बिहार की नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इसे एक बड़ा सियासी कदम समझा जा रहा है. बीजेपी जातिगत जनगणना को लेकर अबतक सहज नहीं दिखी है. बिहार के बाद दूसरे प्रदेशों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी जातिगत जनगणना की मांग तेज हो गई है. अब सवाल यह है कि क्या मोदी सरकार 2024 के चुनावों में जातिगत जनगणना को लेकर घिर जाएगी?
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पहले बिहार के आंकड़े जान लीजिए
जातिगत जनगणना में बिहार की जनसंख्या 13.7 करोड़ बताई गई है. हिंदुओं की आबादी 82 % और मुस्लिमों की आबादी 17% है.आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36%, पिछड़ा वर्ग 27%, अनुसूचित जाति 19%, अनुसूचित जनजाति 1.6% और सामान्य या अनारक्षित की आबादी 15% है.
क्या होगा असर
सीएसडीएस के प्रोफेसर संजय कुमार कहते हैं कि अब दो तरह की राजनीति होगी. जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है, उनपर ये दबाव होगा कि वे जातिगत जनगणना करें. बिहार के आंकड़ों में OBC की आबादी लगभग 63% है, जबकि 27% का आरक्षण मिला है. संजय कुमार कहते हैं कि अब सरकार पर आरक्षण बढ़ाने का दबाव भी बनाया जाएगा.
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