BJP President: भारतीय जनता पार्टी में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर हो रही देरी चर्चा का विषय बन गई है. पार्टी के भीतर और बाहर भी इस देरी को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर फैसला क्यों नहीं हो पा रहा है. अब जानकारी आ रही है कि यह ऐलान स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त 2025 के बाद हो सकता है. हालांकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भाजपा के बीच अभी तक किसी एक नाम पर पूरी तरह सहमति नहीं बन पाई है.
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तीन दिग्गज नेताओं के नाम रेस में
भाजपा ने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए 3 नेताओं के नाम प्रमुख रूप से रेस में बताए जा रहे हैं. इनमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव और शिवराज सिंह चौहान का नाम शामिल हैं.
- धर्मेंद्र प्रधान: ओडिशा से आने वाले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का संगठन में लंबा अनुभव है. उनकी छवि एक कुशल रणनीतिकार और संगठनकर्ता की है.
- भूपेंद्र यादव: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाने वाले भूपेंद्र यादव संगठन और सरकार दोनों में मजबूत पकड़ रखते हैं.
- शिवराज सिंह चौहान: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का जनाधार और संगठनात्मक अनुभव के चलते उनका नाम रेस में बना हुआ है.
संगठन चुनाव की प्रक्रिया तेज
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव प्रभारी डॉ. के. लक्ष्मण ने बताया कि पार्टी 10 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे कर रही है. उत्तर प्रदेश, गुजरात और कुछ अन्य राज्यों में अभी प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा बाकी है. उन्होंने बताया, “राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए कोई अंतिम समयसीमा तय नहीं की गई है, लेकिन जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी होगी.”
उन्होंने यह भी बताया कि देशभर के 10 लाख से अधिक बूथों पर मतदान की तैयारी है. अब तक 7.5 लाख बूथ प्रभारियों की नियुक्ति हो चुकी है. यह मतदान राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के लिए जरूरी इलेक्टोरल कॉलेज तैयार करेगा.
केंद्रीय परिषद की बैठक होगी अहम
भाजपा की योजना है कि पहले केंद्रीय परिषद की बैठक बुलाई जाए. इस बैठक में शॉर्टलिस्टेड नामों में से किसी एक पर सहमति बनाने की कोशिश होगी. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ नेता ने बताया, “15 अगस्त के बाद नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा लगभग तय है.”
क्यों हो रही है देरी?
द टेलीग्राफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा और RSS के बीच नए अध्यक्ष को लेकर राय एक नहीं है. संघ चाहता है कि पार्टी में ऐसे संगठनात्मक बदलाव हों जिससे भविष्य में नरेंद्र मोदी और अमित शाह का प्रभाव कम हो सके. संघ का मानना है कि भाजपा में अगले नेतृत्व के लिए जगह बनाना जरूरी है, ताकि आने वाले वर्षों में पार्टी और संगठन मजबूत रह सके.
सूत्रों के मुताबिक, संघ की तरफ से अभी तक किसी भी उम्मीदवार को स्पष्ट मंजूरी नहीं मिली है. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के नाम पर चर्चा हुई, लेकिन इनमें से किसी को लेकर संघ पूरी तरह तैयार नहीं दिखा. माना जा रहा है कि संघ एक ऐसा अध्यक्ष चाहता है, जो सिर्फ "रबर स्टैम्प" न होकर पार्टी का वास्तविक संगठनात्मक नेतृत्व संभाले.
देरी की वजह कुछ और भी...
भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में देरी की वजह केवल शीर्ष नेतृत्व की असहमति तक सीमित नहीं है. पार्टी संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष तभी चुना जा सकता है जब कम से कम 50% राज्य इकाईयों के अध्यक्ष नियुक्त हो जाएं. फिलहाल कई प्रमुख राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश में संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है.
उत्तर प्रदेश में पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर भी काफी गुटबाजी है. शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच मतभेद के कारण वहां के संगठन में भी नियुक्तियां फंसी हैं. इसी वजह से जिलास्तरीय नियुक्तियां भी अधूरी हैं, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में देरी की एक वजह बन रही हैं.
संघ नेतृत्व चाहता है कि भाजपा खुद को 2029 के बाद के लिए तैयार करे. संघ के वरिष्ठ नेता का मानना है कि नई पीढ़ी को आगे लाना जरूरी है और मजबूत संगठनात्मक नेतृत्व देने वाला व्यक्ति ही अगले अध्यक्ष के रूप में सामने आए. इसी उद्देश्य से नाम फाइनल करने में इतना समय लग रहा है.
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