साप्ताहिक सभा: राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से कांग्रेस कितनी सीटें जीत लेगी?

राशिद किदवई कहते हैं कि, अगर हम यात्रा के उद्देश्यों को देखें तो ये यात्रा आधी-अधूरी नजर आती है. पहली वजह ये कि राहुल की इस यात्रा में राजनैतिक उद्देश्य का अभाव है, और दूसरा ये कि यात्रा हाइब्रिड मूड में है.

Rahul Gandhi
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अभिषेक

07 Jan 2024 (अपडेटेड: 07 Jan 2024, 07:46 AM)

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साप्ताहिक सभा: इस साल देश में लोकसभा का चुनाव होने हैं. इसी चुनाव के मद्देनजर विपक्षी पार्टी कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी यात्रा निकालने वाले हैं. राहुल की यह यात्रा भारत जोड़ो न्याय यात्रा होगी, जो देश के 15 राज्यों से होते हुए लगभग 6700 किमी की दूरी तय करेगी. राहुल की यह यात्रा देश के पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर से निकलेगी जो महाराष्ट्र में जाकर समाप्त होगी. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की इस यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. राहुल की इस यात्रा के मायनों को समझने के लिए न्यूज Tak की साप्ताहिक सभा में इस बार वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राशिद किदवई और “Tak” समूह के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने विस्तार से चर्चा की है. आइए आपको बताते हैं, इस चर्चा के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु.

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सवाल: राहुल गांधी के इस यात्रा का सियासी उद्देश्य क्या हैं?

इस सवाल का जवाब देते हुए राशिद किदवई कहते हैं कि, ‘मुझे ये यात्रा राजनैतिक रूप से राहुल गांधी की सिमबोलिक यात्रा प्रतीत होती है. विपक्ष को राहुल की भूमिका को लेकर कोई खास आइडिया नहीं है, क्योंकि राहुल कांग्रेस में किसी बड़ी भूमिका में नहीं हैं, इंडिया अलायंस में भी उनकी कोई पोजीशन नहीं है और वो विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी नहीं हैं. हालांकि इसके बावजूद भी वो पार्टी में ‘फर्स्ट अमंग लार्ज’ हैं, यानी वो बिना किसी भूमिका के भी अपनी मनमानी हर जगह करते नजर आते हैं.’

वह आगे कहते हैं कि अगर हम इन सभी उद्देश्यों को देखें तो ये यात्रा आधी-अधूरी नजर आती है. पहली वजह ये कि राहुल की इस यात्रा में राजनैतिक उद्देश्य का अभाव है, और दूसरा ये कि यात्रा हाइब्रिड मूड में है. पहले की यात्रा में राहुल ज्यादातर पैदल ही चले थे. हालांकि राहुल गांधी जो मुद्दे उठाते है उन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इस यात्रा में ऐसी जगहों को शामिल किया गया है. उन्होंने इस यात्रा को ‘हाई ऑन आप्टिक्स’ एण्ड ‘लो ऑन सब्सटेंस’ करार दिया, यानी इस यात्रा से कांग्रेस को हाथ क्या लगेगा ये कहना मुश्किल है.

राशिद किदवई ने आगे कहा कि, आगामी चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा बहुत प्रभावी रहेगा. अगर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद बीजेपी लोकसभा चुनाव को जल्दी कराने में कामयाब हो जाती है तो कांग्रेस और विपक्ष को चुनाव में ज्यादा समय ही नहीं मिल पाएगा. वैसे भी इंडिया अलायंस में सीटों के बंटवारें को लेकर क्या स्थिति है, इससे तो हम सभी वाकिफ हैं ही. इन सब के बीच राहुल यात्रा पर निकलने वाले हैं तो हमें पता है कि कांग्रेस का पूरा फोकस उसी पर रहेगा, संगठन और गठबंधन के अन्य कामों में उतना ध्यान नहीं दिया जा सकेगा जैसे हमने पिछली यात्रा में देखा. चुनाव से ऐन पहले ऐसा करना थोड़ा अटपटा तो जरूर है.

