Iran Israel War: क्या ईरान को पहले ही मिल गई थी हमले की खबर? रेडिएशन ना मिलने से बढ़ी साजिश की आशंका!

Iran Israel News: अमेरिका और इजराइल द्वारा ईरान के तीन कथित परमाणु ठिकानों पर हालिया हवाई हमलों ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई बहस छेड़ दी है. सवाल ये है कि जब कोई रेडिएशन नहीं मिला, तो क्या हमला सिर्फ प्रतीकात्मक था या ईरान पहले से तैयार था?

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तस्वीर: इंडिया टुडे

विजय विद्रोही

23 Jun 2025 (अपडेटेड: 23 Jun 2025, 08:05 AM)

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Iran Israel News: अमेरिका और इजराइल द्वारा ईरान के कथित परमाणु ठिकानों पर हाल के हवाई हमलों ने तीव्र बहस छेड़ दी है. क्या इन हमलों की जानकारी ईरान को पहले दी गई थी, या ईरान ने पहले ही खतरे को बेअसर कर दिया था? विकिरण (रेडिएशन) का पता न चलने से हमलों की प्रभावशीलता और मकसद पर सवाल उठ रहे हैं.

रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने इज़राइल के साथ मिलकर ईरान के तीन कथित परमाणु बम निर्माण स्थलों पर हवाई हमले किए. बी-2 बमवर्षक विमानों से 300 पाउंड के छह बम तीन स्थानों पर गिराए गए. हालांकि, इन स्थानों पर कोई विकिरण नहीं पाया गया, जिससे सवाल उठता है कि क्या हमले अपने इच्छित लक्ष्यों पर लगे या ईरान को पहले से जानकारी थी.

कोई रेडिएशन का रिसाव नहीं

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), सऊदी अरब, बीबीसी और ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने पुष्टि की है कि कोई रेडिएशन का रिसाव नहीं हुआ है. रेडिएशन की अनुपस्थिति यह सुझाव देती है कि या तो ये स्थान सक्रिय रूप से परमाणु उत्पादन में शामिल नहीं थे, या ईरान ने महत्वपूर्ण सामग्री जैसे समृद्ध यूरेनियम और उपकरणों को पहले ही हटा लिया था.

ईरान की तैयारी पर अटकलें

कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि ईरान को पहले से सूचना मिल गई थी, जिससे उसने 60% समृद्ध यूरेनियम और आवश्यक मशीनरी को स्थानांतरित कर लिया. दूसरों का तर्क है कि हमलों ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया, जिससे ईरान की कथित परमाणु महत्वाकांक्षाओं में 5 से 20 साल की देरी हो गई. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का दावा है कि ठिकाने पूरी तरह नष्ट हो गए, लेकिन विकिरण की कमी परमाणु सुविधा पर हमले की अपेक्षाओं के विपरीत है.

ईरान ने की जवाबी कार्रवाई

ईरान ने हाइफा और रेहोवोट जैसे इजराइली शहरों पर 30 से अधिक मिसाइलें दागकर जवाबी कार्रवाई की, जो तनाव बढ़ने का संकेत है. इसके अलावा, ईरान परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से हटने पर विचार कर रहा है, जिससे वह IAEA की निगरानी के बिना परमाणु गतिविधियां कर सकता है. यह कदम ईरान के परमाणु कार्यक्रम की निगरानी के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को और जटिल कर सकता है.

हमले के पीछे  ट्रम्प की रणनीति

आलोचकों का कहना है कि ये हमले ट्रम्प द्वारा इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और प्रभावशाली यहूदी लॉबी को खुश करने के लिए एक राजनीतिक कदम थे. इसे “एकमुश्त हमला” करार देते हुए, अमेरिका ने संकेत दिया है कि अगर ईरान शांति की ओर बढ़ता है तो आगे के हमले नहीं होंगे. हालांकि, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह खमेनी ने अमेरिका पर अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया और जवाबी कार्रवाई की कसम खाई है.

ईरान के रणनीतिक विकल्प

ईरान ने खाड़ी देशों में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले से परहेज किया है, संभवतः अमेरिका को आगे की कार्रवाई का बहाना न देने के लिए. एक अन्य विकल्प कच्चे तेल के मार्गों को बाधित करना है, जिससे वैश्विक ऊर्जा संकट पैदा हो सकता है. तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और विश्व अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हो सकती हैं. ईरान चीन, रूस या इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) से समर्थन भी मांग सकता है.

बढ़ सकती हैं कच्चे तेल की कीमतें

इन हमलों ने ईरान की जनता को एकजुट कर दिया है, राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ावा दिया और सरकार के घरेलू समर्थन को मजबूत किया. हालांकि, ईरान-इजराइल संघर्ष के और बढ़ने का जोखिम है, जो वैश्विक तेल बाजारों को अस्थिर कर सकता है. दुनिया तनाव के साथ स्थिति को देख रही है, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति दांव पर हैं.

यहां देखें वीडियो:

 

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