देश की वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को देखते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद ने 3 और 4 मई को दो दिवसीय प्रतिनिधि सम्मेलन और कार्यसमिति (वर्किंग कमेटी) की बैठक आयोजित करने का फैसला किया है. यह सम्मेलन नई दिल्ली में जमीयत के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी की अध्यक्षता में होगा, जिसमें देशभर से संगठन के प्रतिनिधि, पदाधिकारी और सदस्य शामिल होंगे.
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वक्फ कानून और कई अहम मुद्दों पर होगी चर्चा
सम्मेलन में वक्फ कानून को लेकर जारी कानूनी लड़ाई, पहलगाम आतंकी हमला, देश में फैल रही नफरत और तनाव, तथा सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बावजूद मस्जिदों-मदरसों पर हो रही बुलडोजर कार्रवाई जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी.
संविधान ही देश की सबसे बड़ी ताकत: जमीयत
जमीयत उलमा-ए-हिंद का मानना है कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका संविधान है, जिसने सभी धर्मों और समुदायों को समान अधिकारों के साथ जोड़े रखा है. बता दें कि जमीयत उलमा-ए-हिंद देश का सबसे बड़ा मुस्लिम संगठन है और संगठन ने आजादी की लड़ाई और संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
'आतंकवाद का इस्लाम से कोई संबंध नहीं है'
'जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने बयान जारी कर कहा है कि कुछ शक्तियां सत्ता और राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश की गंगा-जमुनी तहजीब को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा कि आतंकवाद का इस्लाम से कोई संबंध नहीं है और मीडिया द्वारा इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश गलत है. वहीं हमले के दौरान स्थानीय लोगों द्वारा टूरिस्ट की जान बचाने की उन्होंने सराहनीय की.
5 मई को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर सुनवाई
आपको बता दें कि सबसे पहले जमीयत उलमा-ए-हिंद ने वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इस मामले में 5 मई को 5 याचिकाओं पर सुनवाई होनी है. इसमें जमीयत की याचिका पहले नंबर पर है. जमीयत की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल कोर्ट में स मामले की पैरवी करेंगे.
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