मोहन डेलकर की मौत पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला: अब न केस, न एफआईआर, पर दादरा में डेलकर परिवार का दबदबा कायम

मोहन डेलकर ने दादरा नगर हवेली से सात बार लोकसभा चुनाव जीतकर इतिहास रचा, लेकिन 2021 में उनकी संदिग्ध मौत से राजनीति में हलचल मच गई। सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या से जुड़े केस में सभी आरोपियों को क्लीन चिट दी, लेकिन डेलकर परिवार का राजनीतिक वर्चस्व अब भी कायम है।

Mohan Dalkar
Mohan Dalkar

रूपक प्रियदर्शी

20 Aug 2025 (अपडेटेड: 20 Aug 2025, 01:08 PM)

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मोहन डेलकर ने सांसद होते हुए ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो सबके बस की बात नहीं. मोहन डेलकर लगातार सात बार एक ही लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव जीतते रहे. मोहन डेलकर से ऊपर इंद्रजीत गुप्त, अटल बिहारी वाजपेयी, सोमनाथ चटर्जी, पीएम सईद समेत कुल 10 सांसदों के नाम हैं. मोहन डेलकर केंद्रशासित प्रदेश दादरा और  नगर हवेली सीट से 1989 से लगातार जीतते रहे. कभी निर्दलीय, कभी कांग्रेस, कभी बीजेपी के टिकट पर. दल बदल का खेल करते हुए मोहन डेलकर ने कभी किसी पार्टी को चुनाव लड़ने लायक या जीतने लायक छोड़ा नहीं. 

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शायद मोहन डेलकर 2024 का चुनाव भी जीत जाते लेकिन उससे पहले 2021 में संदिग्ध हालत में उनकी मौत हो गई. मुंबई के एक होटल में सांसद मोहन डेलकर का शव मिला था. जांच से पता चला कि उन्होंने खुद अपनी जान दी और एक चिट्ठी छोड़ गए जिसमें उन लोगों के नाम लिखे जिनसे तंग आकर जान दे दी. मोहन डेलकर की मौत की चर्चा अचानक इसलिए कि सुप्रीम कोर्ट में आया मोहन डेलकर की मौत का केस.

9 लोगों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप

मोहन डेलकर सांसद थे इसलिए इसलिए उनकी मौत को लेकर काफी सनसनी मची. होटल के कमरे से मिले नोट में मोहन डेलकर ने केंद्रशासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव और लक्षद्वीप के एडमिनिस्ट्रेटर प्रफुल्ल खोड़ा पटेल समेत 9 लोगों के खिलाफ साजिश रचने और तंग करने का आरोप लगाया था. लिखा कि उन्होंने राजनीतिक दबाव के कारण ये कदम उठाया.

फिर भी कोर्ट में ये सबूत काफी नहीं हुआ दोषी ठहराने के लिए. आरोपियों ने हाईकोर्ट में न केवल खुद को बेगुनाह बताया बल्कि एफआईआर रद्द की करने की मांग की थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 9 लोगों पर क्लीन चिट देते हुए एफआईआर तक रद्द करने का आदेश दे दिया. वो एफआईआर जो मोहन डेलकर की मौत के बाद लिखी गई थी. डेलकर का परिवार साबित नहीं कर पाया कि प्रफुल्ल पटेल समेत 9 लोगों के कारण मौत हुई. परिवार ने अपमान करने का आरोप लगाया लेकिन और कुछ ठोस सबूत नहीं पेश कर पाया. अभिनव डेलकर साबित नहीं कर पाए कि आरोपी डेलकर के चलाए जा कॉलेज हड़पने के लिए उत्पीड़न कर रहे थे औऱ उन्हें चुनाव लड़ने से रोक रहे थे. 

मोहन डेलकर के परिवार ने हाईकोर्ट का आदेश नहीं माना. सुप्रीम कोर्ट में याचिका लेकर गए कि एफआईआर बहाल रहनी चाहिए. चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने बेटे अभिवन डेलकर की याचिका सुनी लेकिन कोई मेरिट नहीं पाते हुए याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा एफआईआर कानून का दुरुपयोग करते हुए दाखिल हुई. डेलकर की मौत से जुड़ी एफआईआर भी रद्द करने से मना कर दिया. अब मोहन डेलकर की मौत को लेकर कोई मामला लंबित नहीं हैं. कोई एफआईआर तक नहीं रह गई है. 

अपमान ही आत्महत्या के लिए उकसाने के बराबर नहीं हो सकता

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले की पुष्टि की कि  सांसद को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोपी नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर रद्द की जानी चाहिए. चीफ जस्टिस गवई की बेंच ने कहा कि केवल अपमान ही आत्महत्या के लिए उकसाने के बराबर नहीं हो सकता। अगर किसी को "जाओ और मर जाओ" कहा गया हो और 48 घंटों के भीतर आत्महत्या कर ली गई हो, तो भी धारा 306 लागू नहीं हो सकती। क्या उस व्यक्ति के पास सोचने और 30 पेज का नोट लिखने का समय था?

एफआईआर रद्द होने से मोहन डेलकर की मौत पर विवाद भी खत्म और केस भी खत्म. चूंकि एफआईआर ही रद्द हो गई है इसलिए आगे कोई जांच या कार्रवाई नहीं हो सकती. मोहन डेलकर की मौत केस में कोई भी आरोपी छोटा-मोटा नहीं था. एडमिनिस्ट्रेटर प्रफुल्ल खोड़ा पटेल के अलावा डीएम संदीप सिंह, एसपी शरद दराडे, डिप्टी कलक्टर अपूर्वा शर्मा, एसडीपीओ मनस्वी जैन, सिलवासा थाना के इंस्पेक्टर मनोज पटेल, बड़े अधिकारी रोहित यादव और स्थानीय नेता फत्ते सिंह चौहान और दिलीप पटेल शामिल थे. 

मोहन डेलकर ने 2019 का चुनाव निर्दलीय जीता था. 2020 में जेडीयू में शामिल हो गए थे. मौत के बाद दादरा नागर हवेली में उपचुनाव हुए जिसमें मोहन की पत्नी कलाबेन डेलकर ने चुनाव लड़ा. शिवसेना ने कलाबेन को टिकट दिया था. कलाबेन बीजेपी उम्मीदवार को हराकर संसद पहुंच गईं. 2024 के चुनाव में कलाबेन डेलकर को बीजेपी ने अपने साथ ले लिया. डेलकर परिवार पीएम मोदी से मिला. पार्टी ने टिकट देकर चुनाव लड़ाया. डेलकर नाम पर कलाबेन फिर चुनाव जीतकर सांसद बनी. इस तरह से डेलकर परिवार के पास ही दादरा नागर हवेली सीट 11वीं बार गया है. मोहन डेलकर नहीं रहा लेकिन दादरा में आज भी सिक्का डेलकर का ही चलता है. 

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