हैदराबाद में AIMIM ने कांग्रेस के साथ मिलकर फिर लहराया परचम, बीजेपी को करारी शिकस्त

Hyderabad News: हैदराबाद लोकल अथॉरिटी कोटे से हुए MLC चुनाव में AIMIM ने बीजेपी को हराकर एक बार फिर अपना दबदबा साबित किया.

NewsTak

रूपक प्रियदर्शी

25 Apr 2025 (अपडेटेड: 25 Apr 2025, 08:08 PM)

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Hyderabad News: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM कहने को तो पहले आंध्र प्रदेश, अब तेलंगाना की पार्टी है लेकिन हैदराबाद से बाहर कभी विस्तार की सोची नहीं. तेलंगाना से बाहर यूपी, बिहार, महाराष्ट्र समेत 20 राज्यों में चुनाव लड़ने गए जरूर लेकिन राजनीति टिकाऊ नहीं रही. ये जरूर किया कि देश में चाहे किसी भी लहर चल रही हो, हैदराबाद में किसी को हाथ रखने नहीं दिया.

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ओवैसी का किला हैदराबाद

तेलंगाना की राजनीति मुसलमान बहुल हैदराबाद असदुद्दीन ओवैसी और अकबरुद्दीन ओवैसी का किला है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हिंदुत्व फेस माधवी लता के जरिए ओवैसी को हैदराबाद से उखाड़ने की चाल चली लेकिन दांव उल्टा पड़ा. माधवी लता हार गईं और फिर ओवैसी का कब्जा हो गया. करीब 9 महीने बाद फिर हैदराबाद में चुनाव हुए सीधे बीजेपी और AIMIM के बीच लेकिन नतीजा ऐसा आया कि हलचल मची है. 

AIMIM बनाम बीजेपी की लड़ाई

तेलंगाना विधान परिषद में MLC की एक सीट हैदराबाद लोकल अथॉरिटी यानी एचएलए कोटे से चुना जाता है. हर 6 साल में बाकायदा चुनाव होता है. वैसे  22 साल से चुनाव तो होते रहे लेकिन वोटिंग की नौबत नहीं आई. पार्टियों के बीच सहमति बन जाने से निर्विरोध उम्मीदवार जीतता रहा. 2019 में बीआरएस के उम्मीदवार एमएस प्रभाकर राव MLC बने थे. इस बार बीजेपी ने खेल पलटने की कोशिश की. ये जानते हुए भी कि जीतने लायक नंबर नहीं है, बीजेपी चुनाव में कूद गई क्योंकि ये AIMIM और ओवैसी के वर्चस्व को चैलेंज करना चाहते थे. 

कांग्रेस का मिला सहारा

23 अप्रैल को हुए चुनाव में कांग्रेस और बीआरएस ने चुनाव से दूरी बनाए रखी. AIMIM को तो हैदराबाद से MLC जिताना ही था. पलटवार में बीजेपी ने ताल ठोंक दी. सीधा मुकाबला दोनों के बीच हुआ लेकिन फाइनली बाजी AIMIM ने बीजेपी को हरा दिया. 112 वोटर्स को वोट डालने थे. 81 कॉरपोरेट ग्रेटर हैदराबाद म्युनिशिपल कॉरपोरेशन के होते हैं. 9 सांसद, 15 एमएलए, 7 एमएलसी यानी 31 ex-officio members होते हैं. हैदराबाद में अगला बड़ चुनाव GHMC का होना है जो साल के अंत में हो सकता है. 2020 के चुनाव में AIMIM, कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी ने 48 सीटें जीतकर बड़ी सनसनी मचाई थी. AIMIM के उम्मीदवार मिर्जा रियाज उल हसन इफेंडी के पक्ष में 63 वोट पड़े जबकि उसके अपने वोट 49 ही थे. कांग्रेस के 14 वोट AIMIM के काम आए. बीजेपी उम्मीदवार एन गौतम राव को सिर्फ 25 वोट मिले. AIMIM का MLC 38 वोटों से जीतकर विधान परिषद पहुंच गया. BRS के चुनाव में हिस्सा नहीं लेने का फैसला भी एंटी बीजेपी कैंप को मिल गया. 

तेलंगाना में AIMIM कांग्रेस के मित्र दल और ओवैसी रेवंत रेड्डी के दोस्त की तरह राजनीति करते हैं. रेवंत रेड्डी और दोनों ओवैसी असदुद्दीन और अकबरुद्दीन में खूब पटरी बैठती है. हैदराबाद HLA MLC चुनाव में इसी दोस्ती यारी में कांग्रेस ने बीजेपी को हराने के लिए AIMIM को जिता दिया. हालांकि तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष बी महेश कुमार गौड़ ने ओवैसी की पार्टी के समर्थन से इनकार किया था लेकिन जहां सरकार हो वहां के फैसलों में प्रदेश अध्यक्ष से ज्यादा सीएम की चलती है. 

AIMIM की लगातार मजबूत होती पकड़

हैदराबाद में ओवैसियों का सिक्का चलते करीब 45 साल हो गए. 1989 से AIMIM और ओवैसी परिवार हैदराबाद से सांसद का चुनाव जीतता रहा. 1989 से 1999 तक ओवैसी के पिता सलाहुउद्दीन ओवैसी लगातार चुनाव जीते. 2004 से असदुद्दीन चुनाव लड़ने लगे. पांच बार चुनाव जीत चुके हैं. हैदराबाद की 9 विधानसभा सीटों पर भी AIMIM का कब्जा बना हुआ है. गोशामहल की एक सीट जो बीजेपी के टी राजा सिंह जीतते थे वो भी 2023 में हाथ से निकल गई. 

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