दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव की उस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है जिसमें उन्होंने रूह अफजा जैसे पारंपरिक शरबत को "शरबत जिहाद" बताया था. कोर्ट ने इसे "अस्वीकार्य, चौंकाने वाला और समाज में सांप्रदायिक जहर घोलने वाला" करार दिया है.
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दरअसल, पतंजलि के गुलाब शरबत लॉन्च के मौके पर रामदेव ने कहा था कि "एक शरबत ऐसा है जिससे मदरसे और मस्जिद बनते हैं, जबकि हमारा शरबत गुरुकुल और भारतीय शिक्षा को बढ़ाता है." उन्होंने यह भी कहा, "जैसे लव जिहाद होता है, वैसे ही यह शरबत जिहाद है."
'यह सिर्फ ब्रांड पर हमला नहीं, बल्कि पूरे समुदाय को निशाना बनाना है'
हालांकि रामदेव ने सीधे रूह अफजा का नाम नहीं लिया, लेकिन सोशल मीडिया और बाजार में माना गया कि यह हमला हमदर्द की ओर था. हमदर्द ने इसे सीधे सांप्रदायिक और अपमानजनक बताते हुए कोर्ट का रुख किया. हाईकोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने टिप्पणी को "हेट स्पीच" करार देते हुए कहा कि "यह सिर्फ ब्रांड पर हमला नहीं, बल्कि पूरे समुदाय को निशाना बनाना है." अदालत ने भी माना कि यह बयान "अदालत की अंतरात्मा को झकझोरने वाला" है.
पतंजलि की ओर से सोशल मीडिया पर भी अन्य ब्रांड्स को "टॉयलेट क्लीनर" जैसा बताकर अपने प्रोडक्ट्स को श्रेष्ठ बताया गया, जिससे विवाद और गहरा गया. यह पहली बार नहीं है जब बाबा रामदेव और पतंजलि इस तरह की कानूनी चुनौतियों में फंसे हों. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों पर सख्त रुख अपनाते हुए कंपनी को फटकार लगाई थी. केरल में भी रामदेव के खिलाफ वारंट जारी हो चुका है.
'अदालत की अंतरात्मा को झकझोरती हैं'
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बाबा रामदेव की हाल की टिप्पणियों पर कड़ी नाराजगी जताई, जिसमें उन्होंने लोकप्रिय पेय रूह अफजा को निशाना बनाने के लिए "शरबत जिहाद" जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने बाबा रामदेव की टिप्पणियों के खिलाफ़ रूह अफजा बनाने वाली कंपनी हमदर्द की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि "अस्वीकार्य" टिप्पणियां" अदालत की अंतरात्मा को झकझोरती हैं".
क्या है पूरा मामला?
विवादित टिप्पणी इस महीने की शुरुआत में की गई थी, जब बाबा रामदेव ने पतंजलि के गुलाब शरबत को लॉन्च किया था. लॉन्च के दौरान बाबा रामदेव ने कहा, "एक कंपनी है जो आपको शरबत देती है, लेकिन इससे होने वाली कमाई का इस्तेमाल मदरसे और मस्जिद बनाने में किया जाता है." हालांकि उन्होंने हमदर्द या रूह अफ़ज़ा का नाम नहीं लिया, लेकिन व्यापक रूप से माना जाता है कि उनकी टिप्पणी इसी ब्रांड को निशाना बनाकर की गई थी.
शरबत जिहाद नाम दिया
"अगर आप वह शरबत पीते हैं, तो मदरसे और मस्जिद बनेंगे. लेकिन अगर आप यह पतंजलि के गुलाब शरबत का जिक्र करते हुए पीते हैं, तो गुरुकुल बनेंगे, आचार्य कुलम विकसित होंगे, पतंजलि विश्वविद्यालय का विस्तार होगा और भारतीय शिक्षा बोर्ड बढ़ेगा." टिप्पणी के बाद, कंपनी ने बाबा रामदेव के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया.
बाबा रामदेव ने कहा था, "जैसे लव जिहाद है, वैसे ही यह भी एक तरह का शरबत जिहाद है। इस शरबत जिहाद से खुद को बचाने के लिए यह संदेश सभी तक पहुंचना चाहिए।" इसके बाद हमदर्द ने इस टिप्पणी के खिलाफ याचिका दायर की.
पहले भी पड़ चुके हैं मुश्किलों में
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गया था, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने इसके विज्ञापनों पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया और भ्रामक दावों को लेकर अवमानना नोटिस जारी किया. जनवरी में केरल की एक अदालत ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया, क्योंकि वे दिव्य फार्मेसी द्वारा भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित एक मामले में पेश नहीं हुए. कोझीकोड में भी इसी तरह का एक मामला दर्ज किया गया था. इस मामले की फिर से सुनवाई 12 अप्रैल को होनी है.
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