राजीव कुमार के समय से शुरू होकर अब ज्ञानेश कुमार की लीडरशिप में चुनाव आयोग की इतनी थू-थू हो रही है. हालात ऐसे बने हैं कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी डंके की चोट पर देश की राजधानी में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और आरोप लगाते हैं कि चुनाव आयोग वोटों की चोरी कर रहा है.
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इस वक्त ज्ञानेश कुमार मुख्य चुनाव आयुक्त हैं. उनके साथ संधू चुनाव आयुक्त हैं. तीसरे चुनाव आयुक्त हैं विवेक जोशी जिन्होंने फरवरी 2025 में ज्वाइन किया है. जोशी लोकसभा चुनाव के वक्त चुनाव आयोग में नहीं थे इसलिए विवादों से बचे हैं लेकिन विपक्ष के सीधे निशाने पर बने हुए हैं सीईसी ज्ञानेश कुमार.
पीसी करके ज्ञानेश कुमार ने भी चुनाव आयोग और अपना पक्ष रख दिया और आरोपों पर उलटे सवाल दाग दिए. अब चर्चा है कि ज्ञानेश कुमार को सीईसी के पद से हटाने के लिए विपक्ष एकजुट होकर प्रस्ताव लाने वाली हैं, इसलिए ज्ञानेश कुमार बने हैं चर्चित चेहरा, जिनकी कहानी जरा सुनने-समझने लायक है. पूरा परिवार आईएएस अफसरों, डॉक्टरों से भरा पड़ा है.
उनकी बेटी भी मेधा रूपम हाल में दिल्ली से सटे नोएडा की डीएम बनी हैं. अब क्यों ज्ञानेश कुमार के लिए राहुल गांधी की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बन रही मुसीबत, कैसे राहुल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से विपक्ष को किया एकजुट और क्या सीईसी ज्ञानेश कुमार की कहानी बताएंगे चर्चित चेहरा के इस एपिसोड में.
विपक्ष ने लगाए आरोप
बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR और विपक्ष की ओर से लगाए गए वोट चोरी के आरोपों की वजह से देशभर में सियासी घमासान छिड़ गया है.
सीईसी ज्ञानेश कुमार ने 7 अगस्त को राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के 10 दिन बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्ष के सवालों का जवाब दिया और वोट चोरी के आरोपों को निराधार बताया है. साथ ही बिना नाम लिए राहुल गांधी को हलफनामा दायर करने या देश से माफी मांगने की बात कही, जिसके बाद विपक्ष और चुनाव आयोग आमने-सामने आ गए हैं.
अब चर्चा है कि विपक्षी दल, खासतौर पर कांग्रेस मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से हटाने का प्रस्ताव ला सकती है. हालांकि अब तक इसकी औपचारिक पुष्टि नहीं हुई है. अगर ऐसा होता है तो यह वाकई में देश के इतिहास की बड़ी घटना होगी.
चुनाव आयोग ने लगाए वोट चोरी के आरोप
यूं तो विपक्ष लंबे समय से ईवीएम और चुनाव आयोग को लेकर तरह-तरह के दावे करता रहा है लेकिन ज्ञानेश कुमार पर निशाना सधने तब शुरू हुए जब राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगाए और एक-एक कर इसके उदाहरण दिए. राहुल टीवी स्क्रीन लगाकर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और एसएस संधू की फोटो दिखाते हैं. राजीव कुमार रिटायर हो गए.
अब ज्ञानेश कुमार मुख्य चुनाव आय़ुक्त हैं इसलिए निशाने पर भी वही हैं. राहुल गांधी ने डंके की चोट पर आरोप लगाया कि बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव आयोग ने वोटों की चोरी की. राहुल गांधी की लड़ाई केवल चुनाव आयोग से नहीं है. अगर राहुल ये आरोप लगाते हैं कि चुनाव आयोग ने वोटों की चोरी की तो इसका फायदा बीजेपी को मिला. राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस से चुनाव आयोग का जीना हराम हो रखा है.
ऐसे में चर्चा है कि विपक्षी दल खासतौर पर कांग्रेस मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पद से हटाने का प्रस्ताव ला सकती है.
कौन है ज्ञानेश कुमार
ज्ञानेश कुमार का पूरा परिवार आईएएस अफसरों, डॉक्टरों से भरा पड़ा है. उनकी बेटी भी मेधा रूपम भी आईएएस हैं और हाल में दिल्ली से सटे नोएडा की डीएम हैं. देश के सबसे क्वालिफायड ब्यूरोक्रेट्स में रहे ज्ञानेश कुमार. इतना पढ़े, इतनी डिग्रियां ली कि पूछिए मत llT Kanpur से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया.
इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड फाइनैंशियल एनालिस्ट्स ऑफ़ इंडिया से बिजनेस फायनांस की डिग्री ली. फिर Harvard University से Environmental Economics में डिग्री ली. उनका पूरा परिवार आईएएस अफसरों, डॉक्टरों से भरा पड़ा है. उनकी बेटी भी मेधा रूपम भी आईएएस हैं और हाल में दिल्ली से सटे नोएडा की डीएम हैं...
इतना सब करने के बाद ज्ञानेश कुमार ने 1988 में आईएएस की सरकारी नौकरी करने के लिए सिविल सर्विसेज की सबसे कड़ी परीक्षा पास की. 1988 में जब सिविल सर्विसेज क्वालिफाई करके आईएएस बने तो उन्हें केरल कैडर अलॉट हुआ था.
