वकालत से संसद तक, कौन हैं कसाब को सजा दिलाने वाले उज्जवल निकम, जिन्हें राज्यसभा के लिए किया गया मनोनीत

उज्जवल निकम देश के जाने-माने वकील हैं, जिन्होंने अजमल कसाब जैसे आतंकियों को सज़ा दिलाकर कानून के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है. अब उन्हें राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है.

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न्यूज तक

• 11:16 AM • 13 Jul 2025

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Rajya Sabha nomination: देश के चर्चित और हाई प्रोफाइल मामलों में सरकार की तरफ से कोर्ट में पैरवी करने वाले मशहूर वकील उज्जवल निकम को अब राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है. राष्ट्रपति द्वारा हाल ही में चार लोगों को राज्यसभा भेजा गया, जिनमें उज्जवल निकम का नाम सबसे ज़्यादा चर्चा में है. उनकी पहचान एक तेज-तर्रार और निर्भीक सरकारी वकील के तौर पर रही है, जिन्होंने कई बड़े केसों में अहम भूमिका निभाई है.

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कसाब को सजा दिलाने वाले वकील

उज्जवल निकम, यह नाम सबसे पहले तब सुर्खियों में आया जब उन्होंने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी अजमल कसाब के खिलाफ मजबूती से केस लड़ा. कोर्ट में सरकार की तरफ से दमदार दलीलें पेश करते हुए उन्होंने इस केस को उस अंजाम तक पहुंचाया जहां कसाब को फांसी की सज़ा मिली. इस केस के दौरान उन्हें Z प्लस सिक्योरिटी भी दी गई थी, जो उनके काम की गंभीरता और खतरे को दिखाता है.

जलगांव से दिल्ली तक का सफर

उज्जवल मूल रूप से महाराष्ट्र के जलगांव जिले से ताल्लुक रखते हैं. उनकी अपने करियर की शुरुआत भी वहीं से हुई थी. उन्होंने जिला अभियोजक के तौर पर कार्यभार संभाला और धीरे-धीरे राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई. 1991 के कल्याण बम धमाके से लेकर 1993 के मुंबई ब्लास्ट तक, उन्होंने कई मामलों में अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व किया.

हाई प्रोफाइल केसों के मास्टर

निकम ने केवल एक-दो नहीं, बल्कि कई ऐसे केस लड़े हैं जो देश भर में चर्चा का विषय बने. इनमें गुलशन कुमार हत्याकांड, प्रमोद महाजन हत्या मामला, 2013 का मुंबई गैंगरेप केस और कोपर्डी रेप व मर्डर केस शामिल हैं. ये सभी केस बेहद संवेदनशील और हाई प्रोफाइल रहे हैं, जिनमें निकम की कानूनी सूझबूझ और रणनीति की खूब तारीफ हुई.

600 से ज्यादा उम्रकैद, 37 को फांसी

अपने 30 साल से ज्यादा के करियर में उज्जवल निकम ने करीब 600 दोषियों को उम्रकैद और 37 को फांसी की सज़ा दिलवाई है. ये आंकड़े उनके अनुभव और विशेषज्ञता को बयां करते हैं. इस लंबे और प्रभावशाली करियर के लिए उन्हें साल 2016 में पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है.

राजनीति में भी रखा कदम

2024 के लोकसभा चुनाव में उज्जवल निकम को बीजेपी ने मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था. हालांकि इस चुनाव में उन्हें कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ से करीब 16,000 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन उनकी भूमिका सिर्फ चुनावी हार-जीत तक सीमित नहीं रही, उनका सार्वजनिक जीवन और अनुभव राज्यसभा के लिए उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाता है.

अब संसद के ऊपरी सदन में नई भूमिका

अब जब उज्जवल निकम को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है, तो उनसे उम्मीद की जा रही है कि वो न सिर्फ कानून से जुड़े मसलों पर अपनी पकड़ दिखाएंगे बल्कि देश के हित में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. उनके साथ ही इतिहासकार मीनाक्षी जैन, पूर्व राजनयिक हर्ष श्रृंगला और केरल के समाजसेवी सदानंदन मास्टर को भी नामित किया गया है.

उज्जवल निकम की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने जमीन से उठकर कानून की दुनिया में बड़ा मुकाम बनाया और अब देश की संसद में अपनी बात रखने के लिए तैयार हैं.

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