Google पर पैसे खर्च प्रचार करने में बीजेपी टॉप पर, कांग्रेस ने डिजिटल एड पर किया कितना खर्च?

अभिषेक गुप्ता

26 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 26 2024 2:44 PM)

बीजेपी ने अपने विज्ञापनों पर सर्वाधिक खर्चा करीब 10.8 करोड़ रुपए कर्नाटक के लोगों को टारगेट करने के लिए किया. इसके बाद उत्तर प्रदेश के लिए 10.3 करोड़ रुपए, राजस्थान 8.5 करोड़ रुपए और दिल्ली के लिए 7.6 करोड़ रुपए खर्च किया है. 

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Parties' expenditure on election advertisements: लोकसभा 2024 के लिए राजनैतिक पार्टियां अपना पूरा दमखम लगाए हुए है. सात चरणों में होने वाले चुनाव के दूसरा चरण के लिए आज वोटिंग चल रही है. चुनाव में सभी दल जोर-शोर से प्रचार अभियान में जुटे हुए है. चुनाव में सभी पार्टियों के खर्चों का विश्लेषण करने के लिए इंडिया टुडे ने एक विश्लेषण किया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव में पार्टियां डिजिटल प्रचार अभियान पर ज्यादा जोर दे रही है. रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि, देश में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी भारत की पहली राजनीतिक पार्टी बन गई है जिसने सर्च इंजन गूगल और उसके वीडियो प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर राजनीतिक विज्ञापन देने के मामले में 100 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर लिया है. आइए आपको बताते हैं अबतक के चुनाव में किस राजनैतिक पार्टी ने कहा-कितना रुपए किया है खर्च. 

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पहले जानिए दूसरे चरण के चुनाव के लिए किसने किया कितना खर्च?

लोकसभा चुनाव के प्रचार के दूसरे चरण के दौरान प्रचार में Google विज्ञापनों में कांग्रेस ने बीजेपी को पछाड़ दिया. दूसरे चरण से पहले राजनीतिक दलों ने अकेले Google पर अपने घोषणापत्र, नीतियों और उपलब्धियों को बढ़ावा देने पर 14.7 करोड़ रुपए से खर्च किए. 18 अप्रैल से 24 अप्रैल के बीच Google पर विज्ञापन खर्च के मामले में 5.7 करोड़ रुपए के खर्च के साथ कांग्रेस शीर्ष पर रही, जबकि बीजेपी 5.3 करोड़ रुपए के खर्च के साथ दूसरे स्थान पर रही. इस दौरान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की YSRCP ने Google पर तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक विज्ञापनदाता पार्टी रही. YSRCP ने इस बीच 1.76 करोड़ रुपए खर्च किए. 

Google को पिछले 6 सालों में 390 करोड़ के मिले विज्ञापन 

गूगल के 'विज्ञापन ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट' के विश्लेषण से आये आंकड़ों के मुताबिक, 31 मई 2018 से 25 अप्रैल 2024 के बीच प्रकाशित गूगल विज्ञापनों में बीजेपी की हिस्सेदारी कुल खर्च का लगभग 26 फीसदी है. वहीं इस दौरान सर्च इंजन कंपनी गूगल को 'राजनीतिक' विज्ञापनों के लिए 390 करोड़ रुपए की धनराशि मिली है. वैसे आपको बता दें कि, गूगल की राजनीतिक विज्ञापनों की परिभाषा व्यापक है जिसमें समाचार संगठन, सरकारी प्रचार और यहां तक ​​कि अभिनेता-राजनेताओं के वाणिज्यिक विज्ञापन भी शामिल होते है.

Google के 'राजनीतिक विज्ञापन' के रूप में दिए गए कुल 217992 कंटेन्ट में से 161000 से अधिक कंटेन्ट बीजेपी के थे जो कुल विज्ञापनों का 73 फीसदी है. पार्टी ने अपने विज्ञापनों पर सर्वाधिक खर्चा करीब 10.8 करोड़ रुपए कर्नाटक के लोगों को टारगेट करने के लिए किया. इसके बाद उत्तर प्रदेश के लिए 10.3 करोड़ रुपए, राजस्थान 8.5 करोड़ रुपए और दिल्ली के लिए 7.6 करोड़ रुपए खर्च किया है. 

चुनावी विज्ञापन पर खर्च के मामले में विपक्ष की ये है स्थिति? 

ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक, 45 करोड़ रुपए के खर्च के साथ कांग्रेस गूगल पर विज्ञापनों पर राजनीतिक खर्च के मामले में दूसरे स्थान पर है. देश की सबसे पुरानी पार्टी ने इस अवधि के दौरान करीब 6 हजार ऑनलाइन विज्ञापन प्रकाशित किए जो भाजपा के विज्ञापनों का केवल 3.7 फीसदी ही है. कांग्रेस के विज्ञापन का मुख्य लक्ष्य कर्नाटक-तेलंगाना (प्रत्येक राज्य पर 9.6 करोड़ रुपए से अधिक खर्च) और मध्य प्रदेश (6.3 करोड़ रुपए) के लोगों को टारगेट करना था. 

तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी DMK गूगल प्लेटफॉर्म पर तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक विज्ञापनदाता पार्टी है. DMK ने मई 2018 से अबतक 42 करोड़ रुपए खर्च किए है. DMK ने केवल तमिलनाडु ही नहीं बल्कि उसके बाहर कर्नाटक और केरल में भी डिजिटल विज्ञापनों पर क्रमशः 14 लाख और 13 लाख रुपए खर्च किए है. 

भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने गूगल पर नवंबर 2023 में राज्य के विधानसभा चुनावों तक ही विज्ञापन किया है, तब तक पार्टी ने 12 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया था हालांकि चुनावों में BRS को कांग्रेस से हार का सामना करना पड़ा था.

चुनाव मैनेज करने वाली कंपनी IPAC ने आंध्र प्रदेश में YSR कांग्रेस पार्टी के लिए Google विज्ञापनों पर 6.4 करोड़ रुपए और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के लिए 4.8 करोड़ रुपए खर्च किए. 

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