इसी सवाल पर आगे मिलिंद खांडेकर कहते हैं कि, इस यात्रा को हमें राहुल की पहली भारत जोड़ो यात्रा के संबंध में देखना होगा. राहुल ने जब कन्याकुमारी से कश्मीर तक की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का ऐलान किया तब सियासी हलकों में उसे बहुत गंभीरता से नहीं लिया गया. लोगों को ये भी लगा कि राहुल इसे पूरा भी नहीं कर पाएंगे, लेकिन परिणाम इसे उलट हुए. राहुल ने यात्रा तो पूरी की ही साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भी जगाया. हालांकि उस यात्रा से कांग्रेस पार्टी को लाभ हुआ या नहीं ये बाद की बात है, लेकिन उससे पूरे देश में राहुल की छवि में जबरदस्त सुधार हुआ.

अब ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ की बात करें तो, मुझे लगता है कि इस यात्रा को बहुत पहले ही निकाल देना चाहिए था, शायद पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव से पहले ही. दूसरी बात इस यात्रा में जो न्याय शब्द जोड़ा गया है, उससे इस यात्रा के उद्देश्य में थोड़ा कन्फ्यूजन जरूर क्रिएट होता है. आपको पता हैं कि, जयराम रमेश ये कह चुके है कि, ‘भारत जोड़ो यात्रा’ एक ब्रांड बन चुका है, फिर इसमे न्याय जोड़ने का क्या ही तुक है. पिछली यात्रा में ये क्लियर था कि आप मोहब्बत की दुकान सजा रहें या भाईचारे की बात कर रहे हैं. लेकिन इस यात्रा में कोई पोलिटिकल उद्देश्य क्लियर नहीं हो पा रहा है. इससे कम्युनिकेशन में स्पष्टता की कमी नजर आती है.

कांग्रेस ने पिछले दिनों में पार्टी के कम्युनिकेशन को बेहतर किया था, लेकिन एकबार फिर से उसमे पार्टी डीरेल नजर आ रही है.

Bharat Jodo Yatra

सवाल: राहुल इस यात्रा में 100 लोकसभा सीटों को कवर कर रहे हैं, क्या आपको लगता हैं कि राहुल इससे कांग्रेस की किस्मत पलटने में कामयाब हो पाएंगे?

राशिद किदवई- अगर बात 100 सीटों को कवर करने की करें तो हमें पता है कि राहुल जिन राज्यों को कवर कर रहे है, उन राज्यों में लोकसभा की 357 सीटें है, जिनमें से मात्र 14 सीटें ही कांग्रेस के पास हैं. क्या इस यात्रा के माध्यम से राहुल इसको 100 सीटों तक ले जा सकते हैं? मैं इससे सहमत नहीं हूं.कांग्रेस, इंडिया अलायंस में कई दलों के साथ गठबंधन में है. इन राज्यों में कई ऐसे राज्य हैं जहां कांग्रेस बहुत दयनीय स्थिति में है, और कई ऐसे राज्य हैं जहां उसके सहयोगी बहुत स्ट्रॉंग भूमिका में हैं. वहां पार्टी को चुनाव में लड़ने के लिए उतनी सीटें मिलने भी नहीं वाली हैं जितना वो चाहती है, जैसे बिहार, पश्चिम बंगाल आदि. तो हमें इस बात को समझना चाहिए कि, कांग्रेस 14 से बढ़कर एकाएक 50 या 100 पर नहीं पहुंच जाएगी. हां 14 को 28 कर ले तो उसके लिए ये बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.

इसी सवाल पर आगे मिलिंद खांडेकर कहते हैं कि, कांग्रेस के लिए इस चुनाव में अपॉर्चुनिटी तो जरूर है, खासकर बिहार, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में. यहां कांग्रेस के सहयोगी बहुत मजबूत स्थिति में हैं. इन राज्यों में पार्टी को फायदा जरूर मिल सकता है. चुनावी गणित में तो इन राज्यों में कांग्रेस और इंडिया अलायंस मजबूत जरूर दिख रही है लेकिन केवल गणित के भरोसे रहना ही ठीक नहीं है. क्योंकि हमने देखा है कि, कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल के वर्षों में सभी चुनावी गणित को फेल साबित किया है. 2014 के चुनाव में ऐसा माना जा रहा था कि, बीजेपी कहीं नहीं है, लेकिन मोदी ने ऐसी केमेस्ट्री सेट की कि सत्ता में आ गए. कांग्रेस को चुनावी गणित के साथ-साथ ऐसी केमिस्ट्री भी बनाने की जरूरत है.

इस पूरी बातचीत को आप यहां सुन और देख सकते हैं.

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