Reservation in Bihar: वर्तमान में संसद का मानसून सत्र चल रहा है. इसी में शामिल होने के लिए आज सुबह राष्ट्रीय जनता दल(RJD) के सांसद संसद पहुंचे. जहां मीसा भारती, मनोज कुमार झा सहित कई सांसद गेट पर तख्तियां लिए प्रदर्शन कर रहे थे. उनकी डिमांड ये थी कि, बिहार में जब RJD और JDU के गठबंधन वाली सरकार थी तब जातीय जनगणना कराई गई. फिर उसी के आधार पर आनुपातिक रूप से दलितों, आदिवासियों, अति पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाया गया था जिसे पटना हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया. सांसदों ने आरक्षण बढ़ाने के कानून को फिर से लागू करने और उसकी सुरक्षा के लिए सरकार से उसे 9वीं अनुसूची में शामिल करने की बात कर रहे है ताकि उनका अधिकार उन्हें मिल सके. इन सब के बीच पिछले दिनों प्रदेश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कुछ ऐसी ही बात कही थी. आइए आपको बताते हैं क्या है ये पूरा मामला?
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पहले जानिए प्रदर्शन कर रहे सांसदों ने क्या कहा?
बिहार में 65 फीसदी के आरक्षण को लेकर RJD सांसद मीसा भारती ने कहा, 'हम इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि जब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी तब नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और लालू यादव ने जातीय जनगठना की मांग की थी. बिहार में जातीय जनगणना हुई, हम चाहते हैं कि उसके अनुपात में हमने दलितों, आदिवासियों, अति पिछड़ों का जो आरक्षण बढ़ाया था उसे सुरक्षा मिले और सरकार उसे 9वीं अनुसूची में शामिल करें ताकि उनका अधिकार उन्हें मिल सके.'
बिहार में आरक्षण को लेकर क्या है मामला?
बिहार की नीतीश कुमार की सरकार ने साल 2023 में राज्य का आर्थिक और शैक्षणिक सर्वे कराया था. सर्वे में आए आंकड़ों को आधार बनाते हुए सरकार ने शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में SC, ST, EBC और OBC के आरक्षण के दायरे को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का कानून बनाया था. तब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी. हालांकि विपक्षी में मौजूद बीजेपी ने भी इस कानून का समर्थन किया था. बाद में इस कानून के खिलाफ कई याचिकाकर्ताओं ने पटना हाई कोर्ट में अपील दायर की थी. जिसपर कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 14, 15 और 16 में दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इस कानून को रद्द कर दिया.
नीतीश कुमार का क्या है रिएक्शन?
पिछले दिनों सीएम नीतीश कुमार ने आरक्षण को लेकर विधानसभा में हो रहे बयानबाजियों पर कहा था कि, 'बिहार सरकार राज्य की 65 फीसदी की संशोधित आरक्षण सीमा को अनलॉक करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है जिसे पटना उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था.' उन्होंने ये भी कहा था कि, हम इस मामले में केंद्र से इसे न्यायिक जांच से मुक्त बनाने के लिए संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध करेंगे.'
नीतीश कुमार के इस बयान और केंद्र सरकार के बिहार को विशेष दर्जा नहीं मिलने के बाद से कई तरह की कायसबाजियां चलने लगी है. क्या नीतीश कुमार NDA का साथ छोड़ेंगे? क्या RJD के साथ मिलकर फिर से सरकार बनाएंगे? क्या बीजेपी-JDU की सरकार गिर जाएगी? इन्हीं सब बातों पर सबकी नजरें टिकी हुई है. वैसे आपको बता दे कि, बिहार में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने है. इससे पहले प्रदेश का सियासी समीकरण कैसा रहेगा ये देखने वाली बात होगी.
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