महाराष्ट्र में चुनाव खत्म होते ही लाडली बहना योजना से 20 लाख महिलाओं की हो गई छंटनी!

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने की घड़ी आई तब भी माहौल बना कि महायुति लौट नहीं पाएगी. राहुल गांधी की लहर में एमवीए की सरकार बन जाएगी. हो गया उल्टा.

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तस्वीर: न्यूज तक.

रूपक प्रियदर्शी

• 07:48 PM • 07 Jan 2025

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महिलाओं को पैसे देने की चुनावी चाल शिवराज सिंह चौहान ने एमपी में सीएम रहते शुरू की थी. बैक टू बैक चुनाव जीतते रहे शिवराज सिंह चौहान. 2023 में मान लिया था कि बीजेपी की विदाई, कांग्रेस की वापसी हो जाएगी, लेकिन मामा शिवराज ने लाडली बहना योजना से पूरा चुनाव पलट दिया. पिछले कई चुनावों से कहीं ज्यादा ताकत से बीजेपी की फिर सरकार बनी. बदलाव बस इतना हुआ कि शिवराज सिंह चौहान सीएम नहीं बन पाए. 

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने की घड़ी आई तब भी माहौल बना कि महायुति लौट नहीं पाएगी. राहुल गांधी की लहर में एमवीए की सरकार बन जाएगी. हो गया उल्टा. चुनाव से कुछ महीने पहले जुलाई में सीएम रहते एकनाथ शिंदे ने लाडली बहन योजना लॉन्च करके महिलाओं को 1500-1500 रुपये देना शुरू किया. महाराष्ट्र में भी चुनाव पलट गया. महायुति की वापसी हुई. बस शिंदे साहेब सीएम से डिप्टी सीएम हो गए. 

महाराष्ट्र में खड़ा हो गया नया तूफान 

इसी लाडली योजना को लेकर महाराष्ट्र में नया तूफान खड़ा हुआ है. जिन 2 करोड़ 63 लाख महिलाओं ने 1500-1500 रुपये पाने के लिए आवेदन किए उनकी छंटनी शुरू हो गई है. सरकार ने अब योजना का लाभ देने के लिए 2 करोड़ 47 लाख महिलाओं को योग्य माना है. करीब 20 लाख लाडली बहना पर छंटनी की तलवार लटक रही है. 2 करोड़ 34 लाख लाडली बहनों को तो 1500-1500 चुनाव से पहले, चुनाव के बाद मिल रहे हैं. 12 लाख 87 हजार ऐसे महिलाओं की पहचान हुई है जिनके बैंक अकाउंट आधार लिंक नहीं थे. उनको पैसे नहीं मिले. अब उनके खाते में 9-9 हजार दिए हैं. बाकी 20 लाख का क्या होगा. 

महिला और बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने छंटनी का आधार ये बताया है कि बहुत सारी महिलाएं योजना का लाभ लेने के योग्य नहीं रहीं. योजना के नियम और शर्तों के मुताबिक अगर अब आमदनी ढाई लाख रुपये से ऊपर हुई, अगर महाराष्ट्र से बाहर शादी हो गई, अगर घर में फोर व्हीलर आ गया तो ऐसी महिलाओं को लाडली योजना के 1500 नहीं मिलेंगे. अगर कोई लाभार्थी हो गई मतलब पैसे मिल गए, लेकिन शिकायत आई तो जांच कराई जाएगी. एक क्राइटेरिया ये भी कि अगर किसी दूसरी सरकारी योजना का लाभ मिल रहा है तो लाडली योजना से नाम कट जाएगा. सरकार कह रही है कि फायदा उनको मिले जिनको जरूरत है. उनको नहीं जो जरूरतमंद नहीं हैं.

सवाल ये उठ रहे हैं कि चुनाव से पहले जब लाडली योजना शुरू हो रही थी तब इतनी स्क्रीनिंग नहीं हुई थी. सरकार को अब लग रहा है कि loopholes का फायदा उठाकर महिलाएं फायदा ले रही हैं. चुनाव से पहले महिला वोटरों को 1500 देकर वोट लेने की धुन सवार थी. किसी को loopholes की पड़ी नहीं थी. ताबड़तोड़ सब कुछ हुआ. चुनाव तक 3 महीने खिसका दिया दिया ताकि और 7500 रुपये महिलाओं को मिल जाएं. अब लाडली योजना के चुनाव का गेम चेंज हुआ तो बीजेपी रंग दिखा रही है. 

योजना लॉन्च हुई तो सीएम शिंदे थे, अब हैं फडणवीस

जब योजना लॉन्च हुई तो शिंदे सीएम थे. अब योजना आगे चलानी है तो बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस सीएम बन चुके हैं. खूब स्क्रीनिंग के दौर से गुजर रही है शिंदे की लाडली बहना. दोबारा सीएम बनने के लिए शिंदे इतने श्योर थे कि चुनाव में एलान कर रहे थे कि सरकार बनी तो 1500 को बढ़ाकर 2100 कर देंगे लेकिन फडणवीस के दौर में जो 1500 मिल रहे हैं उस पर आफत आ रही है. इसी स्क्रीनिंग के खिलाफ शिवसेना यूबीटी, कांग्रेस ने आसमान सिर पर उठाया है. 

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि 200 करोड़ में योजना का प्रचार करके महाराष्ट्र की महिलाओं से ठगी की बीजेपी ने. 20 लाख महिलाओं को दूध की मक्खी की तरह से निकाला जा रहा है. अगर सरकार ही दावा कर ही है कि 1500 गुना 20 लाख यानी 300 करोड़ अपात्र महिलाओं को ट्रांसफर हुआ तो कैसे इसकी भरपाई कैसे होगी?

लाडली योजना में हो रहे खेल के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगी थी. सुनवाई के दौरान सरकार ने नंबर दिया कि केवल 90 हजार महिलाओं को अपात्र घोषित किया गया है. सरकार ने कहा कि लाडली योजना के आवेदनों में कमी आई है. पहले 11 एजेंसियों को आवेदन  प्रोसेस के लिए लगाया था. अब आवेदन संख्या कम हो रही है तो आंगनवाड़ी केंद्रों को काम दिया गया है. हाईकोर्ट ने योजना को लेकर कोई बड़ा आदेश नहीं दिया, बस इतना कहा कि महिलाओं को लाभ मिलना चाहिए.

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