Akashdeep Story: बिहार के सासाराम के एक सामान्य परिवार से निकलकर आकाशदीप ने वो कर दिखाया जो किसी ने दशकों तक नहीं किया. इंग्लैंड के खिलाफ एजबेस्टन टेस्ट में 10 विकेट लेकर उन्होंने न सिर्फ भारत की जीत तय की, बल्कि 1986 में चेतन शर्मा के बाद विदेशी जमीन पर ऐसा करिश्मा करने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बन गए.
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आकाशदीप का जन्म रोहतास जिले के बड्डी गांव में एक साधारण परिवार में हुआ. उनके पिता रामजी सिंह स्कूल में टीचर थे और वो क्रिकेट को लेकर सख्त रुख रखते थे. लेकिन आकाशदीप के जुनून के आगे यह सख्ती टिक नहीं पाई. बचपन से ही उनकी क्रिकेट को लेकर दीवानगी थी. अपने अपने दम पर आकाशदीप सासाराम से दुर्गापुर और फिर कोलकाता तक पहुंचे.
पिता व भाई की मौत, लेकिन नहीं टूटा हौसला
2015 में पिता की मौत हो गई थी. फिर करीब इसके दो महीने बाद ही उनके बड़े भाई की भी इस दुनिया से चले गए. इससे आकाशदीप भीतर तक टूट गए. इसके बाद तीन साल तक क्रिकेट से दूर रहकर उन्होंने परिवार की जिम्मेदारी उठाई. लेकिन इस दौरान उन्होंने हार नहीं मानी. धीरे-धीरे मां लड्डूमा देवी और भतीजियों के सहारे वो दोबारा मैदान में लौटे.
दुबई से कोलकाता तक का सफर
आकाशदीप को दुबई में टूर्नामेंट खेलने जाना था. इसमें उन्हें उनके चचेरे भाई वैभव कुमार का साथ मिला. इसके बाद आकाशदीप दुबई में टूर्नामेंट खेलने गए. वहां से लौटकर उन्हाेंने कोलकाता में बंगाल अंडर-23 टीम में जगह बनाई. फिर 2017-18 में कोलकाता में 42 विकेट लेकर सबको चौंका दिया. रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन ने उन्हें IPL और इंडिया-ए तक पहुंचाया.
IPL डेब्यू और फिर भारतीय टीम में एंट्री
2022 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने उन्हें टीम में शामिल किया. लगातार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने इंडिया-ए और फिर सीनियर टीम में जगह बनाई. 2024 में रांची टेस्ट में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू किया, जहां उनकी मां स्टेडियम में मौजूद थीं. अब एजबेस्टन टेस्ट में उन्होंने 10 विकेट लेकर इतिहास रच दिया.
एजबेस्टन में 39 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा
वहीं, भारत और इंग्लैंड के बीच एजबेस्टन खेले गए टेस्ट मैच में भारत को 336 रनों से ऐतिहासिक जीत मिली है. इसमें आकाश दीप की भूमिका बेहद अहम रही। पहली पारी में 4 और दूसरी पारी में 6 विकेट लेकर आकाशदीप ने न सिर्फ मैच जिताया, बल्कि चेतन शर्मा के 1986 के रिकॉर्ड की बराबरी की.
मैच के बाद हुए भावुक, बहन को किया याद
मैच के बाद आकाश दीप भावुक होते दिखे. उन्होंने इस जीत को अपनी बहन को समर्पित किया. बताया जा रहा है कि उनकी बहन पिछले दो महीनों से कैंसर से जूझ रही हैं। आकाश ने बताया कि गेंदबाजी के दौरान उन्हें बार-बार अपनी बहन का चेहरा याद आता था. ये भावना उन्हें और बेहतर खेलने की प्रेरणा देती रही। फिलहाल उनकी बहन की हालत स्थिर बताई जा रही है.
अकेडमी के जरिए दे रहे नई पीढ़ी को दिशा
आज आकाशदीप अपने गांव सासाराम में क्रिकेट अकादमी चला रहे हैं, जहां वे सैकड़ों बच्चों को क्रिकेट की बारीकियां सिखाते हैं. उनका संघर्ष, मेहनत और जुनून आज देशभर के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है.
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