राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों के बीच कर्नाटक के BJP उम्मीदवार ने भी चुनाव आयोग को घेरा

कौन हैं कांग्रेस के नांजेगौड़ा जो चुनाव जीतने के बावजूद अब बीजेपी के मंजूनाथ से कोर्ट में हार गए. मंजूनाथ ने चुनाव आयोग को क्यों घेरा? क्या है ये पूरा मामला? जानिए विस्तार से.

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तस्वीर: न्यूज तक.

रूपक प्रियदर्शी

18 Sep 2025 (अपडेटेड: 18 Sep 2025, 07:34 PM)

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राहुल गांधी की एटम बम वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस से देश में वोट चोरी का कैंपेन तेज हुआ है. कैंपेन तो कांग्रेस चला रही है बीजेपी के खिलाफ लेकिन बीजेपी के वो उम्मीदवार भी माहौल का फायदा उठाने में लगे हैं जो मामूली अंतर से चुनाव हारे थे. राहुल गांधी चुनाव आयोग पर धांधली के आरोप लगा रहे हैं. बीजेपी चुनाव आयोग का बचाव कर रही है, लेकिन कर्नाटक के बीजेपी के हारे हुए उम्मीदवार ने ऐसे-ऐसे आरोप लगाए जिससे चुनाव आयोग की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है. 

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बीजेपी उम्मीदवार मंजूनाथ गौड़ा ने कांग्रेस पर नहीं, आरोप चुनाव आयोग पर लगाए और अपनी लड़ाई को कर्नाटक हाईकोर्ट तक ले गए. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट ने सुनाया होश उड़ाने वाला फैसला. 

BJP के मंजूनाथ हारे पर हार नहीं मानी 

कर्नाटक में 2023 में विधानसभा चुनाव हुए थे. कोलार जिले की मालूर विधानसभा सीट ऐसी एक सीट थी जिस पर हार-जीत का फैसला केवल 248 वोटों से हुआ था. कांग्रेस के केवाई नांजेगौड़ा  248 वोटों से जीते थे. बीजेपी के के एस मंजूनाथ गौड़ा 248 वोटों से हारे थे. मंजूनाथ ने अपनी हार स्वीकार नहीं की. 

हाईकोर्ट पहुंचे मंजूनाथ 

इधर चुनाव नतीजे को चैलेंज करते हुए मंजूनाथ हाईकोर्ट पहुंच गए.  करीब ढाई साल बाद मालूर सीट का चुनाव चर्चा में आ गया है. मंजूनाथ की याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस आर देवदास ने मालूर का चुनाव रद्द कर दिया है. चार हफ्ते में रीकाउटिंग का आदेश दिया है. 

कांग्रेस विधायक नांजेगौड़ा की सदस्याता जाने वाली है 

नांजेगौड़ा को राहत फिलहाल इतनी मिली कि 30 दिन में सुप्रीम कोर्ट से अपने पक्ष में कोई आदेश लेकर आएं. सुप्रीम कोर्ट से नांजेगौड़ा को कोई राहत नहीं मिली तो विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी. काउंटिंग ऑफ वोट्स में जिसकी जीत होगी वही जीता हुआ माना जाएगा. अब सुप्रीम कोर्ट में नांजेगौड़ा को अपनी विधायकी बनाए रखने के लिए लड़ाई लड़नी होगी.

मालूर सीट पर अब 4 चुनाव, दो बार कांग्रेस जीती 

मालूर सीट पर अब तक चार विधानसभा चुनाव हुए. एक बार बीजेपी, एक बार जेडीएस और दो बार कांग्रेस की जीत हुई. 2023 में ऐसा कांटे का चुनाव हुआ कि जीतने वाले नांजेगौड़ा  को 50 हजार 955 वोट, बीजेपी के मंजूनाथ को 50 हजार 707 वोट और तीसरे नंबर पर रहने वाले निर्दलीय विजयकुमार हुडी को 49 हजार 362 वोट मिले थे. वोट शेयर में भी बेहद मामूली अंतर रहा. कांग्रेस को 29.4 परसेंट, बीजेपी को 29.3 परसेंट वोट मिले थे. हुड्डी ने हार मान ली. मंजूनाथ नहीं माने. 

मंजूनाथ ने लगाए ये आरोप 

मंजूनाथ गौड़ा ने आरोप लगाया कि काउंटिंग में गड़बड़ी के आरोप लगाए. बीजेपी के मंजूनाथ को कांग्रेस से हारी हुई बाजी जीतनी है लेकिन उनकी लड़ाई से बुरी तरह फंस गया चुनाव आयोग. मंजूनाथ ने वो सारे सबूत कोर्ट में मांग लिए जिनको देने के लिए आम तौर पर चुनाव आयोग आनाकानी करता है. कहा कि वीडियो, कम्प्यूटर, ईवीएम समेत तमाम मैटेरियल और डेटा रिकॉर्ड्स कोर्ट में पेश किए जाएं. मंजूनाथ ने आरोप लगाया था कि काउंटिंग हॉल में अनधिकृत लोग मौजूद थे. काउंटिंग की वीडियोग्राफी भी नहीं हुई थी. 

यहां भी चुनाव आयोग ने सबूत देने के नाम पर टालमटोल की 

मंजूनाथ की याचिका पर 2 साल तक सुनवाई चली. कोर्ट ने चुनाव आयोग को समन भेजे. सबूत देने को कहा लेकिन चुनाव आयोग के अधिकारियों ने टालमटोल की है. कोर्ट के सामने काउंटिंग की वीडियो रिकॉर्डिंग, वीवीपैट से जुड़े डेटा समिट नहीं किए. 
कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि काउंटिंग में गंभीर अनियमिताएं हुईं थी. क्रांतिकारी जजमेंट दिया जो कांग्रेस के झटका, बीजेपी के लिए एक सीट जीतने की उम्मीद बना है.

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