भारत का पड़ोसी देश नेपाल इस वक्त अपने सबसे बड़े नागरिक आंदोलन से गुजर रहा है. दरअसल भ्रष्टाचार और प्रशासन से नाराज इस देश की युवा जनता ने सरकार का तख्तापलट कर दिया. नतीजा यह हुआ कि प्रधानमंत्री ओली को इस्तीफा देकर भागना पड़ा.
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शुरुआत में तो ये प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया के प्रतिबंध जैसे मुद्दों को लेकर किया जा रहा था, लेकिन कुछ ही समय में इसने हिंसक रूप ले लिया, जिससे इस देश के कई हिस्सों में तोड़फोड़, आगजनी और लूटपाट की घटनाएं सामने आईं.
इस हिंसा और प्रदर्शन का सबसे बड़ा नुकसान नेपाल के होटल इंडस्ट्री को हुआ है. ANI की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछसे एक सप्ताह के भीतर इस देश के होटल इंडस्ट्री को लगभग 25 अरब रुपये का भारी नुकसान हुआ है. इस हिंसक प्रदर्शन में खासकर काठमांडू, पोखरा और अन्य बड़े शहरों के होटल तबाह हो गए, जिससे हजारों लोगों की नौकरी खतरे में आ गई है.
मशहूर हिल्टन होटल सबसे ज्यादा प्रभावित
ANI के अनुसार इस जेन-जी आंदोलन से सबसे ज्यादा काठमांडू का मशहूर हिल्टन होटल प्रभावित हुआ, जहां अकेले 8 अरब रुपये का नुकसान हुआ है. इसके अलावा पोखरा, बुटवल, झापा, विराटनगर जैसे शहरों के होटलों को भी भारी नुकसान हुआ.
होटल एसोसिएशन नेपाल ने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए इस आंदोलन में लगभग 24 होटलों को नुकसान पहुंचा है. इस नुकसान की वजह से कई होटल अभी बंद पड़े हैं और काम फिर से शुरू करने के लिए मरम्मत और इसे फिर से बनाने की जरूरत है. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि होटल बुकिंग में 50% की गिरावट से होटल मालिकों में भारी चिंता है.
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
नेपाल की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बड़ा योगदान है. भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP का लगभग 7 प्रतिशत हिस्सा पर्यटन से आता है. इस देश में हर साल विदेशों से आने वाले लाखों पर्यटक नेपाल की विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख स्रोत हैं. इसलिए होटल उद्योग की सुरक्षा और स्थिरता देश की आर्थिक सेहत के लिए बेहद जरूरी है.
हाल ही में कोविड-19 महामारी के कारण होटल और पर्यटन उद्योग पहले ही बुरी तरह प्रभावित हुआ था. अब जब उद्योग धीरे-धीरे उबर रहा था, तो इस हिंसा ने एक बार फिर बड़ा झटका दिया है. होटल एसोसिएशन नेपाल ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द मरम्मत और आर्थिक मदद नहीं मिली तो 2,000 से ज्यादा लोग बेरोजगार हो सकते हैं.
इसके अलावा, बैंक और वित्तीय संस्थान भी उन होटलों के कर्ज वापस लेने में परेशानी महसूस कर सकते हैं, क्योंकि होटल बिना काम के आय नहीं कमा पाएंगे. इससे निवेशकों का भरोसा टूट सकता है, जो आगे चलकर नेपाल की पर्यटन वृद्धि और आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करेगा.
इस प्रदर्शन का नुकसान
- होटल बंद: कई होटलों को अभी तक मरम्मत नहीं मिली है, जिससे वे काम बंद हैं. इससे लाखों रुपये की रोज़ाना की आमदनी रुक गई है.
- नौकरी पर असर: 2,000 से ज्यादा कर्मचारी अपनी नौकरी खो सकते हैं. यह न सिर्फ उनके परिवारों के लिए समस्या है, बल्कि देश की बेरोजगारी भी बढ़ेगी.
- आर्थिक दिक्कतें: होटल मालिक बैंक कर्ज चुकाने में अटक सकते हैं, जिससे वित्तीय संस्थानों पर भी दबाव बढ़ेगा.
- पर्यटन पर असर: विदेशी पर्यटकों का विश्वास टूट सकता है. हिंसा के कारण नेपाल की छवि खराब हुई है, जिससे पर्यटन में गिरावट आ सकती है.
सरकार और होटल एसोसिएशन की क्या मांगें हैं?
होटल एसोसिएशन नेपाल ने सरकार से जल्द से जल्द एक आर्थिक राहत पैकेज शुरू करने की मांग की है, ताकि होटल अपने नुकसान की भरपाई कर सकें और फिर से काम शुरू कर सकें. साथ ही, उन्होंने एक न्यायिक समिति बनाने का आग्रह किया है, जो हिंसा के दोषियों की जांच करे और उन्हें सजा दिलाए.
सरकार ने भी स्थिति को गंभीरता से लिया है. प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद पुलिस ने स्थिति को संभालना शुरू किया है, लेकिन आर्थिक और सामाजिक नुकसान की भरपाई एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.
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