ज्यादातर करियर टाइम केरल में बिताया. केरल में पहली पोस्टिंग में अडूर के सब कलेक्टर बने. फिर धीरे-धीरे किस्म-किस्म के डिपार्टमेंट हेड किए. उन्होंने कई ऐसे पद संभाले जिनका डेजिगनेशन एमडी था. केरल स्टेट डेवलपटमेंट कॉरपोरेशन फॉर SC/ST, त्रीवंद्रम एयरपोर्ट डेवलपमेंट, केरल स्टेट कोऑपरेटिव बैंक के MD बने.
कोचिन नगर निगम के मुनिसिपल कमिश्नर, एर्नाकुलम के कलेक्टर रहने के बाद दिल्ली में केरल सरकार के रेसिडेंट कमिश्नर बने. सेकेट्री लेवल पर फाइनांस से लेकर सिविल सप्लाईज भी संभाले. केरल में बीजेपी सत्ता में नहीं रही. ज्ञानेश का पूरा करियर कांग्रेस और लेफ्ट सरकारों के लिए काम करते हुए बिता. बीजेपी से परिचय तो तब हुआ जब सेंटर में पोस्टिंग होने लगी.
अमित शाह से हो चुका है आमना सामना
हर आईएएस को होम कैडर में बरसों बिताने के बाद दिल्ली में केंद्र सरकार के पद भी संभालने पड़ते हैं. ज्ञानेश कुमार Parliamentary Affairs, डिफेंस, होम, कोऑपरेटिव के सीनियर पोस्टेड पर पोस्टेड रहे. यहीं उनका आमना-सामना अमित शाह से हुआ.ज्ञानेश कुमार ने पांच साल गृह मंत्रालय में काम किया. ऐसा माना जाता है कि ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त के लिए अमित शाह खोजकर लाए. जम्मू कश्मीर से 370 खत्म हुई तो उसके बिल बनाने की ड्राफ्टिंग में शामिल रहे ज्ञानेश कुमार. जब रिटायर हुए तब अमित शाह वाली कोऑपरेटिव मिनिस्ट्री के सेकेट्री हुआ करते थे.
बिना विवाद का बीता पूरा करियर
ज्ञानेश कुमार ने पूरा करियर बिना विवाद के बिताया. कभी सोचा नहीं होगा कि रिटायर होने के बाद उन्होंने इतने चैलेंजिंग टास्क का सामना करना पड़ेगा. सरकार के खिलाफ जा नहीं सकते. विपक्ष के सामने झुक नहीं सकते. ज्ञानेश कुमार देश के पूर्व आईएएस अफसर हैं. रिटायरमेंट जॉब में उन्हें देश के मुख्य चुनाव आयुक्त का पद मिला.
14 मार्च, 2024 को चुनाव आयुक्त बने. 15 मार्च को सीईसी का प्रमोशन मिला और अगले दिन चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के डेट अनाउंस कर दी थी. देश की नई व्यवस्था के मुताबिक अब तीन लोगों की कमेटी चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करती है. पहले चीफ जस्टिस कमेटी में होते थे. सरकार ने सीजेआई को हटाकर पीएम मोदी, एक कैबिनेट मंत्री कोटे से अमित शाह और विपक्ष के नेता कोटे से राहुल गांधी की कमेटी बनाई. कमेटी में सरकार का पलटा 2-1 से भारी रहता है. जिस कमेटी ने ज्ञानेश कुमार को चुना उसमें राहुल गांधी भी ऑफिशियली शामिल थे.
जब मीटिंग में ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाने का फैसला लिया जा रहा था उसमें राहुल गांधी भी गए थे लेकिन उन्होंने नियुक्ति का विरोध किया था. राहुल गांधी ने सवाल उठाया था कि नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हो रहा है. सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का जो कानून बनाया था उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाने से मना किया था लेकिन केस चल रहा था. राहुल ने इसी आधार पर ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति का विरोध किया था. हालांकि सरकार परम्परा के हिसाब से चली. सीईसी के रिटायरमेंट के बाद सबसे सीनियर चुनाव आयुक्त को सीईसी बनाया गया लेकिन सब कुछ नए कानून के हिसाब से सेट हुआ.
राहुल गांधी ने मचाई सनसनी
राहुल गांधी की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ने देश की राजनीति में सनसनी मचाई हुई है. राहुल को लड़ना है बीजेपी से. लड़ाई पहुंच गई चुनाव आयोग वर्सेस राहुल गांधी. चुनाव आयोग कह रहा है कि या तो एफिडेविट लिखकर दीजिए या माफी मांगिए. राहुल गांधी एफिडेविट देने वाले, कहां माफी मांगने वाले. अगर संसद के दोनों सदनों में सीईसी को हटाए जाने का प्रस्ताव पास के होकर उस पर राष्ट्रपति की मुहर नहीं लगती तो ज्ञानेश कुमार का रिटायरमेंट 2029 में होना है और उससे पहले उन्हें पूरे कार्यकाल में 20 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे 2027 में राष्ट्रपति का चुनाव भी ज्ञानेश कुमार को ही कराना होगा लेकिन ये सब तब जब वो विपक्ष की जद्दोजहद के बाद भी अपने पद पर बने रहते हैं तो.
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