इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर बीते साल 2024 में खूब घमासान मचा। राजनीतिक पार्टियों को गुप्त तरीके से चंदा देने का अधिकार देने वाली इस योजना को लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर खूब निशाना साधा और वार किया। विवाद इतना बढ़ा कि मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट...सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को इसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। अब इसे लेकर एक रिपोर्ट में दिलचस्प आंकड़े सामने आए हैं।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT