मेघालय में शादी से पहले HIV टेस्ट अनिवार्य करने की तैयारी, लेकिन क्यों? वजह हैरान करने वाली

मेघालय सरकार ने राज्य में बढ़ते HIV/AIDS मामलों को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है. सरकार एचआईवी/एड्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक नया कानून लाने पर विचार कर रही है.

hiv test
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न्यूज तक

• 11:50 AM • 27 Jul 2025

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मेघालय सरकार ने राज्य में बढ़ते HIV/AIDS मामलों को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एम्परिन लिंगदोह ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार एचआईवी/एड्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक नया कानून लाने पर विचार कर रही है.

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क्यों ज़रूरी है यह कदम?

मेघालय में एचआईवी/एड्स के प्रसार दर चिंताजनक है. लिंगदोह ने बताया कि देशभर में मेघालय एचआईवी/एड्स के मामलों में छठे स्थान पर है, और पूर्वोत्तर क्षेत्र इस संक्रमण से विशेष रूप से प्रभावित है. उन्होंने गोवा का उदाहरण देते हुए कहा, "अगर गोवा शादी से पहले एचआईवी जांच को अनिवार्य कर सकता है, तो मेघालय क्यों नहीं? यह पूरे समाज के लिए फायदेमंद होगा."

नीति बनाने पर हो रही है चर्चा

द हिंदू की खबर के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि उन्होंने उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन टिनसोंग की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण मीटिंग में हिस्सा लिया है. इस मीटिंग में समाज कल्याण मंत्री पॉल लिंगदोह और पूर्वी खासी हिल्स जिले के आठ विधायक भी मौजूद थे. इस दौरान एचआईवी/एड्स पर एक विस्तृत नीति बनाने पर गहन चर्चा हुई.

स्वास्थ्य विभाग को इस संबंध में जल्द ही एक कैबिनेट नोट तैयार करने का निर्देश दिया गया है. इसके अलावा, गारो हिल्स और जैंतिया हिल्स क्षेत्रों में भी इसी तरह की बैठकें आयोजित की जाएंगी, ताकि पूरे राज्य के लिए एक समग्र और क्षेत्र-वार रणनीति तैयार की जा सके.

बढ़ते मामले और उपचार की स्थिति

लिंगदोह ने पूर्वी खासी हिल्स जिले के आंकड़ों पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने बताया कि इस अकेले जिले में अब तक एचआईवी/एड्स के 3,432 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से केवल 1,581 मरीज ही उपचार प्राप्त कर रहे हैं. मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य में इस संक्रमण का मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध हैं.

उन्होंने यह भी कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जांच के बाद संक्रमित पाए गए हर व्यक्ति का इलाज हो. एचआईवी/एड्स जानलेवा नहीं है, अगर इसका समय पर और सही तरीके से इलाज किया जाए." गोवा में भी इसी तरह के मामलों को देखते हुए एचआईवी जांच को लेकर नियम बनाए गए हैं.

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