डॉन बबलू श्रीवास्तव की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट सीरियस, SC ने लगाई इतनी कंडीशन कि बच नहीं पाएगी योगी सरकार

यूपी में योगी सरकार जब चुन-चुनकर पुराने जमाने के बाहुबलियों को ठिकाने लगा रही है तब सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. 28 साल से जेल में बंद गैंगस्टर बबलू श्रीवास्तव की रिहाई की सुगबुगाहट शुरू हुई है. उम्रकैद की सजा काट रहे बबलू श्रीवास्तव 28 साल जेल की सजा काट चुका है. उसकी रिहाई का बन रहा है माहौल लेकिन पेंच बहुत ज्यादा है.

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रूपक प्रियदर्शी

15 Jan 2025 (अपडेटेड: 15 Jan 2025, 02:08 PM)

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UP News: यूपी में योगी सरकार जब चुन-चुनकर पुराने जमाने के बाहुबलियों को ठिकाने लगा रही है तब सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. 28 साल से जेल में बंद गैंगस्टर बबलू श्रीवास्तव की रिहाई की सुगबुगाहट शुरू हुई है. उम्रकैद की सजा काट रहे बबलू श्रीवास्तव 28 साल जेल की सजा काट चुका है. उसकी रिहाई का बन रहा है माहौल लेकिन पेंच बहुत ज्यादा है.

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बबलू श्रीवास्तव ने जेल में अपने अच्छे चाल-चलन का रिकॉर्ड दिखाकर 1938 के कैदियों की रिहाई से जुड़े कानून का हवाला देकर योगी सरकार से रिहाई की मांग की थी. 2016 से बबलू श्रीवास्तव रिहाई की अर्जी लगा रहा है. योगी सरकार रिहा करने के लिए तैयार नहीं है. एक अर्जी खारिज होते ही दूसरी लगाता है. सबसे लेटेस्ट अर्जी 2021 में लगाई. तीन साल तक चुप्पी साधने के बाद योगी सरकार ने नवंबर 2024 में अर्जी खारिज कर दी. तब जाकर बबलू श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई तो सुनवाई भी हुई. राहत की उम्मीद भी जागी है.

बबलू श्रीवास्तव रिहा होगा या नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई ऑर्डर नहीं दिया लेकिन बबलू श्रीवास्तव की रिहाई की याचिका को सीरियसली लिया है. अभी भी कोर्ट ने गेंद योगी सरकार के पाले में डाली है. जस्टिस अभय एस ओका और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने योगी सरकार को निर्देश दिया कि 2 हफ्ते में बताइए कि बबलू श्रीवास्तव को रिहा कर सकते हैं या नहीं. सरकार को निर्देश हुआ है कि वो याचिकाकर्ता के मामले को 10 दिनों में केंद्र सरकार की सहमति के लिए भेजे. फिर चार हफ्ते बाद कोर्ट मामले को देखेगी. 

बबलू श्रीवास्तव बरेली सेंट्रल जेल में बंद है. यूपी में जब अतीक अहमद का एनकाउंटर, मुख्तार अंसारी की जेल में मौत हुई तब भी बबलू श्रीवास्तव को लेकर चर्चा तेज हुई. यूपी में पुलिस की गाड़ियां पलटने का ट्रेंड देखकर बबलू जेल से बाहर निकलकर कोर्ट में पेशी के लिए भी राजी नहीं था. 

कौन है बबलू श्रीवास्तव

बबलू श्रीवास्तव का असली नाम है ओम प्रकाश श्रीवास्तव. उसकी गिरफ्तारी भारत की जांच एजेंसियों की एक सक्सेस स्टोरी है. इलाहाबाद में 1993 में कस्टम ऑफिसर एल डी अरोड़ा की हत्या का आरोप लगने के बाद बबलू श्रीवास्तव सिंगापुर भाग गया. सीबीआई सिंगापुर से प्रत्यर्पण कराकर भारत लाई. केस-मुकदमा चला. 2008 में कानपुर टाडा कोर्ट में बबलू श्रीवास्तव का गुनाह साबित हुआ. उम्रकैद की सजा सुनाई गई. उस पर कुल मिलाकर 42 मुकदमे चल रहे हैं. Aditional Advocate General (AAG) गरिमा प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि unclean hands के साथ बबलू रिहाई की मांग कर रहा है. बीच में बबलू श्रीवास्तव ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी लेकिन कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी.

