नेपाल में नया सवेरा, PM सुशीला कार्की के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार, भारत ने जारी किया ये बयान! 

Nepal Interim Government: नेपाल में राजनीतिक अनिश्चितता के बाद, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नेतृत्व में नई अंतरिम सरकार बनी है. भारत ने इस कदम का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि इससे शांति और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा.

NewsTak

ललित यादव

13 Sep 2025 (अपडेटेड: 13 Sep 2025, 08:48 AM)

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Nepal Interim Government: नेपाल में अंतरिम सरकार का गठन हो गया है. पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार देर रात अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. भारत ने सुशीला कार्की के नेतृत्व में गठित नई अंतरिम सरकार का स्वागत किया है. भारत ने इस कदम को शांति और स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण बताया है.

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भारत का आधिकारिक बयान

भारतीय विदेश मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा, "हम सुशीला कार्की के नेतृत्व में बनी नेपाल की अंतरिम सरकार का स्वागत करते हैं. हमें विश्वास है कि यह कदम नेपाल में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देगा." 

बयान में यह भी कहा गया कि भारत एक करीबी पड़ोसी और लोकतांत्रिक साझेदार के रूप में नेपाल के साथ मिलकर दोनों देशों के लोगों की भलाई और समृद्धि के लिए काम करता रहेगा.

राजनीतिक उथल-पुथल के बाद नई शुरुआत

नेपाल में कई दिनों तक चली राजनीतिक अनिश्चितता के बाद सुशीला कार्की को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है. पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद यह कदम उठाया गया. ओली को सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के कारण देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा. 

शुक्रवार रात काठमांडू में राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सुशीला कार्की को पद की शपथ दिलाई. इस समारोह में नेपाल के मुख्य न्यायाधीश, वरिष्ठ अधिकारी, सुरक्षा प्रमुख और राजनयिक मौजूद थे.

सुशीला कार्की के सामने बड़ी जिम्मेदारी

सुशीला कार्की को 6 महीने के भीतर नए संसदीय चुनाव कराने का जिम्मा सौंपा गया है. उनकी अगुवाई में अंतरिम सरकार तब तक काम करेगी, जब तक नई सरकार का गठन नहीं हो जाता. 

इस आंदोलन का नेतृत्व 'हामी नेपाल' नामक एक गैर-सरकारी संगठन ने किया था. इस NGO ने कार्की को अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी सौंपने से पहले तीन मुख्य शर्तें रखीं:

1. मौजूदा संघीय संसद को भंग करना: यह शर्त मान ली गई है, जिसका मतलब है कि 2022 के संसदीय चुनावों में चुनी गई संसद अब भंग हो जाएगी.

2. न्यायिक जांच: 8 और 9 सितंबर को हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए युवाओं की मौत की निष्पक्ष न्यायिक जांच कराई जाएगी.

3.  संपत्ति की जांच: पिछली सरकार के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और अन्य मंत्रियों की संपत्ति की जांच के लिए एक न्यायिक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा.

Gen Z आंदोलन की अहम भूमिका

नेपाल के युवाओं, खासकर Gen Z ने सुशीला कार्की के नेतृत्व में भरोसा जताया है. हामी नेपाल एनजीओ के नेतृत्व में चले आंदोलन ने कार्की को अंतरिम सरकार की कमान सौंपने में अहम भूमिका निभाई है. बात दें सुशीला कार्की को पहले उसी सरकार ने महाभियोग के जरिए निलंबित किया था, जिसके तख्तापलट के बाद अब उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी मिली है. अब सुशीला कार्की को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संसदीय चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई है.

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