Pahalgam Terror Attack: आखिर पाकिस्तान से कैसे हो रही है घुसपैठ और कौन है जिम्मेदार?

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पीर पंजाल की पहाड़ियों में आतंकियों की बढ़ती सक्रियता ने सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. फेंसिंग में सेंध और खुफिया तंत्र की कमजोरियों ने देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए नई चुनौती पैदा कर दी है.

Representative Image (Photo Ai)

Representative Image (Photo Ai)

विजय विद्रोही

29 Apr 2025 (अपडेटेड: 29 Apr 2025, 03:24 PM)

follow google news

Pahalgam Attack News:जम्मू-कश्मीर के पीर पंजाल क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों को लेकर चिंताजनक जानकारी सामने आई है. ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, इस क्षेत्र में 120 से 130 आतंकवादी सक्रिय हैं, जिनमें से 80 से ज्यादा विदेशी हैं. पीर पंजाल के उत्तरी हिस्से में 75-80 आतंकवादी, जिनमें 50 विदेशी, और दक्षिणी हिस्से में 45-50 आतंकवादी, जिनमें 30 विदेशी, सक्रिय बताए जा रहे हैं.

Read more!

सीमा सुरक्षा में खामियां उजागर

ये आतंकवादी तारबंदी (फेंसिंग) को पार करके भारत में प्रवेश कर रहे हैं. सवाल उठता है कि सीमा पर लगी तारबंदी इतनी आसानी से क्यों पार हो रही है? विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में बर्फबारी से तारबंदी को नुकसान पहुंचता है, और गर्मियों में इसकी मरम्मत में महीनों लग जाते हैं. नौकरशाही और टेंडर प्रक्रिया में देरी इस समस्या को और गंभीर बनाती है. 

तकनीकी कमियां और बिजली की समस्या

सीमा पर लगे नाइट विजन उपकरणों की बैटरी सर्दियों में जल्दी खत्म हो जाती है, और बिजली आपूर्ति की कमी के कारण इन्हें चार्ज करना मुश्किल होता है. तारबंदी में करंट की व्यवस्था भी बिजली की अनियमित आपूर्ति और कम वोल्टेज के कारण प्रभावी नहीं हो पा रही है. सर्चलाइट और जनरेटर के लिए डीजल की कमी भी एक बड़ी समस्या है. 

आधुनिक हथियारों का खतरा

रिपोर्ट्स में यह भी खुलासा हुआ है कि पंजाब, नेपाल और राजस्थान के रास्ते ड्रोन के जरिए हथियार और ड्रग्स की तस्करी हो रही है. आतंकवादी नाटो-ग्रेड के आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो अफगानिस्तान में तालिबान के पास अमेरिका द्वारा छोड़े गए हथियारों से सप्लाई किए जा रहे हैं. 

इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम में देरी

2016 के पठानकोट हमले के बाद शुरू किया गया इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम प्रोजेक्ट, जो आधुनिक तकनीक से तारबंदी को मजबूत करने के लिए था, अभी तक पूरा नहीं हुआ. 2018 और 2023 की डेडलाइन मिस होने के बाद भी यह प्रोजेक्ट अधर में लटका है. 

जिम्मेदारी किसकी?

सीमा सुरक्षा में चूक के लिए सेना, अर्धसैनिक बल, जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और केंद्र सरकार पर सवाल उठ रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि नीतिगत सुस्ती (पॉलिसी पैरालिसिस) और नौकरशाही की बाधाएं इस समस्या को और गंभीर बना रही हैं. 

पहलगाम हमले में खुफिया चूक

हाल ही में पहलगाम में हुई सुरक्षा चूक को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. पूर्व रॉ चीफ एएस दुलत ने बताया कि आतंकवादी फोल्डिंग सीढ़ियों का इस्तेमाल कर तारबंदी पार कर रहे हैं. इस घटना में खुफिया विभाग की नाकामी को गंभीर माना जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं की जांच तेजी से होनी चाहिए और जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए. 

पुलवामा हमले की याद

2019 के पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए यह बताया गया कि हमले से पहले 11 खुफिया सूचनाएं मिली थीं, फिर भी इसे रोका नहीं जा सका. जांच की सुस्त रफ्तार और जवाबदेही की कमी पर भी सवाल उठ रहे हैं. 

आगे क्या?

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को सीमा सुरक्षा को मजबूत करने, खुफिया तंत्र को बेहतर करने और जांच प्रक्रिया को तेज करने की जरOrt है. साथ ही, नीतिगत सुधारों और आधुनिक तकनीक के उपयोग पर जोर देने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

यहां देखिए वीडियो:

 

    follow google newsfollow whatsapp