गाजीपुर के बहुत अच्छे परिवार का बेटा है बबलू श्रीवास्तव. पिता सरकारी कर्मचारी थे. भाई इंडियन आर्मी में कर्नल थे.  पढ़ने में तेज बबलू श्रीवास्तव ने आईएएस, आर्मी ज्वाइन करने के सपने देखे थे. उसी सपने को पूरा करने लखनऊ आया. 1982 में कॉलेज पॉलिटिक्स में उसने किसी को चाकू मारने के बाद पूरी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई. जिसको चाकू मारा उसका गैंग बबलू के पीछे पड़ा. बचने के लिए बबलू किसी और गैंग के साथ जुड़ा और फिर गैंगवारी में घुसते चला गया. 

गैंगवारी करते-करते एक दिन बबलू श्रीवास्तव ने अपना गैंग बनाकर किडनैपिंग, वसूली को प्रोफेशन बना लिया. एक वक्त आया भी आया जब किडनैपिंग किंग कहा जाने लगा. पुलिस पीछे पड़ी तो पहले नेपाल, फिर दुबई भाग गया. दुबई में एक और चेंज आया. बबलू दाउद इब्राहिम के संपर्क में आया. फिर डी कंपनी का आदमी बन बैठा. ड्रग्स, स्मलिंग नया धंधा था. 

बाॅम्बे ब्लॉस्ट ने बदल दी बबलू श्रीवास्तव की जिंदगी 

कहा जाता है कि 1993 के बॉम्बे ब्लास्ट से बबलू श्रीवास्तव की जिंदगी में एक और बड़ा चेंज लाया. ब्लास्ट में देशद्रोही दाऊद का हाथ है, ये जानने के बाद उसने दाऊद को दुश्मन बना लिया. फिर भी बबलू ने क्राइम की दुनिया नहीं छोड़ी. उसी दौर में कस्टम ऑफिसर मर्डर केस में सिंगापुर से उसकी गिरफ्तारी हो गई. तब से वो जेल में सड़ता रहा. शुरू-शुरू में प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में रहा. 1999 में एक बार बरेली सेंट्रल जेल में शिफ्ट हुआ तब से वहीं उम्रकैद की सजा काट रहा है.

2021 में पाकिस्तानी आतंकवादी हाफिज सईद पर जानलेवा हमले के बाद नया किस्सा शुरू हुआ. आरोप लगे कि जेल के अंदर रहकर बबलू श्रीवास्तव भारत की रॉ के एजेंट की तरह काम कर रहा है. उस समय के पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने बबलू का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि वो रॉ के टेरर फाइनेंसिंग का नेटवर्क चला रहा है. 

बहुत सालों तक ये राज रहा. 2 साल पहले उद्योगपति गौतम अदाणी ने ही राज खोला था कि 1998 में अहमदाबाद में उनको किडनैप किया गया था. 15 करोड़ की फिरौती मांगी गई थी. तीन दिन बाद घर लौटे थे. किडनैपर की चंगुल से कैसे छूटे, ये आज भी राज है. आरोप लगे कि अदाणी किडनैपिंग की प्लानिंग में भी बबलू श्रीवास्तव का हाथ था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2009 में दायर चार्जशीट में बबलू श्रीवास्तव का नाम नहीं था. जितने लोग आरोपी बनाए गए थे वो भी 2018 में कोर्ट से छूट गए. गौतम अदाणी कभी आरोपियों को पहचानने या गवाही देने कोर्ट नहीं आए.

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