FAZ Report: जर्मन अखबार 'फ्रैंकफर्टर ऑलगेमाइन जिटुंग' (FAZ) ने अपनी एक रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला दावा किया है. रिपोर्ट में अनुसार अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी से बात करने के लिए चार बार फोन किया, लेकिन पीएम मोदी ने उनसे बात करने से इनकार कर दिया. रिपोर्ट में इसका कारण बताते हुए लिखा कि पीएम मोदी ट्रंप की आक्रामक नीतियों और भारत की अर्थव्यवस्था को 'डेड इकोनॉमी' कहने वाले बयान से नाराज हैं.
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ट्रंप के बयान से शुरू हुआ विवाद
FAZ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच तनाव तब बढ़ा जब ट्रंप ने 31 जुलाई को भारत और रूस के बीच कच्चे तेल के व्यापार पर टिप्पणी करते हुए कहा, "मुझे परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है. वे दोनों मिलकर अपनी डेड इकोनॉमी को नीचे गिरा सकते हैं."
इस बयान पर PM मोदी ने 10 अगस्त को पलटवार करते हुए कहा कि भारत जल्द ही दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा. अखबार का दावा है कि ट्रंप ने अपनी टिप्पणी के बाद PM मोदी को मनाने के लिए चार बार फोन किया, लेकिन मोदी ने कोई जवाब नहीं दिया.
क्या है तनाव की वजह?
रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ ने दोनों देशों के बीच खटास पैदा की है. आज यानी 27 अगस्त से अमेरिका ने भारत के एक्सपोर्ट पर 50% टैरिफ लागू कर दिया है, जिसमें 25% पहले से लागू था और 25% अतिरिक्त पेनल्टी के रूप में जोड़ा गया है.
FAZ के अनुसार, भारत का 20% एक्सपोर्ट, जैसे कपड़े, ज्वेलरी और ऑटो पार्ट्स अमेरिका जाता है. इस टैरिफ से भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5% से घटकर 5.5% हो सकती है.
जाल में नहीं फंसना चाहते पीएम
FAZ ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पीएम मोदी वियतनाम के नेता के साथ हुए ट्रंप के विवाद को लेकर भी सतर्क हैं. ट्रंप ने वियतनाम के जनरल सेक्रेटरी टो लैम के साथ फोन कॉल पर एक व्यापार समझौते की बात की थी लेकिन बिना किसी समझौते के सोशल मीडिया पर समझौते का ऐलान कर दिया. जर्मन अखबार का कहना है कि पीएम मोदी "उसी जाल में नहीं फंसना चाहते."
जर्मन अखबार ने दावा किया कि ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाने और पाकिस्तान के साथ तेल भंडार विकसित करने के बयानों ने भारत में नाराजगी बढ़ाई है.
खास तौर पर, जब ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में डिनर के लिए बुलाया तो इसे भारत में उकसावे के रूप में देखा गया. FAZ ने लिखा, "यह कदम भारत के लिए अपमानजनक था, क्योंकि भारत पाकिस्तान को अपना कट्टर दुश्मन मानता है."
भारत-चीन की बढ़ती नजदीकी
FAZ ने न्यूयॉर्क के न्यू स्कूल के भारत-चीन इंस्टीट्यूट के को-डायरेक्टर मार्क फ्रेजियर के हवाले से लिखा कि भारत का रुख अब बदल रहा है. फ्रेजियर के अनुसार, "भारत का कभी भी अमेरिका के साथ मिलकर चीन का विरोध करने का इरादा नहीं था." पिछले साल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात के बाद PM मोदी ने कहा था कि उन्हें सबसे ज्यादा सम्मान महसूस हुआ. इस हफ्ते SCO शिखर सम्मेलन में मोदी की भागीदारी से सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्रंप की नीतियां भारत को चीन की ओर धकेल रही हैं.
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