सेंगोल को लेकर छिड़ गया विवाद, SP-RJD और कांग्रेस ने की हटाने के मांग, बीजेपी ने कहा कोई हटा नहीं सकता

सपा सांसद ने कहा, बीजेपी सरकार ने संसद में 'सेंगोल' स्थापित किया. 'सेंगोल' का अर्थ है 'राज-दंड', इसका अर्थ 'राजा का डंडा' भी होता है. देश रियासती व्यवस्था को खत्म करके आजाद हुआ. देश 'राजा के डंडे' से चलेगा या संविधान से?

NewsTak

अभिषेक

27 Jun 2024 (अपडेटेड: 27 Jun 2024, 12:28 PM)

follow google news

Sengol controversy: 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद 9 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार PM पद की शपथ ली. चुनाव के बाद इस समय संसद का पहला सत्र चल रहा है. लोकसभा सदस्यों के शपथग्रहण और स्पीकर के चुनाव के बाद आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. इन्हीं सब के बीच लोकसभा में स्थापित किए गए सेंगोल पर सियासत गरमा गई है. दरअसल विपक्षी दलों ने स्पीकर के आसन के पास स्थापित सेंगोल को हटाने की मांग शुरू कर दी है. समजवादी पार्टी (SP) ने सेंगोल को राजशाही का प्रतीक बताते हुए उसे हटाकर उसकी जगह संविधान स्थापित करने की मांग की है. इसके बाद से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष कई तरफ से सेंगोल पर बयानबाजी चल रही है. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला. 

Read more!

'सेंगोल नहीं संविधान है महत्वपूर्ण': सपा सांसद आरके चौधरी

संसद एक संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण से पहले समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद आरके चौधरी ने कहा, 'संविधान महत्वपूर्ण है जो लोकतंत्र का प्रतीक है. अपने पिछले कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने संसद में 'सेंगोल' स्थापित किया. 'सेंगोल' का अर्थ है 'राज-दंड', इसका अर्थ 'राजा का डंडा' भी होता है. देश रियासती व्यवस्था को खत्म करके आजाद हुआ. देश 'राजा के डंडे' से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए संसद से सेंगोल को हटाया जाए.'

आरके चौधरी के बयान पर सपा सुप्रीमो और सांसद अखिलेश का भी बयान आया. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि हमारे सांसद शायद ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब सेंगोल को स्थापित किया गया था, तो प्रधानमंत्री ने इसके सामने सिर झुकाया था. शायद शपथ लेते वक्त वह इसे भूल गए, हो सकता है कि मेरी पार्टी ने उन्हें यह याद दिलाने के लिए ऐसा कहा हो. जब प्रधानमंत्री इसके सामने सिर झुकाना भूल गए, तो शायद वह भी कुछ और चाहते थे.

कांग्रेस और आरजेडी ने भी किया सपा का समर्थन

संसद में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सेंगोल मुद्दे पर समाजवादी पार्टी का समर्थन किया है. पार्टी ने कहा कि सेंगोल पर सपा की मांग गलत नहीं है. कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने कहा कि, बीजेपी ने अपनी मर्जी से सेंगोल लगा दिया. सदन तो सबको साथ लेकर चलती है लेकिन बीजेपी सिर्फ मनमानी करती है. 

वहीं सेंगोल मुद्दे पर आरजेडी लीडर मीसा भारती ने कहा कि, सेंगोल को हटाना चाहिए, ये लोकतंत्र में है, राजतंत्र में नहीं. सेंगोल को म्यूजियम में लगाना चाहिए. सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है इसलिए इसे हटाना चाहिए.

'इनके पास कोई काम नहीं है'

सेंगोल विवाद पर केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि, ये लोग यही सब काम करते हैं, ये देश का सर्वोच सदन है. ये लोग सुर्खियों में आने के लिए सस्ती बातें करते हैं. संविधान को हम सभी मानते हैं, अकेले समाजवादी पार्टी ने संविधान का ठेका नहीं लिया है.

आरके चौधरी के बयान पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री और LJP नेता चिराग पासवान ने कहा, 'इनकी जनता ने इनको काम करने के लिए चुना है और यहां संसद में आकर ये लोग सिर्फ विवाद पैदा करते हैं. ये लोग सकारात्मक राजनीति कर सकते हैं. ये लोग सिर्फ बंटवारे की राजनीति करते हैं.' 

देश की आजादी से जुड़ा है सेंगोल का इतिहास

संसद में स्थापित किए गए सेंगोल का आधुनिक इतिहास भारत की आजादी के साथ जुड़ा हुआ है. आजादी के समय तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल सौंपा गया था. वहीं, प्राचीन इतिहास पर नजर डालें तो सेंगोल के सूत्र चोल राजवंश से जुड़े हुए हैं, जहां सत्ता का उत्तराधिकार सौंपते हुए पूर्व राजा, नए बने राजा को सेंगोल सौंपता था. यह सेंगोल राज्य का उत्तराधिकार सौंपे जाने का जीता-जागता प्रमाण होता था और राज्य को न्यायोचित तरीके से चलाने का निर्देश भी. 

राजदंड की क्या थी व्यवस्था अब ये भी जान लीजिए 

वैदिक रीतियों में राजतिलक और राजदंड की एक प्राचीन पद्धति का जिक्र होता है. इसके अनुसार राज्याभिषेक के समय एक पद्धति है. राजा जब गद्दी पर बैठता है तो तीन बार ‘अदण्ड्यो: अस्मि’ कहता है, तब राजपुरोहित उसे पलाश दंड से मारता हुआ कहता है कि ‘धर्मदण्ड्यो: असि’. राजा के कहने का तात्पर्य होता है, उसे दंडित नहीं किया जा सकता है. ऐसा वह अपने हाथ में एक दंड लेकर कहता है. यानी यह दंड राजा को सजा देने का अधिकार देता है, लेकिन इसके ठीक बाद पुरोहित जब यह कहता है कि, धर्मदंडयो: असि, यानि राजा को भी धर्म दंडित कर सकता है.ऐसा कहते हुए वह राजा को राजदंड थमाता है. यानि कि राजदंड, राजा की निरंकुशता पर अंकुश लगाने का साधन भी रहा है. महाभारत में इसी आधार पर महामुनि व्यास, युधिष्ठिर को अग्रपूजा के जरिए अपने ऊपर एक राजा को चुनने के लिए कहते हैं.
 

    follow google newsfollow whatsapp