‘भीम संसद’: बिहार में दलित वोटर्स के साथ ‘अजेय’ समीकरण बनाने में जुटे नीतीश कुमार!

बिहार सीएम नीतीश कुमार अब नई रणनीति में जुटे हैं. रणनीति है दलित और पिछड़े वोटों की जुगलबंदी की. इसकी झलक जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के 5 नवम्बर के कार्यक्रम ‘दलित संसद’ में दिखेगी.

Nitish Kumar

Nitish Kumar

अभिषेक

• 10:49 AM • 17 Oct 2023

follow google news

जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ एक चुनावी मुद्दा तैयार करने वाले बिहार सीएम नीतीश कुमार अब नई रणनीति में जुटे हैं. रणनीति है दलित और पिछड़े वोटों की जुगलबंदी की. इसकी झलक जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के 5 नवम्बर के कार्यक्रम ‘दलित संसद’ में दिखेगी. अगर नीतीश बिहार में ये जुगलबंदी बनाने में कामयाब हुए तो आंकड़ों के हिसाब से ये अजेय सियासी समीकरण होगा. आइए समझते हैं कैसे…

Read more!

बिहार के जातिगत सर्वे के मुताबिक प्रदेश में सर्वाधिक जनसंख्या अन्य पिछड़ा वर्ग(63%) और दलितों(19.65%) की है. दोनों को जोड़ दें तो ये करीब 83 फीसदी आबादी है. नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में अति पिछड़े और महादलित वोटों की राजनीति के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में एक बार फिर वो एक ऐसा वोट बैंक तैयार करने में जुट गए हैं, जो 2024 के चुनावों में INDIA एलायंस को जीत दिलाए. इसी कड़ी में JDU अगले महीने की 5 तारीख को ‘भीम संसद’ का आयोजन करने जा रही है. नीतीश ने पिछले दिनों ‘भीम रथ’ को हरी झंडी दिखाई थी. यह रथ उन क्षेत्रों में जाएंगे जहां दलित आबादी सर्वाधिक है.

नीतीश कुमार जाति आधारित बिहार की सियासत के मंझे खिलाड़ी हैं. अपनी इसी महारत से महज 2.7 फीसदी कुर्मी जाति से आने वाले नीतीश 16 साल से ज्यादा समय से CM बने हुए हैं. इस लंबे अरसे की सियासत में नीतीश कुमार ने ऐसे कुछ काम किए जिससे दलित और पिछड़े वोटों पर उनकी एक मजबूत पकड़ बनी. चाहे 2014 में चुनावों से पहले कुछ समय के लिए जीतमराम मांझी को CM बनाने की बात हो या 2007 में समाज कल्याण विभाग से अलग करके नया SC/ST कल्याण विभाग बनाना. नीतीश कुमार ने जाति की सियासत को बिलकुल अपने अंदाज में साधा है. अब देखना यह है कि जातिगत आंकड़े जारी होने के बाद क्या नीतीश ओबीसी और दलित वोटर्स की बड़ी आबादी को इन रणनीतियों से अपने पाले में लाने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं.

    follow google newsfollow whatsapp