पद छोड़ा, चुप्पी साधी, इग्नोर हुए धनखड़...राष्ट्रपति भवन पूर्व उपराष्ट्रपति पहुंचे के साथ क्या हुआ?
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Jagdeep Dhankhar News: राष्ट्रपति भवन में हुए नए उपराष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में एक दिलचस्प और चौंकाने वाला वाकया देखने को मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया. इस घटना ने एक बार फिर उन अटकलों को हवा दे दी है, जिनमें कहा जा रहा है कि धनखड़ और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के बीच सबकुछ ठीक नहीं है.
क्या हुआ समारोह में?
समारोह में प्रोटोकॉल के मुताबिक, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे. पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, हामिद अंसारी और वेंकैया नायडू को भी आमंत्रित किया गया था. धनखड़ अपनी पत्नी के साथ इस समारोह में पहुंचे थे, शायद इस उम्मीद में कि वह शीर्ष नेताओं से मिलेंगे और उनके बीच की कड़वाहट खत्म होगी.
हालांकि, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह वहां से निकले तो उन्होंने पहली पंक्ति में बैठे धनखड़ की तरफ देखा भी नहीं. उन्होंने कुछ अन्य लोगों का अभिवादन स्वीकार किया लेकिन धनखड़ को पूरी तरह से इग्नोर कर दिया. इस घटना को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि सार्वजनिक समारोह में भी दोनों नेताओं ने उनसे बात करना जरूरी नहीं समझा.
मतभेद या मनभेद?
इस घटना ने एक बार फिर उन अटकलों को हवा दे दी कि धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना 'स्वास्थ्य संबंधी कारणों' की वजह से नहीं था बल्कि इसके पीछे कुछ और ही वजह थी. ऐसा माना जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व और धनखड़ के बीच कुछ राजनीतिक मतभेद हैं, जो अब मनभेद में बदल चुके हैं.
सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि धनखड़ कथित तौर पर तख्तापलट की कोशिश कर रहे थे और विपक्षी नेताओं जैसे अरविंद केजरीवाल, चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के संपर्क में थे. हालांकि, इन आरोपों की कोई पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन मोदी और शाह के रवैये ने इन अफवाहों को और बल दिया है.
आगे क्या होगा?
इस घटना के बाद अब दो तरह की बातें सामने आ रही हैं. कुछ लोगों का मानना है कि इस अपमान के बाद धनखड़ अब चुप्पी तोड़ेंगे और कुछ बड़े राज खोल सकते हैं. उनकी तुलना पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक से की जा रही है, जो खुद भी जाट नेता हैं और सरकार के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं. यह भी कहा जा रहा है कि किसान पुत्र होने के नाते, वह जाट समुदाय का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर सकते हैं.
वहीं, दूसरी राय यह है कि धनखड़ एक समझदार राजनेता हैं. वह जानते हैं कि फिलहाल चुप रहना ही उनके लिए फायदेमंद है. वह शायद इस मौके का इंतजार करेंगे जब उन्हें बोलने से ज्यादा फायदा मिल सके. फिलहाल, धनखड़ दिल्ली में एक सरकारी बंगले का इंतजार कर रहे हैं और मीडिया व नेताओं से दूरी बनाए हुए हैं.
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