BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर सस्पेंस: संघ-आलाकमान के बीच फैसला बाकी, कई राज्यों में भी बदलेगी कमान!

नए अध्यक्ष के चुनाव के बाद BJP संगठन में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. सूत्रों की मानें तो लगभग 50% राष्ट्रीय महासचिवों को बदला जा सकता है और युवा नेताओं को टीम में जगह मिल सकती है.

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ललित यादव

29 Jun 2025 (अपडेटेड: 29 Jun 2025, 08:35 AM)

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भारतीय जनता पार्टी (BJP) में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. संघ और पार्टी नेतृत्व के बीच नाम को लेकर आम सहमति नहीं बन रही है. पार्टी संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले 19 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव जरूरी हैं. इस प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन अब भी कई प्रमुख राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष तय नहीं हो पाए हैं.

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BJP ने शुक्रवार को राज्यों के अध्यक्ष चुनाव के लिए चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है. महाराष्ट्र में किरण रिजिजू, उत्तराखंड में हर्ष मल्होत्रा और पश्चिम बंगाल में रवि शंकर प्रसाद को यह जिम्मेदारी दी गई है. 19 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा की जाएगी. इसके बाद राष्ट्रीय निर्वाचन अधिकारी के. लक्ष्मण प्रेस कांफ्रेंस में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए कार्यक्रम की घोषणा करेंगे.

संघ की भूमिका 

संघ पहले ही नए अध्यक्ष को लेकर अपने सुझाव पार्टी को दे चुका है. संघ चाहता है कि नया अध्यक्ष संगठन को मजबूत करने वाला हो, न कि कोई ऐसा चेहरा जो सिर्फ राजनीतिक संदेश देने के लिए चुना जाए.

संघ की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक 4 से 6 जुलाई तक दिल्ली में होगी. माना जा रहा है कि इस बैठक में नए अध्यक्ष के नाम पर अंतिम चर्चा हो सकती है,जहां बीजेपी आलाकमान और संघ के नेताओं के बीच चर्चा की संभावना है.

नए अध्यक्ष की टीम में हो सकते हैं युवा चेहरे

नए अध्यक्ष के चुनाव के बाद BJP संगठन में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. सूत्रों की मानें तो लगभग 50% राष्ट्रीय महासचिवों को बदला जा सकता है और युवा नेताओं को टीम में जगह मिल सकती है. पार्टी संगठन को मजबूत करने वाले नेता को प्राथमिकता देना चाहती है, न कि राजनीतिक संदेश देने वाले को. पार्टी की सर्वोच्च निर्णायक संस्था पार्लियामेंट्री बोर्ड में भी अनुभवी नेताओं को तरजीह मिल सकती है.

कौन होगा भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष

भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई नामों की चर्चाएं हो रही है. बताया जा रहा है कि जुलाई में मानसून सत्र शुरू होने से पहले ही यह घोषणा कर दी जाएगी. इस पद के लिए मनोहर लाल खट्टर का नाम मजबूती से चर्चा में है, हालांकि उनकी उम्र (70-71) एक चिंता का विषय हो सकती है. कुछ अन्य संभावित नामों में धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव भी शामिल हैं. महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष की संभावना भी जताई जा रही है, जिसमें निर्मला सीतारमण का नाम भी चर्चाओं में हैं.

अब तक कहां तक पहुंचा चुनाव?

अभी तक सिर्फ 14 राज्यों में ही संगठनात्मक चुनाव पूरे हुए हैं. उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव अभी बाकी है. पार्टी चाहती है कि इन बड़े राज्यों में चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाए ताकि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले एक मजबूत संगठनात्मक आधार तैयार हो सके.

