बारामती में लोकसभा चुनाव में दो-दो हाथ से पहले शरद पवार ने भतीजे सहित पूरी सरकार को बुलाया डिनर पर 

शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में चाणक्य कहे जाते हैं. लेकिन महाराष्ट्र में जैसे-जैसे बीजेपी बढ़ती गई उनकी चाणक्य नीति और चालें कमजोर पड़ती गई.

शिंदे-फडणवीसांकडून पवारांच्या निमंत्रणाला नकार
शिंदे-फडणवीसांकडून पवारांच्या निमंत्रणाला नकार

रूपक प्रियदर्शी

• 11:12 AM • 02 Mar 2024

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Lok Sabha Election 2024: शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में चाणक्य कहे जाते हैं. लेकिन महाराष्ट्र में जैसे-जैसे बीजेपी बढ़ती गई उनकी चाणक्य नीति और चालें कमजोर पड़ती गई. आज इतनी कमजोर हुई कि पार्टी, नाम-निशान सब लेकर अजित पवार बीजेपी में जा मिले लेकिन फिर भी पवार साहेब ने हिम्मत नहीं हारी हैं. अब वो कब क्या खेल कर देंगे इससे बीजेपी सबसे ज्यादा सहमी हुई है.

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दो मार्च को शरद पवार के गढ़ बारामती ने महाराष्ट्र की पूरी पॉलिटिक्स होगी. सीएम एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार के साथ खुद शरद पवार भी बेटी सुप्रिया सुले के साथ होंगे. शिंदे, फडणवीस, अजित पवार बारामती में विद्या प्रतिष्ठान कॉलेज परिसर में 'नमो जॉब फेयर' में हिस्सा लेने वाले हैं. इसी मौके को यादगार बनाने के लिए पवार ने अपने बारामती वाले घर गोविंद बाग पर डिनर रखा है जिसमें शिंदे, फडणवीस, अजित पवार के साथ पूरी कैबिनेट को बुलाया है. पवार इसलिए खुश हैं कि, एकनाथ शिंदे सीएम बनने के बाद पहली बार बारामती आ रहे हैं. 

अब इसमें राजनीति ये है कि, नमो जॉब फेयर जिस कॉलेज में रहा है उसके चेयरमैन शरद पवार हैं लेकिन उनको सरकारी कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया है. पिछली बार भतीजे अजित पवार ने अपने चाचा अजित पवार के साथ विद्या प्रतिष्ठान के कार्यक्रम में मंच शेयर किया था. हालांकि पवार ने कहा है कि, वो कार्यक्रम में शामिल होना चाहेंगे. उन्होंने तीनों को डिनर पर बुलाया है. वो जाएंगे या नहीं, इसका पता नहीं, वहीं सुप्रिया सुले कह रही हैं कि 'अतिथि देवो भव.'

अब बारामती का इतिहास जान लीजिए

बारामती शरद पवार का गढ़ रहा है जिसे उन्होंने बेटी सुप्रिया सुले के सुपुर्द कर दिया. बारामती लोकसभा सीट से 1996 से शरद पवार और सुप्रिया सुले जीतते आ रहे हैं. शरद पवार यहां से चार बार सांसद चुने गए और सुप्रिया सुले तीन बार चुनाव जीतने के बाद चौथी बार भी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. पिछले 28 साल में बारामती की राजनीति करते-करते पवार की राजनीति बदल चुकी थी. शरद पवार 1996 में कांग्रेस के टिकट पर बारामती से सांसद बने थे. 1999 में उन्होंने एनसीपी बना ली. 20 साल एनसीपी की घड़ी चलती रही. अब अजित पवार की बगावत के बाद पवार के पास न कांग्रेस है, न एनसीपी. 

बीजेपी इस सीट पर आजतक जीत नहीं पाई. इसलिए कुछ ऐसी स्ट्रैटजी बनी है कि, बारामती शरद पवार से तो छिन जाए लेकिन अजित पवार के पास चली जाए. वैसे इस बार चर्चा तेज है कि, बारामती सीट अजित पवार के कोटे में जाएगी. अजित पवार अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को चुनाव लड़ाएंगे. लड़ाई घर वाली ननद-भौजाई की होगी. सीट तो घर में रहेगी लेकिन सुप्रिया सुले नहीं जीत पाईं तो शरद पवार का कब्जा खत्म हो जाएगा. 

INDIA गठबंधन में सीट बंटवारें पर लग चुकी है मुहर 

वैसे बारामती कॉनक्लेव से पहले मुंबई में पवार ने INDIA अलायंस का सीट शेयरिंग लॉक कर दिया है. अलायंस में अब शरद पवार, उद्धव ठाकरे, कांग्रेस, प्रकाश आंबेडकर और राजू शेट्टी की पांच पार्टियां हो गई हैं. 48 सीटों का बंटवारा ऐसे हुआ है कि उद्धव ठाकरे की पार्टी को 21, कांग्रेस को 15, शरद पवार को नौ, प्रकाश आंबेडकर को दो और राजू शेट्टी को एक सीट मिली है. प्रकाश आंबेडकर और राजू शेट्टी INDIA अलायंस के दो नए पार्टनर हैं जो हाल ही में अलायंस में शामिल हुए हैं. 

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