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ED Report: पिछले एक दशक में प्रवर्तन निदेशालय (ED) का नाम आपने बार-बार सुना होगा. वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ नेताओं और कारोबारियों पर ईडी की ताबड़तोड़ कार्रवाइयां चर्चा में रही हैं. लेकिन अब एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है. हजारों मामलों में कार्रवाई के बावजूद ईडी पिछले 10 सालों में सिर्फ 15 लोगों को ही सजा दिला पाई है, ED की इन कार्रवाई का कन्विक्शन दर 0.25% है.
पिछले 10 वर्षों में 5,892 मामले दर्ज
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साढ़े दस साल में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत 5,892 मामले दर्ज किए, लेकिन इनमें से केवल 15 लोगों को सजा हुई. यह जानकारी वित्त मंत्रालय ने 29 जुलाई 2025 को राज्यसभा में दी.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि ईडी ने 1,398 शिकायतें कोर्ट में दर्ज कराईं. इनमें 353 शिकायतें ऐसी थीं जो पहले की शिकायतों से जुड़ी थीं या उनमें कुछ नई जानकारी जोड़ी गई थी.
कितने मामलों में हुई कार्रवाई?
राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 30 जून 2025 तक विशेष PMLA कोर्ट ने 300 शिकायतों पर आरोप तय किए, जिनमें 66 अनुपूरक शिकायतें थीं. इनमें से सिर्फ 8 मामलों में 15 लोगों को दोषी ठहराया गया. इसके अलावा ED ने 49 मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है.
ईडी के निदेशक राहुल नवीन ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट (2024-25) में बताया कि शुरुआती वर्षों में PMLA के तहत ज्यादातर मामले ड्रग्स से जुड़े थे. 2014 तक केवल 1,883 मामले दर्ज हुए थे यानी हर साल औसतन 200 से कम केस. उस समय तक 84 शिकायतें दायर हुई थीं और 5,171.32 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई थी.
आगे उन्होंने बताया, 2014 के बाद से ईडी की कार्रवाई में तेजी आई. अप्रैल 2014 से मार्च 2024 तक 5,113 जांच शुरू हुईं, यानी औसतन 511 मामले हर साल. इस दौरान 1,332 शिकायतें दायर की गईं. साल 2024-25 में 775 नए मामले दर्ज किए गए और 333 शिकायतें दायर हुईं जिनमें 34 लोगों को सजा हुई.
चर्चित हस्तियां ईडी के रडार पर
ईडी की कार्रवाई में कई बड़े नाम शामिल रहे हैं. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जैसे नेता ईडी की जांच के दायरे में हैं. इसके अलावा, कई कारोबारी और प्रभावशाली लोग भी एजेंसी के निशाने पर हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
हाल ही में एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाए. रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की पूर्व अध्यक्ष रश्मि सलूजा को कानूनी सलाह देने वाले वकीलों अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को ईडी ने समन भेजा था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी "सारी हदें पार कर रहा है." मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने इस मामले में दिशा-निर्देश बनाने की बात कही.
वकीलों ने चिंता जताई कि ऐसी कार्रवाइयों से उनकी स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है. ईडी की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने माना कि यह गलत था और एजेंसी को वकीलों को समन न भेजने के निर्देश दिए गए हैं.
रश्मि सलूजा से जुड़ा यह मामला है, जिनके खिलाफ ईडी ने सितंबर 2024 में धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया था. इस मामले में उनके वकीलों को समन भेजा गया. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ED को फटकार लगाई थी.
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