कोई पसंद करे या न करे, लोकेश भविष्य के नेता हैं। भविष्य के सीएम लोकेश ही हैं.

2014 में ली राजनीति में एंट्री

सीएम बनने के बाद चंद्रबाबू नायडू इस बात की जोरदार मुहिम चला रहा हैं कि आंध्र के लोगों को 2 से ज्यादा बच्चे पैदा करने चाहिए. खुद चंद्रबाबू की एक ही संतान है बेटा नारा लोकेश. 1981 में एनटी रामाराव की बेटी नारा भुवनेश्वरी से शादी हुई. 1983 में लोकेश का जन्म हुआ.  विदेश में पढ़े, विदेश में रहे. 2007 में तेलुगू एक्टर नंदमुरी बालाकृष्णन की बेटी ब्राह्णणी से शादी की. तब तक राजनीति से कोसो दूर थे. 

नारा लोकेश राजनीति में तो 2014 में आए. तब टीडीपी ने कांग्रेस को हराकर चुनाव जीतकर सरकार बनाई थी. नारा लोकेश टीडीपी संगठन में काम करते रहे. पोलित ब्यूरो के सदस्य और पार्टी महासचिव बने. 2017 में विधान परिषद के सदस्य बनकर राजनीति में फॉर्मल एंट्री ली. सीएम चंद्रबाबू ने अपनी सरकार में आईटी, पंचायती राज, ग्रामीण विकास मंत्री बनाया. 

2019 में पार्टी को लगा धक्का

2019 का चुनाव टीडीपी और चंद्रबाबू नायडू परिवार के लिए धक्का साबित हुआ. जगन मोहन रेड्डी की लहर में पूरी पार्टी 23 सीटों पर सिमट गई. नारा लोकेश भी अपना चुनाव नहीं बचा सके. सत्ता से दूर रहकर उन्होंने संगठन पर फोकस किया. 2023 में नारा लोकेश की 400 दिनों की युवागलम पदयात्रा टर्नअराउंड मानी जाती है. पार्टी के लिए हाईटेक तरीके अपनाए. चुनाव से पहले जगन मोहन रेड्डी ने चंद्रबाबू को घोटाले के आरोपों में जेल भेज दिया तब नारा ने मां भुवनेश्वरी और पत्नी ब्राह्मणी के साथ पूरी ताकत झोंक दी. चंद्रबाबू नायडू जमानत पर बाहर आए और बाप-बेटे ने मिलकर जगन मोहन रेड्डी की राजनीति पलट दी. 

TDP वारिस हैं नारा

टीडीपी में नारा लोकेश चंद्रबाबू के अघोषित राजनीतिक वारिस हैं. अगर पवन कल्याण सरकार में नहीं होते तब नारा लोकेश ही नंबर 2 सरकार होते. कहा जाता है कि पार्टी और सरकार में बहुत कुछ लोकेश कंट्रोल करते हैं. पूरी चर्चा पर चंद्रबाबू नायडू चुप्पी साधे हुए हैं. पार्टी में जो आवाजें उठी हैं वो पवन कल्याण के पर कतरने के लिए है या सचमुच नारा लोकेश को चंद्रबाबू अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने की तैयारी कर रहे हैं? आज हो या कल, नारा लोकेश आंध्र प्रदेश प्रमोशन का पूरा चांस बन रहा है. हो सकता है अभी सीएम न बनें लेकिन डिप्टी सीएम नारा लोकेश की फोटो सरकारी दफ्तरों की दीवारों पर लगाने के लिए समर्थक बेचैन हो रहे हैं.

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