दिल्ली चलो मार्च: सीमेंटेड दीवार, कीलें लगाकर किसानों को रोकेगी सरकार! फिर होगा भीषण घमासान?

किसानों के दिल्ली घेराव को रोकने के लिए हरियाणा और पंजाब से लगने वाले सिंघु बॉर्डर पर कंटीले तार लगा दिए गए हैं. सड़कों पर सीमेंट के बैरिकेड लगाए गए हैं. रोड पर सीमेंट और गिट्टी से कीलें लगाई गई हैं.

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अभिषेक

12 Feb 2024 (अपडेटेड: 20 Feb 2024, 06:13 AM)

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Farmers Movement in Delhi: किसानों के 200 से अधिक संगठन अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर दिल्ली चलो की तैयारी में हैं. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से किसानों का जत्था दिल्ली के लिए कूच कर चुका है. किसानों ने अपने इस आंदोलन को ‘चलो दिल्ली’ नाम दिया है. इधर किसानों को रोकने के लिए सरकार ने दिल्ली से सटे राज्यों की सीमाओं पर मुस्तैदी बढ़ा दी है. किसानों के आंदोलन को देखते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने पूरी दिल्ली में 2 फरवरी से लेकर 12 मार्च तक के लिए धारा 144 लगाने की घोषणा कर दी है.

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धारा 144 लगने के बाद अब दिल्ली में लोगों के इकट्ठा होने, प्रदर्शन-रैली करने, बॉर्डर से ट्रैक्टर-ट्रॉली के प्रवेश करने, फायर आर्म्स, ज्वलनशील प्रदार्थ, ईंट-पत्थर इकट्ठा करने, पेट्रोल-सोडा बोतल इकट्ठा करने, लाउड स्पीकर के इस्तेमाल जैसे चीजों पर पूरी तरह से रोक लग गई है. धारा 144 का उलंघन करने वालों की तुरंत गिरफ्तारी का आदेश दे दिया गया है.

सीमेंट के बैरिकेड, कंटीले तार, कीलें… किसानों को ऐसे रोकेगी सरकार?

किसान मोर्चा के ‘दिल्ली चलो अभियान’ को विफल करने के लिए राज्यों के साथ दिल्ली पुलिस ने भी व्यापक तैयारी की है. जानकारी के मुताबिक, यूपी-दिल्ली के गाजीपुर में टिकरी बॉर्डर को पूरी तरह से सील कर दिया गया है. किसानों के दिल्ली घेराव को रोकने के लिए हरियाणा और पंजाब से लगने वाले सिंघु बॉर्डर पर कंटीले तार लगा दिए गए हैं. सड़कों पर सीमेंट के बैरिकेड लगाए गए हैं. रोड पर सीमेंट और गिट्टी से कीलें लगाई गई हैं. कोशिश यही है कि किसान और उनके ट्रैक्टर दिल्ली में प्रवेश न कर पाएं. किसानों को रोकने के लिए हरियाणा के फतेहाबाद में अस्थाई जेल भी बनाई गई है.

RCC के ब्लॉक को सिंघू बॉर्डर पर कोंक्रिट से फिक्स की जा रहा है ताकि किसानों को दिल्ली आने से रोका जा सके.

किसानों के आंदोलन के पीछे ये हैं प्रमुख मांगें

– सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की गारंटी दे.
– किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे रद्द किए जाए.
– सरकार किसानों के कर्जे को पूरा माफ करे.
– किसानों के साथ खेतिहर मजदूरों को पेंशन की व्यवस्था की जाए.
– लखीमपुर खीरी में किसानों पर हुए अत्याचार के दोषियों को सजा दी जाए.
– किसानों को प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाए और 2020 के विद्धुत संशोधन विधेयक को रद्द किया जाए.

सरकार का क्या है रुख

किसानों से बात-चीत के लिए केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाई है. इस कमेटी में कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय शामिल हैं. आज इस कमेटी से किसान संगठनों की मुलाकात चंडीगढ़ में होनी है. देखना यह है कि इस मुलाकात-बात से कोई राह निकलती है या दिल्ली एक बार फिर बड़े किसान आंदोलन की गवाह बनेगी.

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