2023 में सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का कानून बदला था. पहले की व्यवस्था में चीफ जस्टिस भी सलेक्शन पैनल में होते थे. कानून बदला तो विपक्ष के नेता को जगह दी गई. तब राहुल गांधी विपक्ष के नेता नहीं थे. 2024 के लोकसभा चुनाव से राजनीति पलट गई. राहुल लोकसभा में विपक्ष के नेता बन गए. नए कानून के मुताबिक सलेक्शन पैनल में राहुल गांधी भी आ गए. नए कानून के मुताबिक पहले मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति हुई.
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राहुल ने सलेक्शन के समय विरोध जताया था, संसद में भाषण देते हुए उलाहना भी दिया कि ऐसे ही चलाना है तो मेरी क्या जरूरत. तब कहां किसे पता था कि राहुल और ज्ञानेश कुमार की लड़ाई किस लेवल पर चली जाएगी. पूरा 2025 का साल बीत गया, राहुल और ज्ञानेश कुमार की लड़ाई देश की सबसे बड़ी राजनीतिक लड़ाई बन गई. लड़ाई तो पुराने सीईसी राजीव कुमार से भी थी लेकिन ज्ञानेश कुमार के आने के बाद हद ही हो गई.
चर्चित चेहरा के इस खास एपिसोड में आज जानेंगे क्या है ज्ञानेश कुमार की कहानी, कैसे सालभर राहुल और कांग्रेस के निशाने पर रहे CEC ज्ञानेश कुमार और कैसे राहुल की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ने विपक्ष को किया एकजुट...
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर लगाए आरोप
राजीव कुमार के समय से शुरू होकर अब ज्ञानेश कुमार की लीडरशिप में चुनाव आयोग की थू-थू हो रही है. हालात ऐसे बने कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी डंके की चोट पर देश की राजधानी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाते हैं कि चुनाव आयोग वोटों की चोरी कर रहा है. वैसे तो राहुल गांधी चुनाव आयोग और EVM पर शुरू से ही निशाना साधते रहे लेकिन ज्ञानेश कुमार रडार पर सीधे तब से आ गए जब बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR और विपक्ष की ओर से लगाए गए वोट चोरी के आरोपों की वजह से देशभर में सियासी घमासान छिड़ गया.
7 अगस्त को राहुल ने बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयोग पर निशाना साधा, वोट चोरी के आरोप लगाए और एक-एक कर इसके उदाहरण दिए. राहुल टीवी स्क्रीन लगाकर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और एसएस संधू की फोटो दिखाकर अपनी बात कहते हैं.
ज्ञानेश कुमार और राहुल गांधी की सीधी लड़ाई
इस वक्त ज्ञानेश कुमार मुख्य चुनाव आयुक्त हैं, उनके साथ संधू और विवेक जोशी चुनाव आयुक्त हैं. विवेक जोशी ने फरवरी 2025 में ज्वाइन किया है. जोशी लोकसभा चुनाव के वक्त चुनाव आयोग में नहीं थे इसलिए विवादों से बचे हैं लेकिन विपक्ष के सीधे निशाने पर पूरे सालभर ज्ञानेश कुमार बने रहे. राहुल गांधी ने डंके की चोट पर आरोप लगाया कि बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव आयोग ने वोटों की चोरी की. राहुल गांधी की लड़ाई केवल चुनाव आयोग से नहीं है. राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस से मानो चुनाव आयोग का जीना हराम हो गया.
इतना सब हुआ तो CEC ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के 10 दिन बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्ष के सवालों का जवाब दिया और वोट चोरी के आरोपों को निराधार बताया. साथ ही बिना नाम लिए राहुल गांधी को हलफनामा दायर करने या देश से माफी मांगने की बात कही, जिसके बाद विपक्ष और चुनाव आयोग आमने-सामने आ गए. वोट चोरी के आरोप ही राहुल और विपक्ष ने बिहार चुनाव के बाद भी लगाए सारा ठीकरा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर फोड़ दिया .
7 अगस्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद राहुल गांधी ने हाइड्रोजन बम फोड़ने का दावा किया और चुनावी प्रक्रिया में बड़े खुलासे करने की बात कही. राहुल ने कर्नाटक समेत देश की कई सीटों पर हुए चुनावों में गड़बड़ी के आरोप लगाए और इसे सुनियोजित वोट चोरी करार दिया. इन आरोपों के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कई मौकों पर राहुल गांधी पर पलटवार की कोशिश जरूर की, लेकिन उनके जवाब ज्यादातर गोलमोल ही रहे. ज्ञानेश कुमार ने सीधे तौर पर राहुल गांधी को निशाना बनाने से परहेज किया और अधिकांश मामलों में चुप्पी साधे रखी. चुनाव आयोग की ओर से राहुल के आरोपों पर कोई ठोस जवाब सामने नहीं आ पाया और सरकार भी इस पूरे विवाद में ज्ञानेश कुमार के बचाव में खुलकर आगे नहीं आई.
ज्ञानेश कुमार की लाइफ स्टोरी
ज्ञानेश कुमार कोई छोटे-मोटे ब्यूरोक्रेट्स नहीं है, बल्कि इनकी गिनती देश के सबसे बड़े ब्यूरोक्रेट्स और सबसे क्वालिफायड ब्यूरोक्रेट्स में होती है. ज्ञानेश का पूरा करियर कांग्रेस और लेफ्ट सरकारों के लिए काम करते हुए बिता. बीजेपी से परिचय तो तब हुआ जब सेंटर में पोस्टिंग होने लगी. ज्ञानेश कुमार की कहानी जरा सुनने-समझने लायक है क्योंकि पूरा परिवार आईएएस अफसरों और डॉक्टरों से भरा पड़ा है. उनकी बेटी भी मेधा रूपम भी आईएएस हैं और हाल में दिल्ली से सटे नोएडा की डीएम हैं. इतना पढ़े, इतनी डिग्रियां ली कि पूछिए मत. IIT Kanpur से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया. इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट्स ऑफ इंडिया से बिजनेस फाइनेंस(Business Finance) की डिग्री ली. फिर हावर्ड यूनिवर्सिटी से Environmental Economics में डिग्री ली.
अमित शाह ने खोजा था ज्ञानेश कुमार को?
इतना सब करने के बाद ज्ञानेश कुमार ने 1988 में आईएएस की सरकारी नौकरी करने के लिए सिविल सर्विसेज की सबसे कड़ी परीक्षा पास की. 1988 में जब सिविल सर्विसेज क्वालिफाई करके आईएएस बने तो उन्हें केरल कैडर अलॉट हुआ. ज्यादातर करियर का टाइम केरल में बिताया. केरल में पहली पोस्टिंग में अडूर के सब-कलेक्टर बने. फिर धीरे-धीरे किस्म-किस्म के डिपार्टमेंट हेड किए. उन्होंने कई ऐसे पद संभाले जहां वे MD के पद पर थे. Kerala State Development Corporation for SC/ST, Trivandrum Airport Development, Kerala State Cooperative Bank के MD बने. कोचिन नगर निगम के Municipal Commissioner, एर्नाकुलम के कलेक्टर रहने के बाद दिल्ली में केरल सरकार के Resident Commissioner बने. सेकेट्री लेवल पर फाइनेंस से लेकर सिविल सप्लाईज भी संभाले.
हर आईएएस को होम कैडर में बरसों बिताने के बाद दिल्ली में केंद्र सरकार के पद भी संभालने पड़ते हैं. ज्ञानेश कुमार Parliamentary Affairs, डिफेंस, होम, कोऑपरेटिव के सीनियर पोस्टेड पर पोस्टेड रहे. यहीं उनका आमना-सामना अमित शाह से हुआ. ज्ञानेश कुमार ने पांच साल गृह मंत्रालय में काम किया. ऐसा माना जाता है कि ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त के लिए अमित शाह खोजकर लाए. जम्मू कश्मीर से 370 खत्म हुई तो उसके बिल बनाने की ड्राफ्टिंग में भी शामिल रहे ज्ञानेश कुमार. जब रिटायर हुए तब अमित शाह वाली कोऑपरेटिव मिनिस्ट्री के सेकेट्री हुआ करते थे.
कैसे चुने गए थे CEC?
ज्ञानेश कुमार ने पूरा करियर बिना विवाद के बिताया. कभी सोचा नहीं होगा कि रिटायर होने के बाद उन्हें इतने चैलेंजिंग टास्क का सामना करना पड़ेगा. सरकार के खिलाफ जा नहीं सकते, विपक्ष के सामने झुक नहीं सकते. ज्ञानेश कुमार देश के पूर्व आईएएस अफसर हैं. रिटायरमेंट जॉब में उन्हें देश के मुख्य चुनाव आयुक्त का पद मिला और 14 मार्च 2024 को चुनाव आयुक्त बने. 15 मार्च को सीईसी का प्रमोशन मिला और अगले दिन चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की डेट अनाउंस कर दी थी. देश की नई व्यवस्था के मुताबिक अब तीन लोगों की कमेटी चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करती है. जैसा की हमने शुरूआत में बताया कि पहले चीफ जस्टिस कमेटी में होते थे. सरकार ने सीजेआई को हटाकर पीएम मोदी, एक कैबिनेट मंत्री कोटे से अमित शाह और विपक्ष के नेता कोटे से राहुल गांधी की कमेटी बनाई थी. कमेटी में सरकार का पलड़ा 2-1 से भारी रहता है. जिस कमेटी ने ज्ञानेश कुमार को चुना उसमें राहुल गांधी भी ऑफिशियली शामिल थे.
राहुल ने क्यों किया था विरोध?
जब मीटिंग में ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाने का फैसला लिया जा रहा था उसमें राहुल गांधी भी गए थे लेकिन उन्होंने नियुक्ति का विरोध किया था. राहुल गांधी ने सवाल उठाया था कि नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हो रहा है. सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का जो कानून बनाया था उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाने से मना किया था लेकिन केस चल रहा था. राहुल ने इसी आधार पर ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति का विरोध किया था. हालांकि सरकार की परंपरा के हिसाब से चली, सीईसी के रिटायरमेंट के बाद सबसे सीनियर चुनाव आयुक्त को सीईसी बनाया गया लेकिन सब कुछ नए कानून के हिसाब से ही सेट हुआ.
कब तक पद पर बने रहेंगे ज्ञानेश कुमार?
2025 का साल राहुल गांधी वर्सेज चुनाव आयोग यानी ज्ञानेश कुमार और बीजेपी के खिलाफ रही. सालभर देश की राजनीति में वोट चोरी के मुद्दे और राहुल की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से सनसनी मची रही. विपक्ष लगातार सीईसी ज्ञानेश कुमार को पद से हटाने की मांग करता रहा. अगर आने वाले दिनों में संसद के दोनों सदनों में सीईसी को हटाए जाने का प्रस्ताव पास होकर उस पर राष्ट्रपति की मुहर नहीं लगती तो ज्ञानेश कुमार का रिटायरमेंट 2029 में होना है. लेकिन उससे पहले उन्हें देश में दर्जनभर से ज्यादा राज्यों में चुनाव कराने होंगे. 2027 में राष्ट्रपति का चुनाव भी ज्ञानेश कुमार को ही कराना होगा लेकिन ये सब तब जब वो विपक्ष की जद्दोजहद के बाद भी अपने पद पर बने रहते हैं.
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