आखिर भाजपा के सहयोगी क्यों छोड़ रहे उसका साथ, 2024 के चुनावों में क्या होगा इसका असर ?

राष्ट्रीय राजनीति में BJP के लिए पिछले कुछ साल बहुत उथल-पुथल भरे रहे हैं. महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार और तमिलनाडु में पार्टी के सहयोगी दलों ने…

NewsTak

अभिषेक

05 Oct 2023 (अपडेटेड: 05 Oct 2023, 02:57 PM)

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राष्ट्रीय राजनीति में BJP के लिए पिछले कुछ साल बहुत उथल-पुथल भरे रहे हैं. महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार और तमिलनाडु में पार्टी के सहयोगी दलों ने साथ छोड़ दिया. AIADMK के बाद अब जनसेना पार्टी ने भी बीजेपी से तौबा कर लिया है. एक तरफ बीजेपी INDIA गठबंधन के सामने NDA को खड़ा करने के लिए तमाम छोटे दलों को जोड़ने में लगी है वहीं पार्टी के सहयोगी दल दूरी बनाते जा रहे हैं. आगामी लोकसभा चुनाव (Election 2024) में NDA के लिए ये बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रहा है.

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NDA से सहयोगी के दलों के मोह भंग का सिलसिला जारी है. हाल ही में आंध्र प्रदेश में पवन कल्याण की पार्टी ने भी एनडीए से खुद को अलग कर लिया है. उन्होंने चुनावों में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी (TDP) के साथ जाने की बात कही है.

NDA से इन पार्टियों ने किया किनारा

महाराष्ट्र में शिवसेना, पंजाब में अकाली दल, बिहार में जनता दल यूनाइटेड, तमिलनाडु में AIADMK और आंध्र प्रदेश में जनसेना पार्टी, बीजेपी के NDA गठबंधन से अलग हो गयी है.

महाराष्ट्र से हुई शुरुआत

विभिन्न राज्यों में प्रमुख दलों का बीजेपी का साथ छोड़ने की शुरुआत साल 2019 में एनडीए के महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद शुरू हुयी. जब बीजेपी ने तत्कालीन शिवसेना जो अब शिवसेना उद्धव गुट है, के मुख्यमंत्री पद की मांग को मानने से इनकार कर दिया था. फिर कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने साथ मिलकर महाविकास आघाड़ी का गठन करते हुए सरकार बनाया. हालांकि अभी कुछ समय पहले एनसीपी गुट के अजित पवार के NDA में शामिल हो जाने पर फिर से बीजेपी सत्ता में आ गयी.

लेकिन जब हम इसे 2024 के लोकसभा चुनावों के संदर्भ में देखे तो, हमें पहले  2019 के आम चुनावों को देखना होगा. 2019 में बीजेपी ने शिवसेना के साथ मिलकर महाराष्ट्र के 48 लोकसभा सीटों में से 41 सीटों पर जीत हासिल की थी. जिसमे शिवसेना 23% वोटों के साथ 18 सीटों पर विजयी हुयी थी. वर्तमान मे बीजेपी के साथ भले ही अजित पवार हैं, फिर भी राजनीतिक विश्लेषकों का यह मानना हैं कि, महाराष्ट्र में कांग्रेस की INDIA अलायंस मजबूत स्थिति में है.

कृषि कानून बना अकाली दल से दूरी की वजह

पंजाब में दशकों से बीजेपी की सहयोगी रहे अकाली दल ने भी 2020 में केंद्र सरकार कृषि कानूनों का विरोध करते हुए एनडीए से अलग होने का फैसला किया था. हालांकि पंजाब में पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की. जो अब इंडिया गठबंधन के साथ है. पंजाब में बीजेपी करीब-करीब सिमटती नजर आ रही है.

नीतीश कुमार ने भी छोड़ा साथ

बिहार में नीतीश कुमार ने भी एनडीए का साथ छोड़ दिया था. जो बिहार में बीजेपी के लिए आगामी लोक सभा चुनाव में भारी पड़ सकता है. पिछले चुनावों मे NDA गठबंधन ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 39 पर जीत हासिल की थी. जिसमे जदयू 21फीसदी वोटों के साथ 16 सीटों पर विजयी हुई थी. अब नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए पूरा जोर लगा दिया है. नीतीश ने ही INDIA अलायंस की पहली बैठक पटना में बुलाया और  सबको एकमत करने का प्रयास शुरू किया.

2024 के चुनावों से पहले AIADMK ने की राहें जुदा

तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी दल AIADMK का बीजेपी के साथ न रहना दक्षिण भारत में बीजेपी के अस्तित्व पर संकट खड़ा करने वाला है. हाल ही में कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिली करारी शिकस्त ने पार्टी को झकझोर कर रख दिया. इसी की बानगी है कि, आज इसके समवर्ती राज्य तमिलनाडु के AIADMK ने आगामी चुनावों में अकेले लड़ने का फैसला किया है. उनका मानना है कि, बीजेपी के साथ होने से उन्हें कोई लाभ नहीं है. जब से अन्नामलाई बीजेपी के अध्यक्ष बने हैं, तभी से उनके पार्टी को तोड़ने की साजिश कर रहे हैं. 

बीजेपी के लिए कठिन है आगे की राह

इन चारों राज्यों में कुल 140 लोकसभा सीटें हैं, जहां बीजेपी को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. यदि यहां NDA अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती तो, उसे हिन्दी पट्टी के उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों पर डिपेंड होना होगा. इन राज्यों में NDA गठबंधन ने पिछले चुनाव में 170 में से 150 सीटों पर जीत हासिल करते हुए क्लीन स्वीप किया था. हालांकि INDIA अलायंस लगातार बैठकें कर रहा है. अलायंस संयोजक मंडल बनाकर सीटों के बटवारें पर सहमति बना रहा है. विपक्ष बीजेपी के सामने वन ऑन वन लड़ने की तैयारी में है. जिससे NDA को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.

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