OBC, जाति जनगणना से लेकर राम मंदिर पर होगा 2024 का चुनाव? कौन भारी पड़ेगा, एक्सपर्ट से समझिए

दिसंबर में पांच राज्यों में वोट डाले जाने हैं. राज्यों में पार्टियां वोटरों को रिझाने के लिए तरह-तरह की स्कीमें और गारंटियां लेकर आ रही हैं. विपक्ष जातिगत जनगणना को भी मुद्दा बना रहा है. वहीं बीजेपी अपने हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाने की कोशिश में लग गई है.

2024 का लोकसभा चुनाव राम मंदिर, जाति जनगणना या फिर विकास किस पर लड़ा जाएगा

2024 का लोकसभा चुनाव राम मंदिर, जाति जनगणना या फिर विकास किस पर लड़ा जाएगा

देवराज गौर

• 05:52 PM • 28 Oct 2023

follow google news

न्यूज तकः दिसंबर में पांच राज्यों में वोट डाले जाने हैं. राज्यों में पार्टियां वोटरों को रिझाने के लिए तरह-तरह की स्कीमें और गारंटियां लेकर आ रही हैं. विपक्ष जातिगत जनगणना को भी मुद्दा बना रहा है. वहीं बीजेपी अपने हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाने की कोशिश में लग गई है. 22 जनवरी को अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री मोदी को न्यौता मिल चुका है. विधानसभा चुनावों के खत्म होते ही पार्टियां आम चुनावों की तैयारियों में लग जाएंगी. क्या लोकसभा चुनाव ओबीसी के मुद्दे, कास्ट सेंसस और राम मंदिर के इर्द-गिर्द ही होंगे? कई लोग 2023 के विधानसभा चुनावों को 2024 के आम चुनावों का सेमी-फाइनल भी कह रहे हैं.

Read more!

क्या वाकई विधानसभा चुनावों के नतीजे लोकसभा चुनाव को प्रभावित करेंगे? इसे लेकर न्यूज Tak ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के प्रोफेसर संजय कुमार से बात की.

क्या 2024 का चुनाव धर्म और जाति पर आधारित होगा?

प्रोफेसर संजय कुमार के मुताबिक 2024 का आम चुनाव दो ध्रुवों पर होगा. धर्म और जाति. वो कहते हैं कि राम मंदिर के उद्घाटन की तारीख का ऐलान हो चुका है. इसलिए निश्चित तौर बीजेपी कोशिश करेगी कि हिंदू धर्म, हिंदू धर्म की पहचान, राम मंदिर के सहारे वह वोटरों को अपने पाले में करे. वह कहते हैं कि बीजेपी के लिए यह जरूरी भी है क्योंकि विपक्ष जातिगत जनगणना की बात कर रहा है.

तो क्या बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे को फिर से भुना पाएगी?

दूसरे एक्सपर्ट का मानना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जनसंघ या भारतीय जनता पार्टी इनके यह तीन मुद्दे बहुत पुराने समय से चले आ रहे हैं. राम मंदिर का निर्माण होना चाहिये, अनुच्छेद 370 हटना चाहिए, यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो, ये तीन मुद्दे हमेशा से बीजेपी की बकेट में रहे हैं. इसलिए इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए कि बीजेपी इन पर चुनाव को ध्रुवीकृत नहीं करेगी.

आंकड़े बताते हैं कि ओबीसी का वोट शेयर विभिन्न रीजनल पार्टियों से छिटककर बीजेपी की तरफ गया है. संजय कुमार कहते हैं कि रीजनल पार्टियों का कोर जनाधार था ओबीसी वोट. जिसके आधार पर भारतीय राजनीति में उनका अलग अलग राज्यों में विस्तार हुआ. बीजेपी के आने के बाद कांग्रेस का या अन्य रीजनल पार्टीज का जो जनाधार था वह धीरे धीरे सिकुड़ने लगा. कांग्रेस को जो ज्यादा वोट मिल रहा है वो ज्यादातर दक्षिण भारतीय राज्यों से मिल रहा है. आपको यह समझना होगा कि कांग्रेस को जो वोट मिला, तो क्या बीजेपी का वोट कटा या फिर कांग्रेस ने अन्य रीजनल पार्टिज का वोट काटकर अपने वोट शेयर मे बढ़ोतरी की.

विधानसभा चुनावों के नतीजे से प्रभावित होगा 2024 का चुनाव?

प्रोफेसर संजय कुमार ऐसा नहीं मानते.उनका मानना है कि लोकसभा चुनावों में लोग अलग तरह से वोट करते हैं तो वहीं विधानसभा चुनावों में अलग तरह से. वह कहते हैं कि आप 2018 के चुनावों से देख सकते हैं. जहां 2018 में कांग्रेस अलग अलग राज्यों में सरकार बनाने में सफल रही थी. वहीं बीजेपी ने आम चुनावोंमें लगभग क्लीन स्वीप किया था. उनका मानना है कि पार्टियों के लिए शायद मुद्दे एक ही रहे हों लेकिन वोटरों के मन में मुद्दे अलग थे. इसलिए वोटिंग में इतना अंतर नजर आया.

इस पूरी चर्चा को यहां नीचे दिए गए वीडियो में देखा जा सकता है.

    follow google newsfollow whatsapp