दलाई लामा ने उत्तराधिकारी की खोज जारी रखने का किया ऐलान, जानें क्या है इसकी प्रक्रिया और चीन क्यों दे रहा है दखल

Dalai Lama successor: दलाई लामा ने घोषणा की है कि उनकी संस्था भविष्य में भी जारी रहेगी और उत्तराधिकारी की परंपरागत प्रक्रिया से खोज की जाएगी. वहीं चीन के विदेश मंत्रालय ने दलाई लामा के इस संदेश को खारिज करते हुए कहा है कि उनके पुनर्जन्म को चीनी सरकार की मंजूरी की जरूरत है.

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03 Jul 2025 (अपडेटेड: 03 Jul 2025, 03:05 PM)

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बुधवार यानी 3 जुलाई को तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने अपने इस संस्था के जारी रखने का ऐलान किया है. जिसका मतलब है कि दलाई लामा के मौजूदा कार्यकाल के बाद भी एक उत्तराधिकारी होगा. उनके इस संदेश ने उन सभी अफवाहों और अटकलों पर रोक लगा दिया है जिसमें कहा जा रहा था कि भविष्य में दलाई लामा की संस्था जारी नहीं रहेगी. 

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यह महत्वपूर्ण घोषणा हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज में तिब्बती बौद्ध धर्म के वरिष्ठ लामाओं की एक धार्मिक बैठक के दौरान एक रिकॉर्डेड वीडियो संदेश के माध्यम से की गई है. माना जा रहा है कि इस घोषणा से सबसे बड़ा झटका चीन को लगा है. चीन हमेशा से ही दलाई लामा के चयन में दखल देना चाहता है, जबकि अमेरिका और भारत तिब्बती बौद्धों की परंपरा का सम्मान करते हुए उन्हें अपने तरीके से दलाई लामा का चुनाव करने का समर्थन करता है. 

ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं कि आखिर ये दलाई लामा कौन होते हैं और उनका चुनाव कैसे किया जाता है. 

दलाई लामा कौन हैं और कैसे होता है उनका चुनाव?

दुनिया में कई धर्म, संस्कृति और परंपराएं हैं. लेकिन इन सभी का मकसद मानवता, शांति और भाईचारा है. भगवान गौतम बुद्ध से शुरू हुए बौद्ध धर्म के अनुयायी आज पूरी दुनिया में फैले हुए हैं. बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध के बाद अगर किसी का सबसे ऊंचा स्थान है, तो वह 'दलाई लामा' का है.

बौद्ध धर्म के अनुयायी दलाई लामा को अपने भगवान के रूप में देखते हैं. दलाई लामा तिब्बती बौद्धों के आध्यात्मिक, धार्मिक और राजनीतिक गुरु होते हैं. तिब्बती बौद्धों में दलाई लामा का चुनाव करने की एक लंबी और गौरवशाली परंपरा रही है. बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग दलाई लामा में भगवान बुद्ध की छवि देखते हैं. वह तिब्बती बौद्धों के सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि राजनीतिक गुरु भी होते हैं.

कैसे चुने जाते हैं दलाई लामा?

तिब्बती समुदाय के अनुसार, 'लामा' शब्द का मतलब होता है 'गुरु'. यानी एक ऐसा गुरु जो सभी का मार्गदर्शन करता है. दलाई लामा के चयन की प्रक्रिया में पिछले दलाई लामा के पुनर्जन्म की खोज शामिल है, जिसे 'स्वर्ण कलश' प्रक्रिया कहा जाता है. 

दरअसल मौजूदा दलाई लामा के निधन के बाद उनके पुनर्जन्म की खोज होती है. इस खोज के लिए उच्च लामाओं की एक परिषद का गठन किया जाता है. यह गठन लामा के निधन के आसपास पैदा हुए बच्चों की खोज करता है. हालांकि ये प्रक्रिया काफी मुश्किल भी है. कई बार तो इस खोज में सालों लग जाते हैं. इस दौरान कोई स्थाई विद्वान लामा गुरु का काम संभालते हैं.

दलाई लामा के पुनर्जन्म के खोज में लगे लोग अपने मार्गदर्शन के लिए अलग-अलग चिह्नों और भविष्यवाणियों के साथ-साथ दलाई लामा के खुद के लेखन और शिक्षाओं की मदद लेते हैं. वे ऐसे बच्चे की तलाश करते हैं जो पिछले दलाई लामा की मृत्यु के समय पैदा हुआ था.

कई परीक्षाओं के बाद होता है चयन

दलाई लामा को खोजने में जो संकेत मिलते हैं उसके आधार पर उस बच्चे को खोजा जाता है जिसने दलाई लामा की तरह जन्म लिया हो. उसके बाद उनकी कई तरह की परीक्षाएं होती हैं.

  • जब एक बार यह साबित हो जाता है कि यही असली लामा वंशज है तो उससे कुछ खास तरह के कार्य करवाए जाते हैं, फिर उसी के आधार पर देखा जाता है कि यह चयन सही है या नहीं.
  • इसके अलावा कुछ खास चीजों की पहचान करवाई जाती है, जो पिछले दलाई लामा से संबंधित होती हैं.
  • सभी प्रमाण सिद्ध होने के बाद ही उसके बारे में सरकार को बताया जाता है. एक बार यह सब पूरा हो जाए तो फिर उस बच्चे को बौद्ध धर्म की शिक्षा दी जाती है. ताकि वह आगे चलकर धर्म का नेतृत्व कर सके.

दलाई लामा के संस्था के जारी रहने के फैसले पर चीन की प्रतिक्रिया 

चीन के विदेश मंत्रालय ने दलाई लामा के इस संदेश को ख़ारिज करते हुए कहा है कि उनके पुनर्जन्म को चीनी सरकार की मंज़ूरी की जरूरत है. इसके साथ ही चीन का ये भी कहना है कि दलाई लामा के उत्तराधिकार की प्रक्रिया में न केवल चीनी कानूनों और नियमों का पालन होना चाहिए. साथ ही  'धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं' का पालन होना चाहिए.

वहीं अमेरिका ने इस मामले में दखल देते हुए चीन को स्पष्ट किया है कि वह दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में चीनी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा. दरअसल साल 2024 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने एक कानून पर हस्ताक्षर किया थे जो तिब्बत को स्वायत्तता दिलाने की मांग को समर्थन देता है.
 

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