उत्तर प्रदेश: जातीय समीकरण में उलझा अध्यक्ष पद

उत्तर प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष के लिए कई नामों पर चर्चा चल रही है, जिनमें ओबीसी और दलित चेहरों को प्राथमिकता दी जा रही है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी इस पर चर्चा हुई है. धर्मपाल सिंह, बीएल वर्मा, साध्वी ज्योति निरंजन, बाबूराम निषाद, स्वतंत्र देव सिंह और दिनेश शर्मा जैसे नाम ओबीसी और ब्राह्मण चेहरों में शामिल हैं. दलित चेहरों में रामशंकर कठेरिया, विद्यासागर सोनकर और विनोद सोनकर के नाम भी चर्चा में हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों को देखते हुए पार्टी आलाकमान किसी ओबीसी चेहरे पर दांव खेल सकता है.

कर्नाटक: विजयेंद्र बनेंगे या नहीं, येदियुरप्पा की सिफारिश पर मंथन

कर्नाटक: यहां बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा अपने बेटे विजयेंद्र को फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाने की वकालत कर रहे हैं. हालांकि, पार्टी का एक बड़ा वर्ग मानता है कि विजयेंद्र के नेतृत्व में आपसी गुटबाजी बढ़ी है और उनकी लोकप्रियता येदियुरप्पा जितनी नहीं है. वर्तमान अध्यक्ष विजयेंद्र (लिंगायत), सुनील कुमार (ओबीसी) और सी.टी. रवि (वोक्कलिंगा) के नाम दौड़ में हैं.

महाराष्ट्र: रविंद्र चव्हाण की राह आसान

महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में रास्ता थोड़ा आसान लग रहा है. रविंद्र चव्हाण, जो मराठा समाज से आते हैं, इनको पहले ही कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया जा चुका है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उनकी नजदीकियां उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपे जाने की राह आसान बना रही हैं.

बंगाल: कई नामों पर चल रही है चर्चा

पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में भी अध्यक्ष का चुनाव एक पेचीदा काम है. सुकांता मजूमदार फिलहाल कार्यकारी अध्यक्ष हैं, लेकिन वह केंद्र में मंत्री भी हैं. पार्टी उन्हें मंत्री पद छोड़कर पूर्णकालिक अध्यक्ष बनने के लिए राजी कर पाती है या नहीं, यह देखना होगा. राज्यसभा सांसद शमिक भट्टाचार्य का नाम भी चर्चा में है. शुभेंदु अधिकारी भी अध्यक्ष बनने के इच्छुक हैं, लेकिन संघ उनके टीएमसी से बीजेपी में आने के कारण सहमत होगा या नहीं, यह एक सवाल है. पार्टी ममता बनर्जी के खिलाफ किसी महिला नेता, जैसे लॉकेट चैटर्जी या अग्निमित्रा पॉल को भी जिम्मेदारी सौंप सकती है, खासकर अगले साल होने वाले चुनावों को देखते हुए.

मध्यप्रदेश: सामाजिक संतुलन का चुनौतीपूर्ण गणित

मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में जातीय संतुलन साधना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यहां ओबीसी, एससी और एसटी समुदायों की आबादी 70% से ज्यादा है. पार्टी ऐसे चेहरे की तलाश में है जो इन वर्गों का प्रतिनिधित्व कर सके. गजेंद्र पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, सुमेर सिंह सोलंकी (अनुसूचित जनजाति); लाल सिंह आर्य, प्रदीप लारिया, हरिशंकर खटीक (अनुसूचित जाति) और कविता पाटीदार (ओबीसी) जैसे नाम दौड़ में हैं.

गुजरात: पाटीदार समाज को मिल सकती है कमान

गुजरात में पाटीदार समाज से नया अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है. सौराष्ट्र से लेउवा पाटीदार को प्राथमिकता दी जा सकती है. जनक पटेल, दिलीप संघानी और ओबीसी से जगदीश विश्वकर्मा, मयंक नायक जैसे नामों पर विचार हो रहा है.

राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा से पहले प्रदेशों में सहमति जरूरी

प्रदेशों में अध्यक्षों के चयन में चल रही जटिलता को देखते हुए साफ है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम तय करना भी BJP नेतृत्व के लिए आसान नहीं होगा. पार्टी को ऐसा चेहरा चाहिए जो न केवल संगठन को मज़बूती दे, बल्कि 2029 तक पार्टी को नेतृत्व भी दे सके.
 

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