बिहार चुनाव 2025: महागठबंधन की रणनीति तैयार, सीट बंटवारे पर क्या फैसला हुआ?

Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं. महागठबंधन ने अपनी रणनीति को मजबूत करने के लिए पहली औपचारिक बैठक आयोजित की.

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विजय विद्रोही

16 Apr 2025 (अपडेटेड: 16 Apr 2025, 10:59 AM)

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Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं. महागठबंधन ने अपनी रणनीति को मजबूत करने के लिए पहली औपचारिक बैठक आयोजित की, जिसमें कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), वाम दल और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेताओं ने हिस्सा लिया. इस बैठक में सीट बंटवारे, रणनीति और प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई. आगामी 17 अप्रैल को पटना में होने वाली अगली बैठक में सीट बंटवारे की रूपरेखा को अंतिम रूप देने की तैयारी है.

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सीट बंटवारे पर क्या हुआ तय?

बैठक में शामिल नेताओं ने संकेत दिए कि महागठबंधन जल्द से जल्द सीट बंटवारे को अंतिम रूप देना चाहता है. सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस 40 से 50 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जिसमें वह ऐसी सीटों को प्राथमिकता देगी, जहां उसका प्रदर्शन पहले बेहतर रहा है. वाम दल 20 सीटों पर और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी 10 सीटों पर दावेदारी कर सकती है. शेष 160 से 165 सीटें आरजेडी के खाते में जा सकती हैं. हालांकि, इस पर अंतिम फैसला 17 अप्रैल की बैठक में होगा.

मुख्यमंत्री चेहरा: अभी कोई घोषणा नहीं

महागठबंधन ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है. तेजस्वी यादव ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर मीडिया को अटकलें लगाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, “चुनाव के बाद गठबंधन सामूहिक रूप से फैसला करेगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा.” सूत्रों का कहना है कि यह रणनीति नीतीश कुमार के लिए दरवाजे खुले रखने और गठबंधन के सभी सहयोगियों को एकजुट रखने के लिए अपनाई गई है.

महागठबंधन की रणनीति

महागठबंधन ने अपनी चुनावी रणनीति को दो मोर्चों पर केंद्रित किया है. पहला, केंद्र सरकार के पिछले 11 वर्षों में बिहार के लिए किए गए वादों को पूरा न करने का मुद्दा, जैसे विशेष पैकेज, गन्ना मिलों का पुनरुद्धार और सेंट्रल यूनिवर्सिटी की स्थापना. दूसरा, नीतीश कुमार सरकार के 20 साल के शासन में कथित कानून-व्यवस्था की विफलता और प्रशासनिक अराजकता को उजागर करना. 

जातिगत समीकरण और टिकट वितरण

महागठबंधन ने बिहार को विभिन्न संभागों में बांटकर जातिगत समीकरणों के आधार पर उम्मीदवारों के चयन की योजना बनाई है. कुछ सीटों पर गठबंधन के सहयोगी दलों के उम्मीदवार एक-दूसरे के चुनाव चिह्न पर भी चुनाव लड़ सकते हैं. उदाहरण के लिए, कांग्रेस का उम्मीदवार आरजेडी के लालटेन चिह्न पर या आरजेडी का उम्मीदवार कांग्रेस के हाथ चिह्न पर मैदान में उतर सकता है. 

क्यों अहम है यह बैठक?

यह बैठक महागठबंधन के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है. पहली बार सभी सहयोगी दलों के नेताओं ने एक मंच पर आकर रणनीति पर चर्चा की. दूसरा, अगली बैठक की तारीख और एजेंडा तय हो गया. तीसरा, सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों को स्पष्ट किया गया. चौथा, गठबंधन ने अपनी रणनीति को नीति और मुद्दों पर केंद्रित करने का फैसला किया.

आगे क्या?

महागठबंधन की अगली बैठक 17 अप्रैल को पटना में होगी, जिसमें सीट बंटवारे की घोषणा हो सकती है. गठबंधन का दावा है कि वह एकजुट होकर एनडीए को कड़ी टक्कर देगा. दूसरी ओर, एनडीए की तैयारियों पर भी सबकी नजरें हैं. 
बिहार की जनता अब इस सियासी जंग के परिणाम का इंतजार कर रही है. क्या महागठबंधन अपनी एकता और रणनीति के दम पर सत्ता हासिल कर पाएगा? यह सवाल हर किसी के मन में है.

 

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